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दिल्ली ब्लास्ट में हुआ टेलीग्राम के इस सीक्रेट फीचर का इस्तेमाल? जानें कैसे करता है काम

Delhi Blast: दिल्ली कार ब्लास्ट के बाद से देश भर में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। जांच में खबर आई है इस हमले की साजिश रचने के लिए टेलीग्राम के सीक्रेट फीचर का इस्तेमाल किया गया है! चलिए जानते हैं क्या है ये सीक्रेट फीचर और कैसे काम करता है।

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Delhi Blast

Delhi Blast (Image: IANS)

Delhi Blast: दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट के बाद से सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट मोड में हैं। शुरुआती जांच में यह बात सामने आ रही है कि हमले की प्लानिंग के लिए कथित तौर पर एक मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम का इस्तेमाल किया गया है। डिजिटल बातचीत को छिपाने के लिए इस ऐप में मौजूद एक खास फीचर को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बातचीत इस तरह से की गई है कि कोई तीसरा व्यक्ति पढ़ नहीं सकता है। इस घटना के बाद यह चर्चा तेज है कि आखिर टेलीग्राम का सीक्रेट चैट फीचर कैसे काम करता है और इसे पकड़ पाना इतना मुश्किल क्यों माना जाता है? चलिए आसान भाषा में समझते हैं।

टेलीग्राम का सीक्रेट चैट फीचर क्या करता है?

टेलीग्राम में एक विशेष विकल्प होता है जिसे सीक्रेट चैट कहा जाता है। यह सामान्य चैट से बिल्कुल अलग तरीके से काम करता है। इसमें मैसेज सिर्फ दो खास डिवाइसों पर ही पढ़े जा सकते हैं। यह चैट न तो टेलीग्राम के सर्वर पर और न ही कहीं और सेव होती है।

टेलीग्राम के इस सीक्रेट फीचर की खास बातें

  • मैसेज सिर्फ एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक सीमित रहते हैं।
  • उन्हें फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता।
  • स्क्रीनशॉट लेने पर सामने वाले को तुरंत सूचना मिल जाती है।
  • चैट में भेजे गए मैसेज कुछ समय बाद अपने आप डिलीट भी हो जाते हैं।
  • यह फीचर ग्रुप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

यही वजह है कि यह बातचीत का एक ऐसा माध्यम बन जाता है जिसे ट्रैक करना बेहद कठिन होता है।

एन्क्रिप्शन कैसे पूरी बातचीत छिपा देता है?

इन चैट्स में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। इसका मतलब है कि भेजने वाला और पाने वाला, सिर्फ यही दो लोग संदेश पढ़ सकते हैं। बीच में कोई भी - न ऐप कंपनी, न इंटरनेट प्रदाता और न ही कोई बाहरी संस्था इस मैसेज को समझ नहीं सकती।

एन्क्रिप्शन संदेश को एक कोड में बदल देता है जिसे खोलने की चाबी सिर्फ उन्हीं दो डिवाइसों के पास होती है। यही कारण है कि इस तरह की बातचीत को पकड़ पाना या उसे डिकोड करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।

आसानी से मिल जाते हैं ये ऐप, इसलिए दुरुपयोग भी आसान

साइबर सुरक्षा से जुड़ी चर्चाओं में यह अक्सर कहा जाता है कि ऐसे ऐप आतंकियों या अपराधियों की पसंद बन जाते हैं, क्योंकि ये ऐप फ्री होते हैं कोई भी डाउनलोड कर सकता है। अगर एक ऐप पर रोक लग जाए तो तुरंत दूसरे ऐप पर शिफ्ट होना आसान है। कई ऐप के सर्वर भारत से बाहर रहते हैं जिससे डेटा हासिल करना मुश्किल हो जाता है। निजी चैट्स पर निगरानी करना पहले ही एक चुनौतीभरा काम है।

इन कारणों के चलते जांच एजेंसियों को इस तरह की डिजिटल बातचीत तक पहुंचने में काफी दिक्कत आती है।

मैसेज अपने आप गायब क्यों हो जाते हैं?

सीक्रेट चैट फीचर में मैसेज के लिए एक टाइमर सेट किया जाता है। एक निश्चित समय के बाद चैट अपने आप डिलीट हो जाती है, जिससे बातचीत का कोई रिकॉर्ड नहीं बचता है। इस खास सेटिंग के कारण किसी भी चैट को बाद में जांच करना लगभग असंभव हो जाता है।

इसलिए बढ़ती है चिंता

ऐसे फीचर्स का मकसद लोगों की निजता की सुरक्षा करना है, लेकिन जब इनका उपयोग गलत गतिविधियों में होने लगता है तो यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन जाता है। खासकर तब, जब निजी चैट्स को मॉनिटर करना तकनीकी रूप से ही कठिन हो और मैसेज ऑटो डिलीट हो जाएं।