
BLO vs Teacher Salary (Photo- gemini ai)
BLO vs Teacher Salary: भारत में वोटर लिस्ट को अपडेट रखने और चुनावी प्रक्रिया को सही तरीके से चलाने की जिम्मेदारी बीएलओ यानी Booth Level Officer पर होती है। दिलचस्प बात यह है कि देश के अधिकतर राज्यों में यह भूमिका स्कूलों के सरकारी शिक्षकों को दे दी जाती है। यानी एक ओर वह बच्चों को पढ़ाते हैं, दूसरी ओर चुनाव आयोग की अहम जिम्मेदारियां भी निभाते हैं। सवाल यह उठता है। क्या BLO के तौर पर किया जाने वाला यह अतिरिक्त काम और इसके बदले मिलने वाला भुगतान शिक्षकों के लिए न्यायसंगत है?
BLO का मुख्य काम अपने क्षेत्र में मतदाता सूची को सही रखना है। इसके लिए उन्हें घर-घर सर्वे करना पड़ता है। नए वोटर जोड़ना, मृत या डुप्लीकेट नाम हटाना और फॉर्म 6, 7, 8 की जांच करना। बूथ से संबंधित डेटा अपडेट करना, चुनाव के समय अतिरिक्त ड्यूटी करना होता है। ये काम सालभर चलने वाला होता है। कई राज्यों में BLO को महीने में करीब 10–15 दिन तक फील्ड विज़िट करनी पड़ती है।
राज्यों के हिसाब से भुगतान अलग-अलग होता है, लेकिन आमतौर पर सालाना लगभग 12,000 रुपये का मानदेय मिलता है। कुछ जगह BLO को अलग से प्रोत्साहन राशि भी मिलती है जो आमतौर पर 1,000 रुपये से 2,000 रुपये के बीच होती है। कई राज्यों में ऑन पेपर भुगतान है लेकिन ग्राउंड पर अनियमितता पाई जाती है। यानी यह एक अतिरिक्त जिम्मेदारी है, लेकिन इसका भुगतान सीमित है।
सरकारी शिक्षक का वेतन अलग- अलग होता है। प्राइमरी टीचर की सैलरी 25,000 से 45,000 के बीच होती है। अपर प्राइमरी टीचर की सैलरी 40,000 से 65,000 होती है। वहीं, पीजीटी टीचर की सैलरी 50,000 से 80,000 (राज्य के अनुसार अलग) के बीच होती है। इन वेतनों के साथ शिक्षक पर पहले से ही बड़ी जिम्मेदारी होती है।
शिक्षकों की जिम्मेदारियों की सूची वैसे ही लंबी है। पढ़ाना, बच्चो की कॉपी चेक करना, प्रोजेक्ट और एक्टिविटी मैनेजमेंट, मध्याह्न भोजन की निगरानी, स्कूल के प्रशासनिक काम और रिकॉर्ड मेंटेनेंस जैसी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां रोजाना उनके समय और ऊर्जा की मांग करती हैं। ऐसे में जब उनके ऊपर BLO का अतिरिक्त काम भी डाल दिया जाता है, तो उनका बोझ स्पष्ट रूप से बढ़ जाता है।
तुलना करें तो, BLO ड्यूटी के दौरान शिक्षक अपनी मूल शिक्षण जिम्मेदारी से दूर हो जाते हैं। मतदाता सूची अपडेट या फील्ड वेरिफिकेशन जैसे कार्यों के लिए उन्हें स्कूल समय के अलावा अपना निजी समय देना पड़ता है, और कई बार फील्ड विज़िट में अपनी जेब से खर्च तक करना पड़ता है। इसके बावजूद अधिकांश मामलों में मिलने वाला भुगतान उनके अतिरिक्त घंटे, फील्ड जोखिम और मानसिक दबाव के मुकाबले बेहद कम होता है। ऐसे में सवाल बिल्कुल जायज है, क्या इतनी बड़ी जिम्मेदारी के लिए सिर्फ कुछ हजार रुपये पर्याप्त हैं?
Updated on:
21 Nov 2025 03:46 pm
Published on:
21 Nov 2025 03:45 pm
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