कुछ वर्ष पहले हजारों की तादाद में जिले के गोवंश के लिए गम्भीर हालात और मौतों की जिम्मेदार बनी त्वचा की बीमारी लम्पी फिर दस्तक दे रही है। कई गांवों में इस बीमारी से पशुधन ग्रस्त हो रहा है। शहरी क्षेत्र ेमें भी इक्का-दुक्का पशु इससे जूझते नजर आते हैं। गौरतलब है कि मवेशियों में पाया जाने वाला लम्पी (गांठदार त्वचा रोग) संक्रामक बीमारी है। यह मवेशियों में पॉक्सविरिडे परिवार के एक वायरस के कारण होता है, जिसे नीथलिंग वायरस भी कहा जाता है। इस रोग के कारण पशुओं की त्वचा पर गांठें होती हैं। समय पर उपचार नहीं मिलने पर इससे ग्रस्त पशु गम्भीर रूप से बीमार और मौत का भी शिकार हो सकता है। जिले के पशुपालकों का आरोप है कि पशुपालन विभाग की तरफ से लम्पी की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान शुरू नहीं किया गया है। दो दिन पहले इस संबंध में शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर बताया कि सीमावर्ती इलाकों में लम्पी का कहर बढऩे लगा है। उन्होंने इसकी रोकथाम के लिए विशेष टीम गठित कर व्यापक टीकाकरण अभियान चलाने की भी मांग की।
जिले के लाठी क्षेत्र में कई गांवों में गोवंश में लम्पी से पशुधन के ग्रस्त होने की सूचनाएं सामने आई हैं। ग्रामीणों के अनुसार केरालिया, लाठी के साथ आसपास के कई गांवों में पशुधन इसकी चपेट में आ रहा है। उनका यह भी कहना है कि विभाग को अवगत करवाए जाने के बावजूद टीकाकरण अभियान शुरू नहीं किया गया। इस बीच गुरुवार को केरालिया में विभाग ने पशुओं का टीकाकरण करवाया। गौरतलब है कि गायों को मुख्यत: निशाना बनाने वाली लम्पी बीमारी में ग्रस्त पशु तेज बुखार की चपेट में आता है और उसके मुंह से लार बहती रहती है और शरीर पर दर्दनाक गांठें या छाले पड़ जाते हैं। बीमारी से ग्रस्त होने पर गायों के दूध उत्पादन में भी गिरावट आती है।
पशुपालन विभाग के अधिकारी डॉ. उमेश वरंगटीवार ने बताया कि लम्पी का फैलाव बड़े पैमाने पर नहीं हुआ है क्योंकि अब इसके बचाव की वैक्सीन आ गई है। उन्होंने दावा किया कि सभी पशु चिकित्सालयों पर यह वैक्सीन उपलब्ध है। उनके अनुसार इक्का-दुक्का मामले सामने आए हैं। डॉ. वरंगटीवार ने कहा कि अब पशुपालकों में इस बीमारी को लेकर जागरुकता आ गई है।
Published on:
09 Oct 2025 09:10 pm
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