
मथुरा-कोटा-नागदा सेमी हाई स्पीड ट्रेक पर वंदे भारत का परीक्षण शुरू। फोटो पत्रिका
Vande Bharat : दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रेक पर कोटा रेल मंडल के मथुरा से नागदा के बीच तैयार किए गए प्रदेश के सेमी हाई स्पीड रेलवे ट्रेक का निर्माण पूरा होने के बाद इस पर रविवार से वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल शुरू हो गया। प्रोजेक्ट मिशन रफ्तार-160 का काम पूरा होने के एक सप्ताह बाद ही रविवार को कोटा से मथुरा मार्ग पर 16 कोच की वंदे भारत ट्रेन का 155 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रायल शुरू किया गया। पहले दिन RDSO की टीम की ओर से खाली ट्रेन का संचालन किया गया।
मथुरा-कोटा-नागदा सेमी हाई स्पीड ट्रेक पर आरडीएसओ की टीम 15 दिन तक विभिन्न स्पीड और परिस्थतियों में वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल करेगी। इस दौरान इसकी इमरजेंसी ब्रेकिंग, खाली व यात्रीभार के बराबर वजन के साथ ट्रायल किए जाएंगे। आरडीएसओ के अधिकारियों के नेतृत्व में रविवार को कोटा के लोको इंस्पेक्टर नेतराम मीणा, लोको पायलट पंचम सिंह और नाजिम हुसैन ने ट्रायल में भाग लिया।
मथुरा-कोटा-नागदा सेमी हाई स्पीड ट्रेक का काम अभी एक सप्ताह पहले ही पूरा हुआ है। इस दौरान मथुरा-कोटा-नागदा 549 किमी के रेल खंड पर पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित कवच 4.0 सिस्टम लागू कर दिया है। अब रेलवे संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) के निरीक्षण करने के बाद अनुमति मिलते ही ट्रैक पर ट्रेनें 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकेंगी। इतनी तेज गति से ट्रेन संचालन करने के लिए ट्रैक के दोनों तरफ सेफ्टी वॉल तैयार की गई है। द्रुत गति से संचालन से ट्रैक पर अतिरिक्त ट्रेनों के संचालन के लिए समय मिल सकेगा। साथ ही अधिक रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों का ठहराव किया जा सकेगा।
इससे पहले भी नागदा-कोटा-मथुरा रेलवे ट्रेक पर वंदे भारत एक्सप्रेस के 20 कोच वाले रैक की कोटा मंडल में 9 अगस्त 2024 को 160 व 180 की स्पीड से ट्रॉयल किया गया। अब सेमी हाई स्पीड रेलवे ट्रेक तैयार होने के बाद आरडीएसओ वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल कर रही है।
प्रोजेक्ट के तहत नागदा-मथुरा खंड में कार्य कुल 2890.39 करोड़ की लागत से किया गया। नागदा-मथुरा के मध्य मिशन रफ्तार प्रोजेक्ट का कार्य तीन भागों में विभाजित कर किया गया। इसमें मथुरा-गंगापुरसिटी 152 किमी, गंगापुरसिटी-कोटा 172 किमी एवं कोटा-नागदा 221 किमी शामिल है। इसमें तीन विभाग इलेक्ट्रिकल, संकेत एवं दूरसंचार तथा इंजीनियरिंग की ओर से काम पूरा हो चुका है।
परियोजना से ट्रेक मानवीय भूल से होने वाली दुर्घटनाओं से सुरक्षित होगा। लोको पायलट इंजन के भीतर ही अगले सिग्नल की जानकारी कैब-डिस्प्ले से ले सकेगा। इससे कोहरे की स्थिति या कम दृश्यता होने पर भी सुरक्षित ट्रेन संचालन संभव होगा। कवच 4.0 में रेलवे ट्रैक के किनारे टावर बनाए गए हैं। ये ट्रैक से जुड़े हैं। ट्रेन इंजन डिस्प्ले बोर्ड में लोको पायलट को आगे के सिग्नल की पहले की स्थिति का पता लग जाता है। सिस्टम से ट्रेन केवल सुरक्षित दूरी तक ही चलेगी।
यदि ट्रेन गलती से आगे या पीछे लुढ़कती है तो यह स्वत: ब्रेक लगाकर रोक देती है। लेवल-क्रॉसिंग से लगभग 600 मीटर पहले ऑटोमेटिक हॉर्न बजाकर सड़क के वाहनचालकों को सतर्क करेगी। आपात स्थिति में लोको पायलट और स्टेशन मास्टर के बीच इंस्टेंट-कम्युनिकेशन की सुविधा भी मिलेगी।
नागदा से मथुरा रेलवे मार्ग अति व्यस्त रेलमार्ग है। यह 3 राज्यों के महत्वपूर्ण शहरों को आपस में जोड़ता है। ऐसे में इस पर काफी व्यस्तता रहती है। इस से मार्ग पर इन ट्रेनों के संचालन और छोटे स्टेशनों पर ट्रेनों के ठहराव, मार्ग पर लोकल ट्रेनों के संचालन में काफी परेशानी होती है। इसके अलावा आदर्श स्थितियां होने के कारण इस मार्ग पर रेलवे की ओर से विभिन्न नई ट्रेनों का ट्रायल भी किया जाता है। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए इस मार्ग का चयन मिशन रफ्तार प्रोजेक्ट के लिए किया गया।
Published on:
03 Nov 2025 02:55 pm
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