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जैसलमेर बस हादसा : न कोई जलकर मरता, न तड़पता… काश जोधपुर की तरह चित्तौड़ RTO भी कर देता ऐसा काम

Jaisalmer Bus Fire: चित्तौड़गढ़ आरटीओ ने यातायात नियमों पर आंखें मूंद पास कर दी बस, सितम्बर में जोधपुर आरटीओ में जैसलमेर हादसे वाली बस आई थी पंजीयन के लिए, मानक पर खरी नहीं होने से कर दिया इनकार

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जलती हुई बस। फाइल फोटो- पत्रिका

जोधपुर। 14 अक्टूबर को जोधपुर-जैसलमेर रूट पर हुए भीषण बस अग्निकाण्ड के बाद केवल इस बस की ही नहीं बल्कि सड़कों पर दौड़ रही अन्य प्राइवेट बसों की गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। साथ ही नियमों की धज्जियां उड़ा सड़क पर दौड़ती इन बसों को पास करने वाले अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई है।

यातायात नियमानुसार परिवहन विभाग बस संचालन संबंधित मानकों व औपचारिकताओं पर खरा उतरने के बाद ही बस को सड़क पर उतारने के लिए हरी झण्डी देता है, लेकिन चित्तौड़गढ़ प्रादेशिक परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के अधिकारी ने आंखें मूंद मानकों पर खरी नहीं उतरने वाली बस को पास कर दिया और बस को सड़क पर उतरने का अधिकार दे दिया। जबकि इसी बस को जोधपुर आरटीओ ने सही मानकों का नहीं होने पर रिजेक्ट कर दिया था। अगर चित्तौड़गढ आरटीओ भी जोधपुर के आरटीओ के नक्शे कदम पर चलते, तो हादसे में 28 निर्दोष लोगों की जान नहीं जाती।

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सितम्बर में जोधपुर आरटीओ में आई थी बस

विभागीय सूत्रों के अनुसार यह बस सितम्बर में जोधपुर के आरटीओ कार्यालय में आई थी, लेकिन तत्कालीन आरटीओ जेपी बैरवा ने बस को निर्धारित मानकों पर खरा नहीं पाए जाने पर पंजीयन करने से मना कर दिया था।

ये होते हैं सामान्य मापदण्ड

  • ऑटोमेटिव इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड (एआइएस-52) व (एआइएस 153) के अनुसार सामान्यतया एक बस की ऊंचाई 3.8 मीटर (सामान्य बस), लेकिन बॉडी निर्माण में इनकी डिग्गी को छोटा-बड़ा करने के लिए ऊंचाई को कम-ज्यादा कर देते हैं।
  • व्हील बेस की 60-65 प्रतिशत तक लम्बाई बढ़ा सकते हैं, लेकिन बस को बड़ा करने के लिए इसकी लंबाई बढ़ा देते हैं।
  • बस की चौड़ाई 2.44 मीटर होना चाहिए।

ऐसे दिखाई लापरवाही

  • बस गलत मापदण्डों से तैयार कराई गई। जोधपुर आरटीओ ने मापदण्डों के अनुरूप सही नहीं मानते हुए पंजीकरण नहीं किया। चित्तौड़गढ़ आरटीओ ने इसको दरकिनार किया।
  • बस का भौतिक रूप से चित्तौड़गढ़ ले गए बिना ही पंजीयन हो गया। चित्तौडगढ़ के आरटीओ अधिकारी ने भौतिक सत्यापन के बिना केवल कागजों के आधार पर ही पंजीयन कर दिया।
  • सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स, ऑटोमेटिव इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड (एआईएस-52) व (एआईएस 153) के मापदण्डों के अनुसार बस संचालित नहीं की जा रही थी। बस बॉडी निर्माण भी गलत मापदण्डों से कराया गया।

उपचार के दौरान 7 की मौत

बता दें कि जोधपुर के अस्पताल में 15 लोग भर्ती हुए थे। इनमें से 7 लोगों की उपचार के दौरान मौत हो गई। अब तक चार को डिस्चार्ज किया गया। तीन लोग यहां से बिना चिकित्सकीय अनुमति के उपचार के लिए अन्य शहरों में गए हैं। एक महिला मरीज अब तक अस्पताल में भर्ती है।


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