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डूंगरी बांध को लेकर ग्रामीणों से राय लेने की प्रक्रिया शुरू, जानिए किन गांवों के प्रभावित होने की है संभावना

Dungri Dam Project: चीफ इंजीनियर रवि सोलंकी ने आश्वस्त किया कि मुआवजा व्यवस्था ग्रामीणों की अपेक्षाओं और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर तय की जाएगी।

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Photo- Patrika

Dungri Dam Project: सपोटरा। पंचायत समिति सभागार में करौली जिला कलेक्टर नीलाभ सक्सेना की अध्यक्षता और पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल की मौजूदगी में पार्वती–कालीसिंध–चंबल लिंक परियोजना पर महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस दौरान जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर रवि सोलंकी भी मौजूद रहे।

चीफ इंजीनियर ने बताया कि वर्ष 2017 में राजस्थान नहर परियोजना के अंतर्गत डब्ल्यूएपीसीओएस की डीपीआर में बनास नदी पर डूंगरी गांव के पास डूंगरी बांध का पूर्ण भराव तल 230 मीटर तथा भराव क्षमता 2100 एमसीएम प्रस्तावित की गई थी।

बाद में प्रभावित भूमि, परिसंपत्तियों, आबादी, वन क्षेत्र और आवश्यक जलभराव के आधार पर पुनरीक्षण करते हुए बांध का पूर्ण भराव तल 227.50 मीटर तथा भराव क्षमता 1588 एमसीएम निर्धारित की गई।

नदी के निचले हिस्सों में बसे 16 गांव प्रभावित होंगे

उन्होंने सपोटरा ब्लॉक के सभी विभागीय अधिकारियों से डूब क्षेत्र और प्रभावित गांवों को लेकर चर्चा की। बताया कि करौली जिले में 71775 हैक्टेयर नवीन सिंचित क्षेत्र विकसित करने और 19720 हैक्टेयर क्षेत्र पुनर्स्थापित करने की योजना है। वहीं सवाईमाधोपुर जिले में 53255 हैक्टेयर भूमि को सिंचित करने और 14584 हैक्टेयर क्षेत्र पुनर्स्थापित करने की जानकारी दी गई।

डूंगरी बांध के जलभराव से बिलोली नदी, भूरी पहाड़ी, तालेड़ा, भावपुर, डूंगरी, खिदरपुर जादू, हाडौती, रूपपुरा, पदमपुरा सहित कई गांव प्रभावित होने की संभावना जताई गई। उन्होंने बताया कि अधिकतर गांवों में जलभराव नदी के प्राकृतिक बहाव क्षेत्र में ही रहेगा। बनास और मोरेल नदी के निचले हिस्सों में बसे 16 गांव प्रभावित होंगे।

चीफ इंजीनियर सोलंकी ने बताया कि करौली और सवाईमाधोपुर जिले के 10 से 75 प्रतिशत हिस्से बाडोलास, डूंगरी, श्यामौली, सांकड़ा, हाडौती, बडौदा, एकट गांव प्रभावित सूची में हैं, जबकि 75 प्रतिशत से अधिक संभावित आबादी वाले क्षेत्र में विलोली, भूरी पहाड़ी, तालेड़ा, भोपुर, खिदरपुर जादौन, रूपपुरा, पदमपुरा और किराड़ी शामिल किए गए हैं।

उन्होंने सभी अधिकारियों को ग्रामीणों की राय और मंशा जानने के निर्देश दिए। जिला कलेक्टर नीलाभ सक्सेना ने विभिन्न विभागों से फीडबैक लेते हुए आजीविका, विस्थापन और मुआवजे से संबंधित बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान अधिकारियों ने मुआवजा संरचना और पुनर्वास से जुड़ी बातों को रखा।

प्रभावितों के पुनर्वास के लिए नियमानुसार पट्टे जारी किए जाएंगे

चीफ इंजीनियर ने आश्वस्त किया कि मुआवजा व्यवस्था ग्रामीणों की अपेक्षाओं और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर तय की जाएगी। डूब क्षेत्र से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए उन्हें नियमानुसार पट्टे जारी किए जाएंगे। बैठक में सपोटरा एसडीओ पंकज बडगूजर, तहसीलदार दिलीप कुमार अग्रवाल, पुलिस उप अधीक्षक सुनील कुमार, बीसीएमएचओ डॉ मनोज मीणा, बीईईओ लखनलाल मीणा, विकास अधिकारी बृजलाल बैरवा, जल संसाधन विभाग के कनिष्ठ अभियंता भीमसिंह मीणा सहित सभी विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। अंत में चीफ इंजीनियर ने ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को सात दिवस में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इसके बाद ग्रामीणों से राय लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।