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Artificial Intelligence and Computational Thinking: जयपुर/नई दिल्ली. भारत की स्कूली शिक्षा में एक क्रांतिकारी बदलाव की दस्तक हो चुकी है। स्कूलों में अब शुरुआती स्तर से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( AI ) और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग (CT) Artificial Intelligence and Computational Thinking (AI & CT) पढ़ाया जाएगा। इसे भारत की शिक्षा में बड़ा बदलाव लाने वाला कदम माना जा रहा है। पाठ्यक्रम में AI को शामिल करने का उद्देश्य है कि हर बच्चा तेजी से बदलती डिजिटल दुनिया में सोचने, समझने और सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करें ताकि आने वाली पीढ़ी तकनीक के साथ-साथ समाज के प्रति जिम्मेदार भी बन सके। भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि एआई और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग को शैक्षणिक वर्ष 2026-27 से कक्षा 3 से राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। दिसंबर 2025 तक संसाधन सामग्री, हैंडबुक और डिजिटल संसाधनों का विकास किया जाएगा।
पाठ्यचर्या का डिजाइन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप, स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (NCF SE ) 2023 के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है। विभाग CBSE, NCERT, केंद्रीय विद्यालय संगठन ( KVS) और नवोदय विद्यालय समिति ( NVS ) जैसे राष्ट्रीय निकायों के साथ-साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। हाल ही में आयोजित एक हितधारक परामर्श में, विशेषज्ञ और संस्थागत प्रतिनिधि इस परिवर्तनकारी एकीकरण का रोडमैप तैयार करने के लिए एक साथ आए हैं। इस बैठक में एआई को 'द वर्ल्ड अराउंड अस' ( TWAU ) थीम से जोड़ने पर सहमति बनी, जो पर्यावरण और समाज से जुड़े मुद्दों पर फोकस करेगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ( CBSE) ने एआई और सीटी पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर कार्तिक रमन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का भी गठन किया है। एनसीईआरटी और सीबीएसई मिलकर एक समिति बनाएंगे, जो यह सुनिश्चित करेगी कि स्कूलों में एआई और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग को आसानी और सही तरीके से लागू किया जाए।
'जनहित के लिए एआई' नैतिकता और समावेशिता का समावेश अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि पाठ्यक्रम का उद्देश्य न केवल तकनीकी समझ, बल्कि एआई के बारे में नैतिक और सामाजिक जागरुकता भी विकसित करना है। कम उम्र से ही एआई अवधारणाओं को शामिल करके, इस पहल का उद्देश्य एक ऐसी पीढ़ी का पोषण करना है जो "जनहित के लिए एआई" के लिए तकनीक का उपयोग करने में सक्षम हो, और जटिल, वास्तविक दुनिया की समस्याओं को जिम्मेदारी और रचनात्मक तरीके से हल कर सके।
शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा कि परीक्षा का ढांचा ऐसा होना चाहिए जो व्यापक और सबको शामिल करने वाला हो, और भारत की शिक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए समय के साथ बदलती जरूरतों के अनुसार ढल सके । शिक्षकों को इस बदलाव के प्रमुख चालक मानते हुए, मंत्रालय ने क्षमता निर्माण और शिक्षक तैयारी को प्राथमिकता दी है। प्रशिक्षण निष्ठा और अन्य राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों के माध्यम से आयोजित किया जाएगा, जिसे एनसीईआरटी द्वारा विकसित वीडियो-आधारित शिक्षण संसाधनों और हैंडबुक्स द्वारा समर्थित किया जाएगा।
Updated on:
01 Nov 2025 01:59 pm
Published on:
01 Nov 2025 01:58 pm
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