जयपुर का विस्तार। फोटो: पत्रिका
जयपुर। जेडीए ने जिस फैसले को विकास का नाम दिया है, असल में वह बिल्डर लॉबी को खुला मैदान देने और शहर की रीढ़ तोड़ने वाला कदम होगा। शहर को ऊंचा उठाने की बजाय बिल्डर लॉबी को फायदा पहुंचाने का काम किया जा रहा है।
जेडीए ने दीर्घकालिक सोच और जमीनी हकीकत को समझे बिना शहर को ऊपर उठाने की बजाय बेतहाशा फैलाने का फैसला लिया है। इससे आने वाले वर्षों में यातायात जाम, जल संकट सहित अन्य समस्याएं खड़ी होना तय है। सुदूर गांवों में सुविधाएं पहुंचाना मुश्किल होगा और लोगों का भी आने-जाने में ज्यादा समय लगेगा।
देश के शहरों से तुलना करें तो लैंड बैंक के मामले में पुणे, हैदराबाद और मुम्बई के बाद जयपुर के जेडीए के पास सर्वाधिक जमीन है। देश के दूसरे शहरों की बात करें तो इस तरह का विस्तार कहीं पर नहीं हो रहा है। दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगर भी फैलने की बजाय ऊपर उठना पसंद कर रहे हैं।
हैदराबाद महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण के पास 7257 वर्ग किमी का दायरा है। वहीं, पुणे महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण के पास 6914 वर्ग किमी का क्षेत्र है। मुम्बई महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण का क्षेत्रफल 6767 वर्ग किमी का है। जेडीए अधिकारियों की मानें तो करीब छह हजार वर्ग किमी का क्षेत्र हो गया है।
आने वाले समय में जेडीए जमीन का अधिग्रहण शुरू करेगा। स्थानीय लोगों को विकास के सपने दिखाए जाएंगे। चहेतों को फायदा ही मिलेगा। कुछ माह बाद भूमाफिया अवैध रूप से कॉलोनी काटना शुरू कर देंगे। ऐसे में जयपुर के आस-पास खेती के लिए जमीन नहीं रहेगी और हरियाली की जगह कंक्रीट के जंगल खड़े हो जाएंगे।
-अभी शहर के बाहरी इलाकों में मूलभूत सुविधाएं विकसित नहीं हो रही हैं। ऐसे में जो गांव जोड़े गए हैं, उनमें विकास पहुंचने में कई वर्ष लग जाएंगे।
-सड़कों का नेटवर्क भी आसान नहीं होगा। मौजूदा मास्टरप्लान की कुछेक सेक्टर सड़कों को ही जेडीए पूरा कर पाया है। 200 से अधिक सेक्टर रोड अधूरी हैं।
जेडीए अधिकारियों का तर्क है कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई महानगरों को छोड़ दें तो जयपुर में तेजी से आबादी बढ़ रही है। वार्षिक वृद्धि दर करीब तीन फीसदी है। इस आधार पर जयपुर की संभावना है कि वह बेंगलूरु, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, विशाखापत्तनम, लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण शहरों के समान स्तर पर पहुंच जाएगा। इसका मुख्य कारण जयपुर का भौगोलिक स्थान है, जो देश की राजधानी नई दिल्ली के पास है।
शहर | क्षेत्रफल (वर्ग किमी) |
---|---|
नागपुर | 3577 |
अहमदाबाद | 1800 |
दिल्ली | 1486 |
कोलकाता | 1350 |
कानपुर | 1600 |
चेन्नई | 1013 |
वर्ष 1971 में पहला मास्टरप्लान 20 वर्ष के लिए बनाया गया। इसमें 392 वर्ग किमी का क्षेत्र शामिल किया गया। वर्ष 2047 के मास्टरप्लान की कवायद चल रही है, उसमें करीब 6000 वर्ग किमी का क्षेत्र होगा।
गांव-132
क्षेत्रफल- 392 वर्ग किमी
अनुमानित आबादी: 21 लाख
बाद में इसे वर्ष 1998 तक के लिए बढ़ा दिया।
गांव-478
क्षेत्रफल- 1960 वर्ग किमी
अनुमानित आबादी: 44 लाख
गांव-725
क्षेत्रफल- 2940 वर्ग किमी
अनुमानित आबादी: 65 लाख
गांव-693
क्षेत्रफल- 6000 वर्ग किमी
अनुमानित आबादी: 115 लाख
बिखरे विकास से आधारभूत संरचना खड़ी कर पाना आसान नहीं है। दूर गांवों में जब विकास पहुंचेगा, तब तक वहां की जमीन बिक चुकी होगी। सैटेलाइट टाउन पर फोकस करते हुए जेडीए पुराने क्षेत्रफल पर ही फोकस करता तो बेहतर परिणाम सामने आते। जब तक मास्टरप्लान बनेगा, उससे पहले जेडीए से कई तरह की स्वीकृतियां जारी हो जाएंगी। ऐसे में मजबूरन मास्टर डवलपमेंट प्लान में समाहित समायोजन करना पड़ेगा। अचानक बड़ा विस्तार बिना साइंटिफिक स्टडीज के औचित्यपूर्ण नहीं है।
-चन्द्र शेखर पाराशर, सेवानिवृत्त, अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक
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Updated on:
05 Oct 2025 08:13 am
Published on:
05 Oct 2025 08:11 am
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