
MP news AI False Alert of Illegal Mining in MP (फोटो: सोशल मीडिया)
MP News: प्रदेश में अवैध उत्खनन की निगरानी के लिए उपयोग किए जा रहे सैटेलाइट और एआइ प्रदेश में चल रहे क्रियाकलापों की वजह से कंफ्यूज हो रहे हैं। सैटेलाइट इमेज और रिमोट सेंसिंग तकनीक की मदद से शुरू किए गए सर्विलांस सिस्टम में ईंट-भट्टों, सड़कों, तालाबों, निर्माण कार्यों आदि के लिए की खुदाई के लिए भी अवैध खनन का अलर्ट आ रहा है।
इसी प्रकार यदि पहले से कोई खाली गड्ढा है और बाद में उसमें पानी भर गया तो उसका भी अलर्ट आ जाता है। इससे खनिज विभाग के मैदानी अमले की भाग-दौड़ बढ़ गई है। क्योंकि उन्हें हर अलर्ट में मौके पर जाकर उसकी जांच करना होगी है। पिछले पांच महीने में इस एआइ आधारित सिस्टम ने अवैध उत्खनन के 2932 अलर्ट जारी किए हैं। इनमें से केवल 136 अवैध उत्खनन पाए गए हैं और उनके विभागीय अधिकारियों ने प्रकरण बनाए हैं।
एमपी के खनिज विभाग ने एक मोबाइल ऐप भी तैयार कराया है। यह मैदानी अमले को दिया है। अवैध खनन के अलर्ट पर जिला खनिज कार्यालय के अमले को तत्काल मौके पर जाकर जांच करना होगी। उन्हें मौके पर पहुंचकर ऐप में अपनी लोकेशन व फोटो दर्ज करना होगी। साथ ही वहां की फोटो सहित पूरी रिपोर्ट ऐप से देना होगी। यदि अवैध खनन किया जा रहा है तो इसके बाद प्रकरण दर्ज कर सबमिट किया जाता ताकि आगे की कार्रवाई शुरू हो सके।
इस प्रणाली के अंतर्गत प्रदेश की सभी स्वीकृत 7502 खदानों की जियो टेगिंग कर खदान क्षेत्र का सीमांकन किया जा चुका है। इससे खदान की तय सीमा से बाहर उत्खनन होने पर तुरंत पकड़ में आ जाता है।
सैटेलाइट और एआइ का उपयोग कर विकसित की गई खनन निगरानी प्रणाली को प्रदेश में 23 मई 2025 से शुरू किया गया है। इसे लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से बनवाया है। सिस्टम में सैटेलाइट इमेज का एआइ के माध्यम से एनालिसिस किया जाता है। अधिकारियों के अनुसार यह चेंज डिटेक्शन के आधार पर काम करता है।
इसलिए सैटेलाइट से लिए फोटो में कुछ परिवर्तन दिखने पर यह अलर्ट भेजता है। यदि जमीन हरी या काली दिख रही है और बाद में यह लाल या अन्य रंग में दिखने लगी तो यह अलर्ट जारी कर देता है। यह सिस्टम गड्ढे का केवल सरफेस देखता है उसकी गहराई देख पाने में सक्षम नहीं है। इसलिए प्रदेश में कहीं भी 2 फीट से चौड़ा गड्ढा दिखने पर अलर्ट भेजता है।
किसान यदि खेत पर तालाब बनाने या शौचालय के लिए गड्ढा खोदते हैं तो उसका भी अलर्ट जारी हो जाता है। खनिज का मैदानी अमला अभी तक 2 हजार से अधिक अलर्ट का वेरिफिकेशन कर चुका है।
अधिकारियों के अनुसार निगरानी प्रणाली में सुधार के लिए काम चल रहा है। ज्यादा से ज्यादा डेटा फीड किया जा रहा है। इसके साथ समय के साथ एआइ डेटा की पहचान करने के लिए परिपक्व होगा। जिन स्थानों पर खुदाई संबंधी गतिविधियां चलती रहती हैं, इसकी जानकारी भी फीड की जा रही है।
Updated on:
10 Nov 2025 11:19 am
Published on:
10 Nov 2025 11:14 am
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