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जैसलमेर बस अग्निकांड :आग में घिरी बस 50 मीटर तक दौड़ी, झुलसे यात्रियों की दर्दभरी पुकार…हमें बचा लो

Jaisalmer Bus Fire Update: जैसलमेर से जोधपुर जा रही बस में मंगलवार अपराह्न में थईयात मार्ग पर लगी आग ने हर किसी की रूह कंपा दी। दीपावली की छुट्टियों पर मुस्कुराते चेहरे अचानक चीखों में बदल गए।

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Jaisalmer Bus Fire

Jaisalmer Bus Fire: फोटो पत्रिका

Jaisalmer Bus Fire Update : जैसलमेर। जैसलमेर से जोधपुर जा रही बस में मंगलवार अपराह्न में थईयात मार्ग पर लगी आग ने हर किसी की रूह कंपा दी। दीपावली की छुट्टियों पर मुस्कुराते चेहरे अचानक चीखों में बदल गए। आग में घिरी बस 50 मीटर तक दौड़ी। कोई रिश्तेदारों से मिलने जा रहा था, कोई सामान लेने, तो कोई अपने गांव लौटने की जल्दी में था, लेकिन कुछ ही पलों में बस आग का गोला बन गई। भीषण आग की लपटों में घिरी बस को जिसने भी देखा, उसके रोंगटे खड़े हो गए। हवा में उठते धुएं और आग के बीच यात्रियों की चीखें सुनाई दे रही थीं-हमें बचा लो! कई यात्री खुद को बचाने के लिए बस से कूद पड़े।

राहगीर रुक गए, किसी ने पुलिस को सूचना दी तो कोई पानी के टैंकर जुगत में दौड़ पड़ा। ग्रामीणों ने अपनी जान जोखिम में डालकर आग बुझाने की कोशिश की। कई लोगों के कपड़े जल चुके थे, हाथ-पैर झुलस गए थे, पर उनमें जीने की जिद थी। जब तक दमकल की सहायता से आग बुझाई गई, लग्जरी बस पूरी तरह जलकर खाक हो चुकी थी। गर्म धातु और धुएं के बीच घायलों को निकालने में पुलिस व ग्रामीणों को भारी मुश्किलें आईं।

एंबुलेंस में लाकर जिन यात्रियों को बचाया जा सका, उन्हें राहगीरों और स्थानीय लोगों ने अस्पताल में अपने कंधों पर उठाकर ट्रोमा सेंटर तक पहुंचाया। किसी का शरीर आधा झुलस गया था, तो किसी के हाथ-पैर आग में गल चुके थे। अस्पताल में दर्द से कराहते लोगों की आवाजें सुनकर हर किसी का दिल भर आया। कोई अपने बच्चे को ढूंढ रहा था, कोई भाई या बहन को।

'पांच मिनट पहले बेटे से बात की थी'

एक पिता ने कहा कि बस पांच मिनट पहले बेटे से बात की थी, अब वो कहां है पता नहीं। यह सुनकर डॉक्टरों की आंखें भी नम हो गईं। हादसे की खबर जैसे ही शहर और गांवों तक पहुंची, लोग कांप उठे। दीपावली की रोशनी के बीच यह दर्दनाक हादसा अंधेरे की तरह फैल गया। मददगारों ने जात-पात, धर्म सब भूलकर घायलों को सहारा दिया। किसी ने स्ट्रेचर थामा, तो कोई दवा लाने दौड़ा।

हे भगवान! यह क्या हुआ…

बिखरे थईयात मार्ग पर बिखरे बस की राख के टुकड़े अब सिर्फ बस के नहीं, बल्कि उन सपनों के थे, जो अपने गंतव्य तक कभी नहीं पहुंच पाए। हादसे की तस्वीरें देखकर हर किसी की जुबां पर एक ही शब्द था—हे भगवान, ये क्या हो गया!


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