
ग्वालियर. बालभवन के पास बनाई जा रही स्मार्ट टॉयलेट में नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य किया जा रहा है। जबकि एक टॉयलेट के निर्माण कार्य पर लगभग 44 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके गुणवत्ता व निर्माण कार्य का जायजा लेने स्मार्ट सिटी के अधिकारी व इंजीनियर नहीं जा रहे हैं। जबकि नगर निगम आयुक्त अमन वैष्णव व स्मार्ट सिटी सीइओ नीतू माथुर द्वारा सख्त निर्देश दिए जा चुके हैं कि शहर में जहां भी विकास कार्य व टॉयलेट सहित अन्य निर्माण कार्य चल रहे हैं उनका निरीक्षण किया जाए।
शहर में स्मार्ट सिटी द्वारा स्मार्ट टॉयलेट बनाने का कार्य पुणे की कंपनी अशोका डवलपर्स को करीब 4.5 करोड़ में दिया गया है। एक स्मार्ट टॉयलेट के निर्माण पर करीब 44 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। हैंडओवर के बाद इनका आवंटन कंपनी द्वारा ही किराया वसूला जाना है और स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन को सिर्फ तीन हजार रुपए की राशि ही प्रतिमाह किराए के रूप में मिलेगी। स्मार्ट सिटी सीइओ का कहना है कि स्मार्ट टॉयलेट नियमों के तहत ही बनाए जाने है। गड़बड़ी होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्मार्ट सिटी द्वारा बालभवन में बनाई जा रही टॉयलेट में छज्जे में लचक व पत्थरों की गुणवत्ता खराब निकली गई। साथ ही टॉयलेट के निर्माण कार्य में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। जैसे ही इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों के बाद पहुंची तो इंजीनियर मौके पर पहुंचे और जांच कर सही कार्य करने के निर्देश ठेकेदार को दिए गए।
अचलेश्वर मंदिर के पास पीपी मॉडल पर स्मार्ट टायलेट का निर्माण पुणे की एक कंपनी द्वारा किया जा रहा है। लेकिन स्मार्ट टॉयलेट से पहले ही वेंडर द्वारा उन पर विज्ञापन का प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया गया है। इसको लेकर स्मार्ट सिटी की ओर से पूर्व में भी नोटिस जारी किया जा चुका है, लेकिन उसके बाद भी वहां पर वेंडर द्वारा प्रचार प्रचार किया जा रहा है।
हजीरा चौपाटी, हजीरा अस्पताल, जलविहार, अचलेश्वर रोड,जीआरएमसी, 1000 बिस्तर अस्पताल, चावड़ी बाजार, छत्रीमंडी, कलेक्ट्रेट के सामने, बालभवन के आगे है।
Published on:
29 Aug 2024 07:05 pm
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