
Metabolic Syndrome and Cancer Risk (Image source: Gemini AI)
Gynecological Cancer Risk: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक नए अध्ययन में पता चला कि मेटाबोलिक सिंड्रोम (MeS) से पीड़ित महिलाओं में ओवेरियन, एंडोमेट्रियल, सर्वाइकल, योनि और वल्वर कैंसर जैसे स्त्रीरोग संबंधी कैंसर का खतरा काफी ज्यादा होता है।
मेटाबोलिक सिंड्रोम ऐसी स्थितियों का समूह है जो सामूहिक रूप से हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को बढ़ाता है। इसका आमतौर पर निदान तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति इन जोखिम कारकों में से कम से कम तीन मौजूद होते हैं, जिसमें हाई ब्लडप्रेशर, हाई ब्लड शुगर, मोटापा, ट्राइग्लिसराइड्स का बढ़ा हुआ स्तर और HDL कोलेस्ट्रॉल का कम होना शामिल हैं।
अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 35% वयस्क महिलाएं मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीड़ित हैं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 26% है। उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या और भी आम हो जाती है।
यह अध्ययन ICMR के मुंबई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ (NIRRCH) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया था। स्टडी में पाया गया कि मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं में ओवेरियन कैंसर होने की संभावना लगभग तीन गुना अधिक होती है। वहीं, गर्भाशय या एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा लगभग दोगुना बढ़ जाता है। योनि और वल्वर कैंसर का खतरा भी थोड़ा अधिक पाया गया।
मेटाबोलिक सिंड्रोम के प्रमुख कारक, जैसे इंसुलिन प्रतिरोध, पुरानी सूजन और मोटापा, कैंसर के विकास के लिए अनुकूल जैविक वातावरण बनाने के लिए जाने जाते हैं। इंसुलिन स्तर एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को भी बढ़ा सकता है, जिससे एंडोमेट्रियल और डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा और बढ़ जाता है। मोटापा प्राकृतिक हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ता है और महिलाओं में सीरम एंड्रोजन के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे प्रजनन अंगों में वसा जमा हो जाती है और अन्य मेटाबॉलिज्म संबंधी गड़बड़ियां होती हैं जो स्वस्थ कोशिकीय कार्यप्रणाली को बिगाड़ देती हैं।
शोध में बताया गया कि शरीर का वजन कम करने और स्वस्थ बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) बनाए रखने से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा काफी कम हो सकता है।
Published on:
17 Oct 2025 05:03 pm
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