Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Peanut Allergies: सालों तक मूंगफली एलर्जी पर रहा भ्रम, अब वैज्ञानिकों ने तोड़ी गलतफहमी

Peanut Allergies: बच्चों को मूंगफली से दूर रखना ही सबसे सुरक्षित तरीका है। सबका विश्वास था कि अगर बच्चे ने मूंगफली नहीं खाई, तो उसे एलर्जी नहीं होगी।

2 min read
Google source verification

भारत

image

MEGHA ROY

Nov 06, 2025

Peanut allergy facts, Early peanut exposure, Peanut allergy treatment, Peanut allergy causes,

Science behind peanut allergy|फोटो सोर्स – Freepik

Peanut Allergies: एक समय था जब डॉक्टर और माता-पिता मानते थे कि बच्चों को मूंगफली से दूर रखना ही सबसे सुरक्षित तरीका है। सबका विश्वास था कि अगर बच्चे ने मूंगफली नहीं खाई, तो उसे एलर्जी नहीं होगी। लेकिन ब्रिटेन के डॉक्टर गिडियन लैक्स की एक खोज ने यह धारणा पूरी तरह बदल दी। उन्होंने साबित किया कि बच्चों को शुरुआती उम्र में ही मूंगफली खिलाना उन्हें एलर्जी से बचाने का सबसे असरदार तरीका हो सकता है।

पीनट एलर्जी है?

करीब 25 साल पहले की बात है। डॉ. लैक्स एक कॉन्फ्रेंस के लिए इजराइल गए थे। वहां उन्होंने डॉक्टरों से पूछा “आपके पास कितने ऐसे बच्चे हैं जिन्हें पीनट एलर्जी है?” पूरे हॉल में केवल दो-तीन हाथ उठे। जबकि ब्रिटेन में लगभग हर बाल रोग विशेषज्ञ के पास ऐसे कई केस होते थे। यही अंतर उन्हें सोचने पर मजबूर कर गया।

इजराइल का ‘बम्बा स्नैक’ बना रहस्य की चाबी

खोज के दौरान डॉ. लैक्स को पता चला कि इजराइल में बच्चों को 4 से 6 महीने की उम्र में ही ‘Bamba’ नाम का स्नैक दिया जाता है, जो मूंगफली से बना होता है। वहीं ब्रिटेन में बच्चों को मूंगफली खाने से सख्त मना किया जाता था।

जब हुई तुलना

इस अंतर को समझने के लिए डॉ. लैक्स ने ब्रिटेन और इजराइल के लगभग 10,000 बच्चों पर अध्ययन किया। परिणाम चौंकाने वाले थे ब्रिटेन में लगभग 2% बच्चों को पीनट एलर्जी थी।इजराइल में यह आंकड़ा लगभग शून्य था।यही अंतर उनकी थ्योरी की नींव बना कि बच्चों को शुरुआती उम्र में पीनट देना ही उन्हें एलर्जी से बचा सकता है।

सात साल चला ट्रायल LEAP Study

इसके बाद डॉ. लैक्स ने 640 बच्चों पर LEAP Study की शुरुआत की। इसमें एक ग्रुप को 4 से 11 महीने की उम्र में पीनट खिलाया गया, जबकि दूसरे ग्रुप को 5 साल तक पीनट से पूरी तरह दूर रखा गया।7 साल बाद जो नतीजे आए, वे मेडिकल इतिहास में मील का पत्थर साबित हुए ।जिन बच्चों ने पीनट खाई, उनमें से सिर्फ 1.9% को एलर्जी हुई।जबकि जिन बच्चों ने परहेज किया, उनमें 13.7% को एलर्जी विकसित हुई।इस खोज ने पूरी दुनिया की मेडिकल गाइडलाइन बदल दी।

कैसे बदली गाइडलाइन

LEAP अध्ययन के 2015 में प्रकाशित होने के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने शिशु आहार दिशानिर्देशों में बदलाव किया। अब विशेषज्ञों की राय है कि सामान्य जोखिम वाले बच्चों को करीब 6 महीने की उम्र से मूंगफली वाले खाद्य पदार्थों की छोटी मात्रा दी जाए।

क्या एक्जिमा भी कारण है?

अब डॉ. लैक्स SEAL Study पर काम कर रहे हैं। यह जांचती है कि अगर बच्चों की Eczema जैसी त्वचा समस्याओं का इलाज शुरुआती महीनों में कर दिया जाए, तो क्या फूड एलर्जी को रोका जा सकता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि जब भोजन के कण त्वचा के रास्ते शरीर में प्रवेश करते हैं, तो प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें “खतरा” समझ लेती है और यही एलर्जी की शुरुआत होती है।