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भारतमाला प्रोजेक्ट की 134 किमी लंबी सड़क पर डीएनपी की आपत्ति

जैसलमेर. भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत जैसलमेर-म्याजलार मार्ग और बाड़मेर जिले में मुनाबाव-तनोट मार्ग के 134 किलोमीटर सडक़ निर्माण कार्य को एक बार फिर रुकने की िस्थति बन गई है।

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जैसलमेर. भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत जैसलमेर-म्याजलार मार्ग और बाड़मेर जिले में मुनाबाव-तनोट मार्ग के 134 किलोमीटर सडक़ निर्माण कार्य को एक बार फिर रुकने की िस्थति बन गई है। राष्ट्रीय मरु उद्यान (डीएनपी) ने एनएचएआइ को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि इस परियोजना के लिए मुख्य वन्यजीव वार्डन की अंतिम अनुमति अभी जारी नहीं हुई है। ऐसे में सडक़ निर्माण शुरू नहीं किया जा सकता।जानकारी के अनुसार परियोजना को राज्य के वन विभाग से सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही मिल चुकी है, जिसमें कार्यकारी एजेंसी के लिए कई शर्तें निर्धारित की गई थीं। डीएनपी की प्रमुख आपत्ति 163.43 हैक्टेयर भूमि से संबंधित बताई जाती है, जहां सडक़ परियोजना का बड़ा हिस्सा मरु उद्यान क्षेत्र में आता है।

छह वर्ष से अटका विकसित मार्ग

सीमा क्षेत्रों को जोडऩे वाली इस सडक़ परियोजना को डीएनपी क्षेत्र से गुजरने के कारण छह वर्ष से अधिक समय से रोक दिया गया था। गत वर्ष नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ ने कई शर्तों के साथ इसे मंजूरी दी, जिसके बाद एनएचएआइ ने टेंडर प्रक्रिया पूरी करवाई। लगभग 700 करोड़ रुपए की लागत से 134 किलोमीटर लंबी सडक़ का विस्तारीकरण और सुदृढ़ीकरण किया जाना है। योजना के तहत जैसलमेर से म्याजलार तक लगभग 100 किलोमीटर सडक़ का दोहरीकरण होगा। इसी क्रम में मुनाबाव से तनोट प्रोजेक्ट के अंतर्गत बाड़मेर जिले के सुंदरा से म्याजलार तक 37 किलोमीटर सडक़ निर्माण भी संभव होगा।

वन्यजीव सुरक्षा के कड़े प्रावधान

वन्यजीव संस्थान ने सडक़ डिजाइन के लिए विशेष पशु मार्ग योजना निर्धारित की है। डीएनपी क्षेत्र में चिंकारा की उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए पाइप पुलियों की जगह बड़े आकार के अंडरपास बनाने की सलाह दी गई है। प्रस्तावित 250 मीटर और 150 मीटर के अंडरपास की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया गया है। संरक्षित क्षेत्र में पेड़ों की कटाई, सामग्री निकासी और ईंधन की लकड़ी जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। सडक़ किनारे निर्माण कार्य करते समय वन्यजीवों की आवाजाही सुरक्षित रखने के निर्देश अनिवार्य रूप से लागू होंगे।

इस माह शुरू होने की उम्मीद

विभाग की ओर से सभी प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। निर्माण के लिए सैद्धांतिक अनुमति पहले ही मिल चुकी है और अंतिम अनुमति जारी होते ही संभवत: इस माह कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
-नरेन्द्र सोहू, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ