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महिला बीएलओ को आ रहे अनजान कॉल, फोन पर अश्लील बातें, कलेक्ट्रेट पहुंची शिकायतें

MP SIR: एमपी में लगातार जारी है SIR का काम, घर-घर जाकर फॉर्म भरवा रहे बीएलओ, कलेक्टर के सामने छलका महिला बीएलओ का दर्द, अज्ञात नंबरों से आ रहे फोन...

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MP SIR pain of female BLO

MP SIR pain of female BLO (फोटो: सोशल मीडिया)

MP SIR: मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआइआर) के दौरान बीएलओ लगातार घर-घर जाकर फॉर्म भरवा रहे हैं। इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी में बड़ी संख्या में महिला बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) भी लगी हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों से उनके साथ अभद्रता और उत्पीड़न की शिकायतें सामने आई हैं। कलेक्टर कार्यालय में ऐसी कई शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जिनसे महिला कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है।

अज्ञात नंबरों से फोन कर अश्लील बातें

एक महिला बीएलओ ने बताया कि उन्हें कुछ अज्ञात नंबरों से फोन कर अश्लील बातें की जा रही हैं। जब उन्होंने नंबर को ब्लॉक कर दिया तो दूसरे नंबर से लगातार कॉल कर परेशान किया जा रहा है। उन्होंने इसकी शिकायत साइबर क्राइम ब्रांच में भी दर्ज करवाई है।

निजी जिंदगी से जुड़े सवाल

एक अन्य बीएलओ ने बताया कि जब वे घर-घर जाकर फॉर्म भरवाने पहुंचती हैं तो कई बार लोग उनसे निजी जिंदगी से जुड़े बेवजह और असमानजनक सवाल पूछते हैं। कुछ जगहों पर मतदाता उनके काम को गंभीरता से नहीं लेते और अपमानजनक व्यवहार करते हैं, जिससे उनके लिए सर्वे का काम मुश्किल हो रहा है।

बीएलओ परेशान, बताने पर भी लोग कर रहे गलतियां

इंदौर. देश में मतदाता सूची को नए सिरे बनाने का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य चल रहा है। यह 2003 की मतदाता सूची के आधार पर किया जा रहा है। प्रदेश में 4 नवंबर से चल रही एसआइआर प्रक्रिया 20 दिन पूरे होने के बाद भी मतदाता और बीएलओ के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे

किसी को अपने माता-पिता का तो किसी को खुद का नाम नहीं मिल रहा है। इसे ढूंढने के लिए लोग बीएलओ और सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। बार-बार बताने के बाद भी लोग गलतियां कर रह हैं, जिससे बीएलओ भी परेशान हैं। ऐसे में प्रक्रिया में परेशानी आ रही है।

2003 की सूची में नहीं मिल रहा पिता का नाम

दीपक गोयल ने बताया कि उनके पिता का नाम 2003 की जारी मतदाता सूची में नहीं है। बीएलओ ने कहा कि जोन पर जाकर पता करें। जोन अधिकारी से मिले तो उसने बोला कि 2003 में जिस पोलिंग बूथ पर पिता ने मतदान किया था वहां पता करें। इन सब के कारण वह काम पर समय पर नहीं जा पा रहे हैं। लगातार इधर-उधर चक्कर लगा रहे हैं। कुछ लोग तो अनजान है, कोई जानकारी जुटाने में लगा है तो किसी को प्रक्रिया से मतलब ही नहीं है ।

सूची में पूरे परिवार का नाम, बस एक का छूटा

देवानंद भावसार के पूरे परिवार का नाम 2003 की सूची में है लेकिन उनका नाम ही उसमें शामिल नहीं है। वह इधर-उधर चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है। कई लोग फॉर्म भरने और समझनेे में असमर्थ हैं तो कोई सूची में नाम ढूंढने में असफल हो रहे हैं। कोई मोबाइल में सर्च कर रहा है तो कोई ऑनलाइन काम करने वालों के पास भाग रहा है।

मां के निधन के बाद भी कर्तव्य पर डटी रहीं नीलू गौड़ से मिले कलेक्टर

अपनी मां के निधन के बाद भी कर्तव्य पर डटी रहने वाली बीएलओ नीलू गौड़ से मंगलवार को कलेक्टर शिवम वर्मा ने मुलाकात की। उन्होंने नीलू को सांत्वना देकर कहा, दुख की इस घड़ी में प्रशासन आपके साथ खड़ा है। आपका समर्पण सभी के लिए प्रेरणा है। नीलू गौड़ वाणिज्यिक कर विभाग में सहायक ग्रेड-3 के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें विधानसभा क्षेत्र इंदौर-5 के अंतर्गत बड़ी ग्वालटोली में बूथ लेवल अधिकारी की जिमेदारी सौंपी गई है। अपनी मां के निधन के तीन दिन बाद ही वह फिर से ड्यूटी पर आ गईं।

ज्यादा शिकायत वाले इलाकों में होगी पुलिस गश्त

महिला बीएलओ की शिकायतें बढ़ने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। कुछ मामलों को लेकर संबंधित एसडीएम ने पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया है और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि महिला कर्मचारियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी तरह की बदसलूकी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, प्रशासन उन क्षेत्रों की पहचान कर रहा है जहां से सबसे अधिक शिकायतें आई हैं। उन इलाकों में या तो अतिरिक्त पुलिस गश्त कराई जा सकती है या टीम आधारित सर्वे की व्यवस्था की जा सकती है, ताकि महिला अधिकारियों को अकेले काम न करना पड़े।

घर पर लगा मिलता है ताला

प्रक्रिया के दौरान बीएलओ की भी फजीहत हो रही है। कभी घर पर सदस्य एक साथ नहीं मिलते तो किसी के घर पर ताला लगा मिलता है। किसी के पास मतदान से जुड़े दस्तावेज नहीं है। जो लोग अपना घर छोड़कर दूसरी जगह रहने लगे हैं और जिन लड़कियों की शादी हो गई है उनका नाम ढूंढने में पसीने छूट रहे हैं। बीएलओ को पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिलने से उन्हें ऑनलाइन काम करने में भी समस्या आ रही है।