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SIR विवाद… बस्तर के हजारों आदिवासियों के कट सकते हैं नाम, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मनीष कुंजाम, जानें वजह!

SIR in CG: छत्तीसगढ़ में चल रहे SIR के दौरान बस्तर के हजारों आदिवासी वोटर्स के नाम हटाए जाने की आशंका जताई गई है। CPI के पूर्व MLA मनीष कुंजाम ने कहा कि सलवा जुडूम के दौरान विस्थापित हुए गांवों के लोगों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं।

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SIR In CG (फोटो सोर्स- पत्रिका न्यूज)

SIR In CG (फोटो सोर्स- पत्रिका न्यूज)

SIR News: बस्तर के आदिवासियों के लिए एसआईआर की प्रक्रिया अब मुश्किल पैदा कर रही है। खास जनजातियां मतदान के अधिकार से वंचित हो सकती हैं। अब इसी आधार पर चुनाव आयोग के खिलाफ एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी गई है।

आदिवासी नेता और कोंटा के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने एसआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाते हुए बस्तर में इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है। स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर इलेक्शन कमीशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। उनका दावा है कि हजारों आदिवासी लोगों के नाम एनरोलमेंट लिस्ट से हटाए जा सकते हैं।

बस्तरिया राज मोर्चा के संयोजक मनीष कुंजाम ने बताया कि एसआईआर बस्तर की खास जनजातियों के लिए कठिन साबित हो रही है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जॉय माल्या बागची इस पर सुनवाई करेंगे। याचिका में सुनवाई के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

बस्तर के आदिवासियों के कट सकते हैं नाम

बस्तर की जनजातियां लंबे समय से विस्थापन, सुरक्षा और दस्तावेजीकरण की कमी का सामना कर रही हैं। यहां कई गांव अब भी जंगलों के अंदर हैं। इस वजह से पहचान सत्यापन जैसी प्रक्रियाएँ चुनौतीपूर्ण हैं। कुंजाम का कहना है कि अगर SIR बिना सुधार जारी रहा तो हजारों वोटरों के नाम सूची से हट सकते हैं (SIR News), जिससे लोकतांत्रिक अधिकारों पर असर पड़ेगा।

पूरे प्रदेश में चल रही SIR प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ेगा

याचिका पर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का रुख सामने आएगा। अगर कोर्ट इस पर दिशा-निर्देश जारी करता है तो बस्तर सहित पूरे प्रदेश में चल रही SIR प्रक्रिया पर इसका प्रभाव पड़ेगा।