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Food Security: सख्ती आ रही काम, 37 लाख अपात्रों ने छोड़ी खाद्य सुरक्षा, असल हकदारों को मिला लाभ

Food Safety Scheme: राजस्थान में सामाजिक न्याय की मिसाल: 65 लाख नए लाभार्थियों को जुड़ा खाद्य सुरक्षा का लाभ। 31 अक्टूबर तक गिव अप अभियान जारी।

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जयपुर

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Rajesh Dixit

Oct 09, 2025

Rajasthan Food Security Scheme Give Up Campaign Banswara Ineligible Families Last Sate Strict Action Wheat Rate Rs 29 Per kg Recovery Done

Give Up Campaign: जयपुर। राजस्थान में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की ओर से संचालित गिव अप अभियान ने सामाजिक न्याय और स्वैच्छिक सेवा की मिसाल कायम की है। इस अभियान में लगभग 37.62 लाख अपात्र लाभार्थियों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा का त्याग किया, जिससे असल हकदारों तक लाभ पहुंचाना संभव हुआ। अभियान के परिणामस्वरूप अब तक 65.25 लाख नए पात्र लाभार्थी खाद्य सुरक्षा से जुड़ चुके हैं।

मुख्यमंत्री और मंत्री ने अभियान की सराहना की

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत यह अभियान वास्तविक जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि अब लाभार्थियों को मुख्यमंत्री रसोई गैस सब्सिडी योजना, आयुष्मान दुर्घटना बीमा और मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना का भी लाभ मिलेगा। जयपुर जिले में 2.6 लाख लोगों ने स्वेच्छा से नाम हटाया और 2.8 लाख नए पात्र लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया गया।

सख्त वसूली और निगरानी की प्रक्रिया

मंत्री ने चेताया कि 31 अक्टूबर तक स्वेच्छा से गिव अप नहीं करने वाले अपात्रों से 1 नवंबर से गेहूं की वसूली की जाएगी। पात्रता की जांच, डोर-टू-डोर सर्वेक्षण और लाभार्थियों की नियमित मॉनिटरिंग जारी है।

नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया हुई आसान

अब लाभार्थी विभाग के ऑनलाइन पोर्टल (https://food.rajasthan.gov.in) पर घर बैठे आवेदन कर सकते हैं। जिला कलेक्टर को भी पात्र लाभार्थियों के नाम जोड़ने का अधिकार दिया गया है।

अपात्र लाभार्थियों की श्रेणियां

1-सरकारी/अर्धसरकारी कर्मचारी परिवार
2-आयकरदाता परिवार
3-जिनके पास चार पहिया वाहन है (ट्रैक्टर और वाणिज्यिक वाहन को छोड़कर)
4-सभी सदस्यों की कुल वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक

जिला स्तर पर प्रचार और जागरूकता अभियान

उपायुक्त और संभागीय अधिकारी अभियान की निगरानी कर रहे हैं। जिलों में सोशल मीडिया और क्षेत्रीय भाषाओं में प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को अभियान में भाग लेने हेतु जागरूक किया जा रहा है।