
फैक्ट्री के लाईसेंस लेकर संचालन तक की सिटकॉन के स्टेट हेड ने दी जानकारी
रायपुर. पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के इलेक्ट्र्रानिक्स विभाग में इंटरप्रेन्योरशिप पर सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। सेमिनार के तीसरे दिन बुधवार को छत्तीसगढ़ इंडस्ट्रियल एंड टेक्निकल कंसलटेंसी सेंटर (सिटकॉन) के स्टेट हेड पीके निमोनकर और कंसलटेंट इंजी. योगेश शर्मा ने सेमिनार में उद्योगों के विकास, संचालन सहित अन्य तकनीकी जानकारी विस्तार से बताई।
सेमिनार में काफी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक विभाग के स्टूडेंट व फैकेल्टी को निमोनकर ने दवा की फैक्ट्री संचालित करने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भविष्य में एलोपैथी दवाओं से अधिक आयुर्वेदिक दवाओं का बाजार अच्छा है। आयुर्वेदिक दवाओं का चूर्ण बनाने की फैक्ट्री 30 बाई 50 के हाल में शुरू हो सकती है। इसे शुरू करने में तीन से चार लाख की लागत आएगी। उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक दवाएं पाउडर, पेस्ट, कैप्सूल और टेबलेट फार्म में बनाई जाती हैं। इन दवाओं को रखने और बनाने में भी एलोपैथिक दवाओं से कम लागत और मशीनरी की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए कंपनी के टर्नओवर के के मुताबिक अलग-अलग लाइसेंस की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि फ्रूट ग्रेंस का बिजनेस आज के समय में काफी फायदेमंद है। बाजार में 200 प्रकार फ्रूट ग्रेंस हैं और हर एख फ्रूट ग्रेंस से १० अलग-अलग फैक्ट्री शुरू की जा सकती है। आवला का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि इससे रीठा, पाउडर, लिक्विड जैसे कई अलग-अलग चीजें बनाई जा सकती हैं।
Published on:
22 Jan 2020 09:14 pm
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