
फोटो सोर्स: पत्रिका
MP News: केंद्र सरकार 126 साल पुराने स्टांप एंड रजिस्ट्रेशन एक्ट में बदलाव करने जा रही है। नए एक्ट में ऑनलाइन रजिस्ट्री की व्यवस्था की जा रही है। देश के अलग-अलग राज्यों में रजिस्ट्री की जो व्यवस्था है, उसका अध्ययन कर रहे है। किस राज्य का सिस्टम अच्छा है, उसकी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय का दो सदस्यीय दल ग्वालियर आया है। मध्य प्रदेश में रजिस्ट्री में कितना समय लग रहा है और क्या व्यवस्था है। संपदा-2 सॉटवेयर रजिस्ट्री के हिसाब से कितना सुरक्षित है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। आधार से रजिस्ट्री मध्य प्रदेश में देखने को मिली है। मध्य प्रदेश की रजिस्ट्री का मॉडल देश में लागू हो सकता है। तकनीकी दल कार्यालय के पूरे दिन की रिपोर्ट ऑनलाइन मंत्रालय को भेज रहा है। इसके अलावा उप पंजीयक व पक्षकारों से भी फीडबैक लिया है।
दरअसल मध्य प्रदेश में रजिस्ट्री के लिए संपदा-2 सॉटवेयर लागू किया गया है। यह सॉटवेयर आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस की तकनीक पर काम करता है, रजिस्ट्री की जो लंबी प्रोसेस थी, उस प्रोसेस को कम कर दिया है। क्रेता-विक्रेता के उप पंजीयक के सामने खड़े होने के पांच मिनट के भीतर पक्षकार के पास ई रजिस्ट्री पहुंच जाती है।
संपदा-2 अप्रेल से विभाग में कार्य कर रहा है। इसके अलावा कहीं से भी बैठकर व्यक्ति रजिस्ट्री कर सकता है। वर्तमान में पावर ऑफ अटॉर्नी की व्यवस्था ऑनलाइन है। इसके लिए कार्यालय आने की जरूरत नहीं है। आधार से बायोमेट्रिक व फोटो लेने का तरीका मध्य प्रदेश में देखने को मिला है।
-देश में स्टांप एंड रजिस्ट्रेशन एक्ट 1899 में लागू हुआ था। यह एक्ट अंग्रेजों के समय पर बनाया गया था। तभी से यह एक्ट चला आ रहा है, लेकिन राज्यों ने अपने हिसाब से बदलाव भी किए।
-मध्य प्रदेश में 2015 के पहले मैनुअल स्टांप पर रजिस्ट्री होती थी, लेकिन 2015 में संपदा-1 लागू किया गया। ई स्टांप की व्यवस्था लागू हुई। ऑनलाइन रजिस्ट्री होने लगी।
-संपदा-1 सॉटवेयर पर 10 साल काम किया गया। अब संपदा-2 आ गया है। इस सॉटवेयर में संपत्ति के विक्रय में होने वाले फर्जीवाड़े की संभावना को खत्म कर दिया है, क्योंकि सब कुछ आधार के माध्यम से हो रहा है।
संपदा-2 में क्रेता-विक्रेता को गवाह की जरूरत नहीं है। सिर्फ दोनों की उपस्थित पर रजिस्ट्री होती है। इससे कार्यालय में भीड़ कम हुई है। रजिस्ट्री को संभालकर रखने की भी जरूरत नहीं है। कभी ई रजिस्ट्री निकाल सकते हैं।
टोकन सिस्टम लागू है। यदि एक उप पंजीयक के यहां रजिस्ट्री संपादित हो रही है तो दूसरे के यहां पहुंच जाएगी। वीआइपी कल्चर खत्म कर दिया है। नंबर से ही रजिस्ट्री उप पंजीयक के सामने खुलेगी।
ग्रामीण विकास मंत्रालय का दल आया है। रजिस्ट्री की ऑनलाइन प्रक्रिया देख रहे हैं। अशोक शर्मा, जिला पंजीयक
Published on:
20 Nov 2025 02:02 pm
बड़ी खबरें
View Allग्वालियर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
