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तीन साल पुराने कॉलेजों को प्रोविजनल संबद्धता

जीवाजी विवि... लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के मद्देनजर कार्यपरिषद ने दी प्रावधिक संबद्धता

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तीन साल पुराने कॉलेजों को प्रोविजनल संबद्धता

तीन साल पुराने कॉलेजों को प्रोविजनल संबद्धता


ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने तीन साल या इससे अधिक पुराने निजी कॉलेजों को बिना निरीक्षण के सत्र 2024-25 के लिए प्रावधिक संबद्धता स्वीकृत कर दी है। जबकि नए कॉलेजों को बिना निरीक्षण के बाद ही संबद्धता दिए जाने का निर्णय लिया है।

विवि में गुरुवार को कार्यपरिषद की बैठक कुलपति प्रो अविनाश तिवारी की अध्यक्षता में हुई। इसमें कॉलेजों की संबद्धता का प्रस्ताव रखा गया। दरअसल अशासकीय महाविद्यालय संघ की ओर से कॉलेजों की संबद्धता का निरीक्षण तीन साल में कराए जाने और आगामी शिक्षण सत्र 2024-25 में बगैर निरीक्षण संबद्धता देने की मांग की गई थी। कार्यपरिषद ने पुराने कॉलेजों को 28/17 की नियुक्ति के बाद एक वर्ष के लिए संबद्धता दिए जाने की स्वीकृति दी। पुराने कॉलेजों को संबद्धता में परिनियम 28/17 के तहत प्राचार्य और शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति की शर्त पूरा करने को कहा गया है। बैठक में कार्यपरिषद ने खुद का बचाव करते हुए तर्क दिया कि वर्तमान में कॉलेजों में नियुक्तियां चल रहीं हैं और आचार संहिता कभी भी लग सकती है। ऐसे में निरीक्षण नहीं हो सकते इसलिए एक साल की संबद्धता दी गई है।

मेडिकल कॉलेज का 500करोड़ का प्रस्ताव मंजूर

वित्त समिति के मेडिकल कॉलेज के लिए 500 करोड़ की राशि के लिए आए मिनिट्स को स्वीकृति दी गई। जीवाजी विश्वविद्यालय के 500 करोड़ की लागत से बनाए जाने वाले मेडिकल कॉलेज के लिए वित्त समिति के टेक्नीशियन कमेटी द्वारा डीपीआर के लिए मांगी गई स्वीकृति को अनुमति प्रदान की गई। बैठक में कुलसचिव अरुण चौहान, रेक्टर डीएन गोस्वामी, कार्यपरिषद सदस्य डॉ विवेक भदौरिया सहित अन्य मौजूद रहे।

ईसी की बैठक में इन प्रस्ताव को किया पास

-विश्वविद्यालय में चार्टर्ड अकाउंटेंट रिटेनर के रूप में नियुक्त करने के लिए टेंडर किए जाने को अनुमति दी गई।

- वहीं 28 फरवरी के कार्यपरिषद के मिनट्स की पुष्टि की गई। विद्या परिषद के योजना तथा मूल्यांकन बोर्ड की बैठक के मिनट्स का अनुमोदन कर दिया है।

-स्थाई समिति के उस निर्णय को नामंजूर कर दिया जिसमें कॉलेजों को कोर्स बंद करने उच्च शिक्षा विभाग की एनओसी की अनिवार्यता तय की गई थी।- वित्त समिति की एक मार्च की बैठक के मिनट्स का अनुमोदन का प्रस्ताव लौटा दिया गया।