
जयपुर रेलवे स्टेशन, पत्रिका फोटो
जयपुर. गुलाबी नगर के दिल में बसे जयपुर रेलवे स्टेशन ने हाल ही अपने 150 वर्ष पूरे किए। वर्ष 1875 में जब पहली बार भाप से चलने वाले इंजन की सीटी यहां गूंजी तो लोग छतों और दीवारों पर चढ़कर ‘लोहे के रथ’ को देखने उमड़ पड़े थे।
सवाई रामसिंह द्वितीय के शासनकाल में शुरू हुए इस स्टेशन ने डेढ़ सदी में शाही यात्राओं से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन और महात्मा गांधी की यात्रा तक सब देखा है। इसकी इमारत आज भी राजपूताना वास्तुकला और ब्रिटिश इंजीनियरिंग का सुंदर मेल है। यह राजपूताना-मालवा रेलवे से लेकर जयपुर स्टेट रेलवे और अब उत्तर पश्चिम रेलवे का अहम केंद्र बना हुआ है। छुक-छुक इंजन वालीं ट्रेनें अब 160 किमी प्रति घंटे से दौड़ने वालीं वंदे भारत बन चुकी हैं।
जयपुर जंक्शन की स्थापना 1875 में महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के शासनकाल में हुई। उस समय राजपूताना-मालवा रेलवे ने जयपुर से बांदीकुई तक लाइन बिछाई। जो आगे चलकर जयपुर को दिल्ली और अजमेर से जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग बना। जयपुर स्टेशन पर पहली ट्रेन दौसा से आई थी।
भारत में पहली ट्रेन 1853 में चली। इसके बाद बंबई-बड़ौदा एंड सेंट्रल इंडिया रेलवे (बीबीएंडसीआइ) ने 1856 में बड़ौदा-आगरा रेल लाइन का सर्वे शुरू किया, जो 1857 की क्रांति के कारण रुक गया। वर्ष 1863 में बीबीएंडसीआइ और ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे ने मुंबई-आगरा को जोड़ने का प्रस्ताव रखा। 1864 में एंडरसन कमेटी ने दिल्ली-रेवाड़ी-जयपुर-अजमेर तक लाइन बिछाने की सिफारिश की। इसके बाद राजपूताना-मालवा रेलवे (आरएमआर) का गठन हुआ, जिसने जयपुर तक रेल पहुंचाई।
जयपुर रियासत ने रेल विकास में अहम भूमिका निभाई। 1904 में रेवाड़ी-फुलेरा कॉर्ड का जयपुर हिस्सा ब्रिटिश सरकार को सौंपा गया। 1906 में बीबीएंडसीआइ के साथ समझौते के बाद सांगानेर-सवाईमाधोपुर के बीच 73 मील लंबी रेल लाइन 24.50 लाख रुपए में बनी, जो 1907 में तैयार हुई। 1922 में जयपुर-रींगस लाइन बिछी। ये रेलमार्ग जयपुर को व्यापारिक राजधानी बनाने में मील के पत्थर साबित हुए।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1901 में दिल्ली से राजकोट यात्रा के दौरान जयपुर जंक्शन पर विश्राम लिया था। इस स्मृति में स्टेशन परिसर में उनकी प्रतिमा स्थापित है।
रेलवे अब जयपुर जंक्शन को 717 करोड़ की लागत से ‘‘अमृत भारत स्टेशन योजना’’ के तहत वर्ल्ड क्लास रूप में विकसित कर रहा है। दो साल में तैयार होने वाले इस स्टेशन को सिटी सेंटर की तर्ज पर बनाया जा रहा है। हसनपुरा साइड की सेकंड एंट्री लगभग पूरी हो चुकी है। रोजाना यहां से 200 से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही हो रही है। रोजाना करीब एक लाख लोग आते-जाते हैं।
जयपुर स्टेशन ने 150 वर्ष पूरे किए हैं। रेलवे इसकी गौरवशाली विरासत को ‘स्टेशन महोत्सव’ के रूप में मनाएगा। इसके तहत कई कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जा रही है। -शशि किरण, सीपीआरओ, उत्तर पश्चिम रेलवे
Updated on:
02 Nov 2025 08:25 am
Published on:
02 Nov 2025 08:24 am
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