
भगवान शिव की मंदिर (फोटो-पत्रिका)
जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) द्वारा भगवान शिव मंदिर के नाम नोटिस जारी किए जाने के विवाद के बाद प्रवर्तन अधिकारी अरुण कुमार पूनिया को निलंबित कर दिया गया है। इस संबंध में JDA सचिव निशांत जैन ने निलंबन आदेश जारी किए। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि निलंबन अवधि के दौरान उन्हें नियमों के अनुसार भत्ता प्राप्त होगा और उनका मुख्यालय एडीजीपी (कार्मिक), जयपुर के कार्यालय में तय किया गया है।
मामला जयपुर के वैशाली नगर इलाके से जुड़ा है, जहां सड़क चौड़ीकरण के कार्य के दौरान JDA टीम ने कई दुकानों और मकानों को अतिक्रमण मानते हुए नोटिस चस्पा किए थे। इसी क्रम में गांधी पथ पर स्थित भगवान शिव मंदिर को भी 'अवैध निर्माण' की श्रेणी में शामिल कर दिया गया। नोटिस किसी व्यक्ति, समिति या प्रबंधक के नाम न होकर सीधे 'भगवान शिव मंदिर' के नाम जारी किया गया था और उसमें 7 दिनों के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दर्ज थे।
जब यह जानकारी सामने आई तो स्थानीय निवासियों में नाराजगी फैल गई। लोगों का कहना था कि धार्मिक स्थल को इस प्रकार नोटिस देना भावनाओं को आहत करता है। प्रशासन को संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करनी चाहिए। विरोध बढ़ने पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने प्रारंभिक तथ्यों का संज्ञान लेते हुए प्रवर्तन अधिकारी को जिम्मेदार मानते हुए शुक्रवार को निलंबित कर दिया।
सूत्रों का मानना है कि धार्मिक आस्था से जुड़े स्थानों पर बिना उचित प्रक्रिया अपनाए सीधे नोटिस चिपकाना प्रशासनिक कार्यप्रणाली की गंभीर चूक मानी जाती है। इस अधिकारी का कृत्य राजकाज में जानबूझकर घोर लापरवाही और स्वेच्छाचारिता का द्योतक माना गया।
JDA की प्रवर्तन शाखा द्वारा लगाए गए नोटिस में हाईकोर्ट की पिटीशन नंबर 658/2024 में पारित आदेश का हवाला दिया गया था। इसके साथ ही बताया गया था कि गांधी पथ सड़क चौड़ीकरण से जुड़ी पीटी सर्वे रिपोर्ट जोन-7 के उपायुक्त से प्राप्त हुई है। रिपोर्ट के अनुसार मंदिर की बाउंड्रीवॉल सड़क सीमा में 1.59 मीटर अंदर पाई गई, जिसे अतिक्रमण मानकर कार्रवाई की गई थी। नोटिस में भगवान शिव मंदिर से 7 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया था।
Updated on:
28 Nov 2025 06:56 pm
Published on:
28 Nov 2025 06:20 pm
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