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सड़क पर न पानी न सफाई.. उड़ती धूल से बढ़ा प्रदूषण! कोरबा की हवा हुई ज़हरीली, सांस लेना हुआ मुश्किल…

Korba Air Pollution: कोरबा जिले में ऊर्जाधानी की आबो हवा खराब है। प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों में भिलाई, रायपुर के अलावा कोरबा भी शामिल है।

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सड़क पर न पानी न सफाई.. उड़ती धूल से बढ़ा प्रदूषण! कोरबा की हवा हुई ज़हरीली, सांस लेना हुआ मुश्किल...(photo-patrika)

सड़क पर न पानी न सफाई.. उड़ती धूल से बढ़ा प्रदूषण! कोरबा की हवा हुई ज़हरीली, सांस लेना हुआ मुश्किल...(photo-patrika)

Korba Air Pollution: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में ऊर्जाधानी की आबो हवा खराब है। प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों में भिलाई, रायपुर के अलावा कोरबा भी शामिल है। कोरबा में प्रदूषण का बड़ा कारण कोयले के छोटे- छोटे कण और बिजली घरों से निकलने वाला राख है, जो ऊर्जाधानी की हवा में घुल गया है। गर्मी हो या सर्दी हर मौसम में धूल के कण सांसों में समा रहा है। इससे सांस से संबंधित बीमारियां हो रही हैं। आंखों की रोग भी परेशान कर रही है।

Korba Air Pollution: कोयला कणों और धूल ने बिगाड़ी शहर की हवा

प्रदेश में पॉवर हब से पहचाने जाने वाले कोरबा में प्रदूषण का बड़ा कारण यहां से निकलने वाला कोयला और इसपर आधारित उद्योग हैं, जिसमें बिजली घर प्रमुख है। कोरबा की धरती में कोयले का विशाल भंडार है। इसका खनन साऊथ इस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड करती है। कोयले को खोदकर एक स्थान पर भंडारण किया जाता है।

यहां से पे लोडर या अन्य मशीनों से उठाकर ट्रक ट्रेलर या रेल के वैगन में भरा जाता है। इस प्रक्रिया में सबसे अधिक कोयले के छोटे- छोटे कण उडते हैं। हवा में घुलकर कण आसपास के क्षेत्रों में फैल जाते हैं। यही नहीं जब ट्रक, ट्रेलर या अन्य गाड़ियों से कोयला परिवहन किया जाता है, तो सही तरीके से ढका नहीं जाता है। रास्ते चलती गाड़ियों से कोल डस्ट उड़ता है। कोरबा से कुसमुंडा, कोरबा से चांपा, दीपका- पाली, दीपका- कटघोरा और दीपका- हरदीबाजार मार्ग पर कोल परिवहन सबसे अधिक है।

आंखों में जलन और लालीपन की समस्या

इससे सड़क पर कोयले की धूल उड़ रही है। आसपास स्थित पेड़ों के हरे पत्तों पर कोल डस्ट की काली परते देखकर धूल का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। यह कोल डस्ट सड़क चलने वाले लोगों की परेशानी बढ़ाता है। सांस लेने पर नाक के रास्ते फेफड़े में पहुंच जाता है। इससे दमा जैसी घातक बीमारियां होती है। फेफड़ा भी कमजोर हो जाता है। ठंड के दिन में कोरबा में कोल डस्ट की समस्या गंभीर हो गई है। तापमान कम होने से धूल के कण जमीन से ज्यादा उपर नहीं उठ सक रहे हैं।

ठंड के दिन में आंखों में जलन और लालीपन की बीमारियों सामने आ रही हैं। आंखों से पानी बहने की समस्या लेकर भी मरीज पहुंच रहे हैं। 100 में से करीब 20 मरीजों में इस तरह की बीमारियां देखी जा रही है। इससे बचने के लिए आंखों को दिन में कम से कम दो तीन बार साफ पानी से धोएं। आंखों को साफ करने के लिए साफ तैलियाें को इस्तेमाल करें। तकलीफ अधिक होने पर डॉक्टर से सपर्क कर सकते हैं।

राख से नहीं मिला छुटकारा

कोरबा की आबो हवा खराब होने का बड़ा कारण थर्मल प्लांटों के बांध से होने वाला राख परिवहन है। कोरबा में अधिकांश कंपनियां अपने राखड़ को ट्रक या ट्रेलर पर उठाकर सड़क मार्ग के रास्ते बाहर भेज रही हैं। राख को गाड़ियों पर सही तरीके से नहीं ढका जाता है। इससे राख रास्ते भर उड़ता है। गाड़ियों के पीछे चलने वाले दुपहिया वाहन चालक सबसे अधिक परेशान होते हैं। सड़क पर उठ रहा राख बस में बैठे यात्रियों की फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं।

ठंड से आंखों में जलन और लालीमा, रेतिलापन की समस्या हुई गंभीर

ठंड होने से सड़क पर धूल की समस्या गंभीर हो गई है, वहीं इसका असर लोगों की सेहत पर देखा जा रहा है। ठंड से आंखों में जलन और लालीमापन आ रहा है। आंखों में रेतिलापन की समस्या भी देखी जा रही है। इसमें व्यक्ति को ऐसा लगता है, कि उसकी आंखों में रेत के कण समा गए हों। ठंड में आंखों में सूखापन आता है। इससे आंखों की ग्रंथियां अधिक सक्रिए हो जाती है और ज्यादा पानी का स्त्राव करती हैं। इससे ठंड में आंखों से ज्यादा पानी निकलता है। इससे बचने के लिए दिन में दो-तीन बार साफ पानी से आंखों को धोने की जरुरत पड़ती है।

पर्यावरण संरक्षण मंडल की खानापूर्ति कार्रवाई

ऊर्जाधानी में प्रदूषण की गंभीर समस्या है। इसकी रोकथाम का दायित्व पर्यावरण संरक्षण मंडल पर है। लेकिन मंडल की ओर से अभी तक किसी की संस्थान के खिलाफ कोई ऐसी कार्रवाई नहीं हुई, जो प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर हो। नोटिस देने और जवाब लेने के अलावा विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है।