
एमपी में ई अटेंडेंस पर हाईकोर्ट का फैसला- file pic
E Attendence- मध्यप्रदेश में सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों की कार्यस्थल पर मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए अनेक कवायदें की जा रहीं हैं। इसी क्रम में शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षकों के लिए ई अटेंडेंस अनिवार्य की है। शिक्षकों ने इसका विरोध करते जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अतिथि शिक्षकों की याचिका में 1 जुलाई 2025 से प्रदेशभर में शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस की अनिवार्यता को चुनौती दी गई थी। इसपर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सोमवार को हाईकोर्ट ने ई अटेंडेंस के खिलाफ दायर याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि इस व्यवस्था में हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं है। इसी के साथ 1 जुलाई से ऑनलाइन उपस्थिति जरूरी कर दी गई है।
अतिथि शिक्षकों की ओर से अशोकनगर के सुनील कुमार सिंह ने यह याचिका दायर की थी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने साफ कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप का कोई औचित्य ही नहीं है।
याचिका में कहा गया था कि गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता। इसके साथ ही अतिथि शिक्षकों ने स्मार्टफोन नहीं होने की भी बात कही थी।
ई अटेंडेंस व्यवस्था का बचाव करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता निलेश यादव ने दलील दी कि पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से इसे लागू किया गया है। नई प्रणाली में कानूनन कोई बाधा भी नहीं है। कोर्ट ने सरकार के पक्ष को सही मानते हुए आदेश को वैध बताया। इसी के साथ अतिथि शिक्षकों सभी की याचिका को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट के इस फैसले के साथ ही अतिथि शिक्षकों को ई अटेंडेंस के माध्यम से अपनी दैनिक उपस्थिति दर्ज कराना होगा। इसके अभाव में उन्हें मानदेय नहीं दिया जाएगा। प्रदेशभर के सभी स्कूलों के शिक्षकों और अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए यह व्यवस्था लागू होगी।
Updated on:
04 Nov 2025 03:45 pm
Published on:
04 Nov 2025 03:06 pm
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