
शांति धारीवाल व सुप्रीम कोर्ट। फोटो: पत्रिका
जयपुर। हाईकोर्ट ने चर्चित एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल व अन्य को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की क्लीन चिट (क्लोजर रिपोर्ट) के खिलाफ प्रार्थना पत्र पर ट्रायल कोर्ट में सुनवाई का रास्ता साफ कर दिया। साथ ही कहा कि ट्रायल कोर्ट ब्यूरो की अनुमति से आगे की जांच कर सकेगा। अब 5 दिसंबर को सुनवाई होगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने पूर्व मंत्री शांति धारीवाल व अन्य की 7 याचिकाओं पर शनिवार को यह आदेश दिया।
राजस्थान हाईकोर्ट ने 15 नवंबर 2022 को धारीवाल के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने वाले आदेश का परीक्षण कर कहा कि वह न एफआईआर में आरोपी था और न उसके खिलाफ चार्जशीट पेश हुई। ऐसे में कार्रवाई रद्द करने का कोई औचित्य नहीं था। राज्य सरकार के कार्रवाई के अधिकार को न्याय प्रक्रिया लंबित रहने के आधार पर सीमित या रोका नहीं जा सकता। कोर्ट की अनुमति से एसीबी आगे जांच कर सकती है। साथ ही स्पष्ट किया कि क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट पिटिशन पर सुनवाई का अधिकार केवल ट्रायल कोर्ट को ही है।
राजस्थान सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक अनुराग शर्मा, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू व सुप्रीम कोर्ट में राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा व अधिवक्ता सोनाली गौर पेश हुए, जिन्होंने कहा कि हाईकोर्ट को धारीवाल की याचिका पर सुनवाई का अधिकार नहीं है। एसीबी ने क्लोजर रिपोर्ट पेश कर आरोपियों को क्लीन चिट दी, जिसके खिलाफ परिवादी की प्रोटेस्ट पिटिशन एसीबी कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट की न्यायिक प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।
धारीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी आर बाजवा ने कहा कि परिवाद में धारीवाल का नाम था, ट्रायल कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट अस्वीकार कर दी। इसे रद्द करने के लिए याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट में आपराधिक याचिका दायर करने का अधिकार है। साथ ही कहा कि वर्ष 2019 में एसीबी ने विस्तृत जांच के बाद ही धारीवाल को क्लीन चिट दी।
वषर् 2005 से 2011 के बीच लगभग 40,000 वर्ग गज भूमि आवंटन के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण और नगरीय विकास एवं आवासन विभाग ने गणपति कंस्ट्रक्शन को एकल पट्टा जारी करने की प्रक्रिया शुरू की। 29 जून 2011 को धारीवाल के नगरीय विकास मंत्री रहते समय पट्टा जारी हुआ। वर्ष 2014 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 300 करोड़ रुपए से अधिक के भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया।
वर्ष 2019 व 2021 में क्लोजर रिपोर्ट्स पेश कर आरोपियों को क्लीन चिट दी गई। ट्रायल कोर्ट ने अप्रेल 2022 में क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर अग्रिम जांच के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने 2022 में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही रोक दी, जिसे अशोक पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 5 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने पुन: सुनवाई के लिए मामला हाईकोर्ट भेज दिया।
Published on:
02 Nov 2025 08:15 am
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