
फोटो सोर्स: पत्रिका, मृतका शोभा देवी
गोरखपुर में हैरान करने वाली घटना हुई है यहां एक मां की मौत के बाद बड़े बेटे ने मां का शव लेने से मना कर दिया। उसने पिता से कहा कि घर में शादी है इसलिए अंतिम संस्कार अभी नहीं होगा। शव को फ्रीजर में रखवा दें शादी के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। लेकिन बूढ़े पिता यह नहीं माने और मगर वह अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए शव को गांव ले गए। जहां रिश्तेदारों ने घाट किनारे शव को दफना दिया। पति ने रोते हुए कहा कि सभी बेटे कह रहे हैं कि चार दिन बाद लाश निकाल कर अंतिम संस्कार करवा देंगे। लेकिन तब तक तो शव को कीड़े खा जाएंगे।
जानकारी के मुताबिक किराना व्यापारी भुआल गुप्ता और उनकी पत्नी शोभा देवी कैंपियरगंज के भरोहियां ग्राम पंचायत में अपने तीन बेटों के साथ रहते थे। उनकी तीन बेटियां भी हैं। बेटे-बेटियों की शादी कर दी इधर एक साल पहले भुआल के बड़े बेटे ने मां बाप को निकाल दिया। यह सुनकर भुआल अपनी पत्नी शोभा के साथ घर से निकल गए। भुआल और शोभा पहले अयोध्या पहुंचे जब यहां रहने का इंतजाम नहीं हुआ तो मथुरा पहुंचे। मगर यहां भी उनके रहने और खाने का इंतजाम नहीं हुआ। यहीं पर भुआल को जौनपुर के वृद्धाश्रम से कांटेक्ट हुआ और उन्होंने दोनों को अपने यहां बुला लिया। तब से भुआल और शोभा एक साथ रह रहे थे। कुछ महीने पहले शोभा देवी के पैर में लकवा मार गया। संस्था ने प्राइवेट हॉस्पिटल में दवा कराई धीरे धीरे वह स्वस्थ हो गई।
अचानक 19 नवंबर को शोभा देवी की फिर से तबीयत बिगड़ गई। जौनपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया। जहां पर देर रात उनकी मौत हो गई। डॉक्टर ने बताया कि शोभा देवी की दोनों किडनी फेल हो गई थी। पत्नी की मौत के बाद भुआल ने छोटे बेटे को फोन करवाया। केयर टेकर ने जब उन्हें फोन किया तब छोटे बेटे ने कहा कि घर में बड़े भइया के बेटे की शादी है और शव को फ्रीजर में रखवा दो। शादी हो जाने के बाद अंतिम संस्कार करवा दिया जाएगा।
भुआल गुप्ता इसके बाद काफी दुखी हो गए और जौनपुर में ही अंतिम क्रिया की बात कहे, लेकिन बेटियों ने कहा कि शव गांव ले आइए। यहीं अंतिम संस्कार करवा दिया जाएगा। इसके बाद भुआल गुप्ता एम्बुलेंस से अपनी पत्नी का शव लेकर गांव पहुंचे। यहां बड़े बेटे ने घर पर लाश लाने से इनकार कर दिया। रिश्तेदारों और गांव के लोगों ने कैंपियरगंज में घाट के पास मिट्टी में जबरन शोभा देवी की लाश को दफन करवा दिया। इस पर दुखी भुआल के आंसू नहीं रुक रहे , बोले कि चार दिन बाद शव को निकालकर अंतिम संस्कार करेंगे। चार दिन में तो शव को कीड़े खा जाएंगे। किसी तरसोगे ने समझाया बुझाया और पंडित से राय ली तब उन्होंने कहा कि आटे का पुतला बनाकर उसका विधि विधान से दाह संस्कार किया जा सकता है। बेबस भुआल आंखों में आंसू सबके चेहरे निहारने लगे लेकिन कोई उनके दर्द को समझने वाला नहीं था।
Published on:
24 Nov 2025 05:15 pm
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