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उम्र बढ़ने से रोकेगा Zomato! CEO ने लॉन्च किया दिमाग का ब्लड फ्लो पढ़ने वाला Temple डिवाइस

Zomato के फाउंडर दीपिंदर गोयल ने नया Temple डिवाइस लॉन्च किया है, जो रियल-टाइम ब्रेन ब्लड फ्लो मॉनिटर करने का दावा करता है। जानें कैसे काम करता है।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 10, 2025

Temple device Deepinder Goyal

Temple device Deepinder Goyal (photo- x @deepigoyal)

Zomato के फाउंडर और Eternal के CEO दीपिंदर गोयल ने हाल ही में एक नया और काफी अलग तरह का हेल्थ-टेक डिवाइस Temple का टीजर शेयर किया। यह एक छोटा सा गोल्डन चिप जैसा वियरेबल है, जिसे माथे या कान के पास वाली टेम्पल एरिया पर लगाया जाता है। गोयल का दावा है कि यह डिवाइस रियल-टाइम में दिमाग तक जाने वाले ब्लड फ्लो को मॉनिटर कर सकता है। उनका कहना है कि वह इसे लगभग एक साल से खुद इस्तेमाल कर रहे हैं और इससे दिमाग की हेल्थ और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलती है।

Gravity Aging Hypothesis: क्या कहती है उनकी थ्योरी?

Temple डिवाइस के पीछे गोयल की अपनी एक थ्योरी है, Gravity Aging Hypothesis। इस थ्योरी के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण (gravity) हमारे दिमाग तक लगातार पहुंचने वाले खून के बहाव को प्रभावित कर सकता है। उनका कहना है कि जब हम सीधे खड़े या बैठे रहते हैं (upright posture), तब दिमाग तक पहुंचने वाला cerebral blood flow थोड़ा कम हो सकता है। लंबे समय में यह कम होता फ्लो, उम्र बढ़ने, cognitive decline (सोचने-समझने की क्षमता घटने), जल्दी थकान, mental performance में गिरावट जैसी समस्याओं से जुड़ सकता है। गोयल का यह भी कहना है कि अगर हम कभी-कभार inversion पोज़िशन में आते हैं, मतलब सिर नीचे और शरीर ऊपर, तो ब्लड फ्लो कुछ देर के लिए बढ़ सकता है। यह विचार अभी शुरुआती स्तर पर है और इसके लिए वैज्ञानिक जांच की जरूरत है।

Temple डिवाइस आखिर करता क्या है?

Temple एक बेहद छोटा, हल्का और चिप जैसे आकार वाला सेंसर है। इसे टेम्पल एरिया पर लगाने के बाद यह पूरे दिन दिमाग के ब्लड फ्लो को मॉनिटर कर सकता है। आज के ज्यादा वियरेबल्स सिर्फ कदम, नींद या हार्टरेट बताते हैं, लेकिन Temple का दावा है कि यह real-world में ब्रेन ब्लड फ्लो कैसे बदलता है। दिन भर किन गतिविधियों का क्या असर पड़ता है। कौन-सी आदत दिमाग को कमजोर या मजबूत करती है इन सबका डेटा दे सकता है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि डिवाइस में कौन-सी तकनीक यूज हुई है, NIRS, PPG, Doppler या फिर कोई बिल्कुल नई तकनीक। इसके regulatory approvals, clinical trials और validation के बारे में भी अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

क्या बदल सकता है यह डिवाइस?

अगर यह डिवाइस सच में अपने दावों पर खरा उतर गया, तो यह हेल्थ-वियरेबल्स की दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकता है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि तनाव, नींद, पोस्चर, स्क्रीन-टाइम, एक्सरसाइज, रोजमर्रा की दिनचर्या, दिमाग के ब्लड फ्लो को कैसे प्रभावित करते हैं। यह शोध आगे चलकर brain longevity, neuro-wellness, mental performance और aging research जैसे क्षेत्रों में नया रास्ता खोल सकता है। लेकिन experts की राय है कि ऐसे बड़े दावों को सच साबित करने के लिए independent clinical studies और वैज्ञानिक परीक्षण जरूरी हैं। तभी यह कहा जा सकेगा कि Temple वाकई दिमाग की उम्र बढ़ाने या मेंटल हेल्थ सुधारने में मदद कर सकता है या नहीं।

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