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राहत: टोल लेन में लगे क्यूआर कोड, वाहन चालकों ने किया डिजिटल भुगतान

अब जिस वाहन पर फास्टैग नहीं है या फिर फास्टैग में राशि नहीं है तो वह टोल प्लाजा पर यूपीआई (डिजिटल) माध्यम से भुगतान करेगा तो उसे दोगुनी टोल राशि नहीं चुकानी पड़ेगी।

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फोटो पत्रिका नेटवर्क

मदनगंज-किशनगढ़। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले वाहनों को राहत दी है। अब जिस वाहन पर फास्टैग नहीं है या फिर फास्टैग में राशि नहीं है तो वह टोल प्लाजा पर यूपीआई (डिजिटल) माध्यम से भुगतान करेगा तो उसे दोगुनी टोल राशि नहीं चुकानी पड़ेगी। किशनगढ़ टोल नाके पर यह व्यवस्था लागू कर दी गई है।

शनिवार को कई वाहन चालकों ने इसका फायदा उठाया और अपने मोबाइल के जरिए यूपीआई से टोल राशि का भुगतान कर आसानी से टोल प्लाजा को पार किया। वहीं टोल प्रबंधन ने भी टोल लेन में यूपीआई भुगतान के लिए फिलहाल क्यूआर कोड लगा दिए हैं। इससे किशनगढ़ टोल प्लाजा होकर गुजरने वाले सैकड़ों वाहन चालकों को प्रतिदिन समय और धन दोनों की बचत होगी।

अजमेर-जयपुर नेशनल हाइवे समेत अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों के टोल प्लाजा से आने-जाने वाले यात्री अब फास्टैग स्कैन की समस्या आने पर यूपीआई के जरिए भुगतान कर सकेंगे। पहले फास्टैग काम नहीं करने या स्कैन नहीं होने पर चालकों को दोगुना टोल देना पड़ता था। इससे न केवल चालकों को निर्धारित दरों से दोगुनी राशि टोल राशि के रूप में भुगतनी पड़ती थी, बल्कि कई बार टोल प्लाजा पर विवाद की स्थिति भी बन जाती। अब इन समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।

टोल बूथों पर लगेगा कम समय

किशनगढ़ टोल प्लाजा कपनी के अधिकारी ने बताया कि नए नियमों से फास्टैग से जुड़े वाहन लाइन में कम समय खड़े रहेंगे। भुगतान प्रक्रिया तेज होगी और हाइवे जाम से बड़ी राहत मिलेगी। किशनगढ़ क्षेत्र में रोजाना करीब 55 से 60 हजार वाहन गुजरते हैं। इनमें से कई ऐसे चालक भी होते हैं, जिन्हें फास्टैग स्कैन की दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

व्यापारियों और यात्रियों को मिलेगा फायदा

किशनगढ़ मार्बल मार्केट के ट्रांसपोर्टरों को भी इसका फायदा मिलेगा। रोजाना कई गाड़ियों में फास्टैग की तकनीकी समस्या आ जाती थी, जिस कारण माल ढुलाई लागत बढ़ जाती थी। अब फास्टैग फेल होने पर यूपीआई से भी भुगतान किया जा सकेगा और ऑपरेटरों को खर्च में राहत मिलेगी। साथ ही आए दिन टोल बूथों पर फास्टैग मशीन की खराबी या सर्वर डाउन रहने से बेवजह दोगुना शुल्क देना पड़ता था या विवाद की स्थिति बन जाती थी जो कि अब नहीं होगी।