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1865 करोड़ में बना गिरल प्लांट 580 करोड़ में बेचने चले, अधूरे होमवर्क से वापस लेनी पड़ रही याचिका

गिरल थर्मल पावर प्लांट एक बार फिर सुर्खियों में है। उत्पादन निगम ने वर्षों से बंद पड़े 250 मेगावाट के इस प्लांट को बेचने और इसके साथ 1100 मेगावाट का नया प्लांट लगाने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए विद्युत विनियामक आयोग में याचिका भी दायर दी गई, लेकिन अब निगम खुद ही यह याचिका वापस ले रहा है।

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गिरल थर्मल पावर प्लांट फिर सुर्खियों में... इस प्लांट से अब तक 2000 करोड़ से ज्यादा हो चुका है घाटा

विद्युत उत्पादन निगम ने विद्युत विनियामक आयोग से याचिका वापस लेने के लिए भेजा पत्र

जयपुर. गिरल थर्मल पावर प्लांट एक बार फिर सुर्खियों में है। उत्पादन निगम ने वर्षों से बंद पड़े 250 मेगावाट के इस प्लांट को बेचने और इसके साथ 1100 मेगावाट का नया प्लांट लगाने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए विद्युत विनियामक आयोग में याचिका भी दायर दी गई, लेकिन अब निगम खुद ही यह याचिका वापस ले रहा है। अफसर-इंजीनियरों के अधूरे होमवर्क और बड़ी लापरवाही के कारण यह स्थिति बनी है।

सूत्रों के मुताबिक निगम ने आयोग को याचिका वापस लेने के लिए पत्र भेजा है। जबकि इस मामले में 14 नवंबर को जन सुनवाई तय है। अफसर प्रस्ताव में जो कमी है उसे सुधारने का तर्क दे रहे हैं। ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि बिना ईंधन व्यवस्था और वित्तीय प्रबंधन के योजना तैयार करने से सवाल खड़े हो रहे हैं। यह प्लांट बाड़मेर में है और वर्ष 2016 से बंद है।

ये गड़बड़ी-लापरवाही

1- लिग्नाइट आपूर्ति पर नहीं थी स्पष्टता

निगम ने प्रस्ताव में बताया कि नए प्लांट को चलाने के लिए जलिपा और कपूरड़ी खदानों से लिग्नाइट लिया जाएगा, लेकिन ये दोनों खदान पहले से ही निजी कंपनी को आवंटित हैं। याचिका में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि निगम इन खदानों से ईंधन कैसे और किस तरह लेगा।

2- केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट नजरअंदाज

केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिसोर्स एडिक्वेसी प्लान के अनुसार राजस्थान की बिजली की मांग वर्ष 2031-32 तक मौजूदा और स्वीकृत प्राेजेक्ट्स से पूरी हो जाएगी। इसी आधार पर प्राधिकरण ने बिजली आकलन रिपोर्ट में संशोधन करके बिजली की अतिरिक्त मांग घटाकर करीब 1600 मेगावाट ही कर दी है।

2000 करोड़ का घाटा, जनता पर भार

-प्लांट वर्ष 2016 से बंद है, लेकिन फिक्स्ड चार्जेज देने पड़ रहे हैं। घाटा बढ़ता जा रहा है। अभी तक करीब 2000 करोड़ रुपए का घाटा (संचित नुकसान) हो चुका है। खास यह है कि इसमें प्लांट बेचने की न्यूनतम दर 580 करोड़ रुपए रखी गई। जबकि, प्लांट का निर्माण 1865 करोड़ की लागत से किया गया था।

-राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग के मानदंड के अनुसार प्लांट की कुल उत्पादन क्षमता के अनुपात में 75 प्रतिशत बिजली उत्पादन नहीं होता है तो उस इकाई को घाटे में माना जाता है। गिरल प्लांट में 2009 से 2016 के बीच 15 से 30 प्रतिशत तक ही बिजली उत्पादन होता रहा।

फैक्ट फाइल

प्लांट क्षमता- 125-125 मेगावाट की दो यूनिट है

जमीन- 661.25 बीघा

विद्युत उत्पादन हुआ- 3211.27 मिलियन यूनिट (2009 से 2016 के बीच)

इनका कहना है

विद्युत विनियामक आयोग के कुछ ऑब्जर्वेशन हैं, उनके अनुसार प्रस्ताव तैयार करेंगे। इसलिए याचिका वापस ले रहे हैं। दोबारा याचिका लगा देंगे। फिलहाल यही जानकारी दी जा सकती है।

-संजय सनाढ्य, निदेशक (तकनीकी), राज्य विद्युत उत्पादन निगम