
Children are not getting milk, dairies are not supplying milk powder.
खुले में फैट के नाम बिक रहे दूध की शुद्धता का कोई पैमाना नहीं, तय कर रखे मनमाने रेट -शहर में प्रतिदिन 80-85 हजार लीटर दूध की खपत, कहीं भी फैट की मात्र नहीं लिखी - दूध में खेल
शहर की दूध दुकानों पर फैट के नाम पर खेल चल रहा है। दुकानदार तीन तरह के दूध रख रहें और अपने हिसाब से इनकी कीमत तय कर बेच रहे है।खुले में बिक रहे दूध की कीमत 46 से लेकर 72 रुपए तक रखी हुई। बड़ी बात की खुले में बिक रहे तीन तरह के दूध में फैट की मात्रा कितनी है, यह कितना शुद्ध है, इसका कोई मापदंड तय नहीं है। यही नहीं, अलग-अलग फैट के नाम पर बिक रहे दूध के दामों का निर्धारण प्रशासन ने भी नहीं किया है।ऐसे में ज्यादा फैट के नाम पर शहरवासी महंगे दूध खरीद कर ठगा रहे है।
शहर में प्रति दिन 80-85 हजार लीटर दूध की खपत है। इसमें अकेले 10 हजार 500 लीटर सांची का पैक्ड दूध शामिल है। इसके अलावा दो अन्य निजी संस्थाओं का पैक्ड दूध बाजार में बिक रहा है। करीब 50 से 60 हजार लीटर खुले में दूध डेयरियों से बेचा जा रहा है। शहर में अनेक दूध दुकानों पर दो से तीन तरह के दूध बेचे जा रहे है। अलग-अलग दूध के पीछे फैट मात्रा होना बताया जा रहा है।
सवाल यह है कि खुले में बिक रहे अलग-अलग फैट वाले दूध की शुद्धता या इनमें फैट कितना है, इसका कोई आंकलन नहीं है। ग्राहक दुकानदारों की बात पर विश्वास कर ही दूध खरीद रहे हैं। दुकानों पर कहीं भी नहीं लिखा है कि फैट कितना है। जबकि दुकानदार किसानों से दूध का फैट मशीन से मापने के बाद लेते हैं। ऐसा खरीदारों के साथ नहीं होता। पर सवाल खुले में बिकने वाले दूध की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है। ऐसा इस लिए कि खुले में दूध परिवहन की थ्री लेयर की चैन है। पशुपालक से दूधिया और तीसरे नंबर पर विक्रेता के पास दूध पहुंचता है। इस बीच दूध की गुणवत्ता सवालों के घेरे में आ जाती है।
शहर में विक्रेता ग्राहकों को 4 फैट का दूध 46-48 रुपए, 5 फैैट का दूध 54 से 56 तो 6 से 7 फैट वाला 60-62 रुपए में बेचा जा रहा है। कुछ जगह तो 8 फैट का दूध बताकर 70-72 रुपए प्रति लीटर भाव से बेचा जा रहा है।ग्राहकों को बेचते समय दूध का फैट मापने का कोई पैमाना नहीं है। दुकानदार ही तय कर रहा है कि इतने फैट का दूध है और इसकी इतनी कीमत है।
-वेटनरी के सहायक संचालक डॉ हेमंत शाह के अनुसार भैंसों में नस्ल के तहत फैट होता है। सामान्य तौर पर भैंस के प्रति लीटर दूध में औसत 6 से 8 तक फैट होते हैं। देसी गाय के दूध में अधिकतम 4 और क्रॉस यानी विदेशी गायों में 3.50 फैट मापा गया है।
-दूध लेते समय फैट की मात्रा और दर लिखित रूप से पूछें।
-केवल जुबानी भरोसे पर दूध न लें।
-पैक्ड दूध पर फैट और एसएनएफ ( सॉलिड नॉट फैट ) की जानकारी लेबल पर जरूर देखें।
-दूध कारोबारी फैट की जांच मशीन से करे और सही जानकारी दे। -ग्राहकों को दूध की गुणवत्ता और दर की पारदर्शी जानकारी देना अनिवार्य है।
-यदि नियमों का पालन नहीं हो रहा है तो शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ( एफएसएसएआई ) ने दूध और दूध उत्पादों के लिए न्यूनतम फैट और एसएनएफ ( सॉलिड नॉट फैट ) की सीमा तय की है। इसमें पैक्ड दूध में फैट की मात्रा ( जैसे टोंड, डबल टोंड, फुल क्रीम ) स्पष्ट रूप से पैकेट पर लिखना जरूरी है। हालांकि खुले दूध को लेकर कोई नियम नहीं है।
-विक्रेताओं के पास फैट मशीनें हैं। ग्राहक चेक करवा सकते हैं। मोबाइल लैब में भी आम जनता और व्यापारी को दूध की गुणवत्ता की संतुष्टि के लिए टेस्ट करवा सकता है। लीगल नमूने फेल होने पर कार्रवाई होती है। दिसंबर में अब तक 90 नमूने लैब में लिए गए हैं।
-संजीव कुमार मिश्रा, जिला खाद्य अधिकारी
Published on:
05 Dec 2025 01:06 pm
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