
Kosmos AI Scientist (Image: Edison Scientific)
Kosmos AI Scientist: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में हर हफ्ते कोई न कोई नए मॉडल की चर्चा होती रहती है, लेकिन कुछ टूल ऐसे आते हैं जो सिर्फ तकनीकी शोर नहीं मचाते बल्कि विज्ञान के भविष्य पर सीधा असर डालने की क्षमता रखते हैं। इन्हीं में से एक Kosmos है, जिसे Future House नाम की एक गैर-लाभ वाली रिसर्च लैब ने बनाया है।
इस लैब को गूगल के पूर्व CEO एरिक श्मिट का समर्थन हासिल है, और यही वजह है कि इस प्रोजेक्ट पर दुनिया की नजर और भी ज्यादा टिक गई है। दिलचस्प बात यह है कि Kosmos को एक “AI Scientist” कहा जा रहा है। यानी एक ऐसा डिजिटल सिस्टम जो वैज्ञानिकों की तरह पढ़ सकता है, सोच सकता है, तुलना कर सकता है और नए निष्कर्ष तक पहुंच सकता है।
OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने भी इसकी तारीफ की है और कहा है कि इसी तरह के AI टूल आगे चलकर दुनिया में सबसे बड़ा बदलाव लाएंगे।
Kosmos एक ऐसा AI मॉडल है जिसे वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रक्रिया को तेज और अधिक सटीक बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। पहले भी Robin नाम का एक AI वैज्ञानिक मौजूद था, लेकिन उसकी क्षमता सीमित थी। Kosmos इसे कई गुना आगे ले जाता है।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अलग-अलग जगहों से मिले ढेर सारे डेटा को जोड़कर एक साफ और लगातार चलने वाली वैज्ञानिक सोच बना लेता है।
कंपनी का कहना है कि Kosmos सैकड़ों तरह की सूचनाओं को जोड़ते हुए लगातार एक ही रिसर्च लक्ष्य पर काम करता रहता है। लाखों टोकन के डेटा को देखते हुए भी यह फोकस नहीं खोता, जबकि इंसान के लिए इतने लंबे समय तक इतनी गहराई से काम करना काफी मुश्किल होता है।
Kosmos को लेकर सैम ऑल्टमैन की प्रतिक्रिया इसमें और भी वजन जोड़ देती है। ऑल्टमैन ने कहा कि भविष्य में वैज्ञानिक अनुसंधान की गति को दोगुना या तिगुना करने वाली तकनीकें इसी तरह की होंगी। AI सामान्य बातचीत से आगे बढ़कर अब विज्ञान, चिकित्सा और गणित के असली कठिन सवालों पर हाथ डाल रहा है। Kosmos इसका पहला बड़ा उदाहरण है।
AI समुदाय में सबसे ज्यादा चर्चा इस बात पर है कि Kosmos ने एक बार के रन में वह शोध दोहरा दिया जो मानवीय वैज्ञानिकों को करने में करीब चार महीने लगे थे। यानी अगर यह तकनीक सही दिशा में विकसित की गई तो वैज्ञानिक खोजें अब महीने-साल नहीं, बल्कि दिनों और घंटों में हो सकती हैं।
यह भी दिलचस्प है कि Kosmos अकेला नहीं है। इससे पहले Google ने भी “AI co-scientist” नाम का मॉडल पेश किया था, जो वैज्ञानिकों के लिए हाइपोथेसिस और प्रयोग योजनांए बनाने में मदद करता है।
दुनियाभर में कई स्टार्टअप अब खास तौर पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए AI टूल बना रहे हैं। चिकित्सा, जेनेटिक्स और मटेरियल साइंस जैसे क्षेत्रों में AI को भविष्य का सबसे बड़ा गेमचेंजेर माना जा रहा है।
हालांकि, वैज्ञानिक समुदाय के कुछ लोग अभी भी सतर्क हैं। उनका कहना है कि बड़े भाषा मॉडल अभी गलतियां भी कर सकते हैं और कई बार ‘हेलुसिनेशन’ यानी काल्पनिक तथ्य भी प्रस्तुत कर देते हैं। इसलिए इन प्रणालियों की सीमाएं समझकर ही इन्हें प्रयोग में लाना होगा।
Future House का कहना है कि Kosmos को पूरी तरह “ट्रेस करने योग्य” बनाया गया है। यानी AI के हर निष्कर्ष को कोड की लाइन या शोध-पत्र की उस पंक्ति तक पहुंचकर जांचा जा सकता है जिसने AI को वह निष्कर्ष निकालने की प्रेरणा दी। वैज्ञानिकों के लिए यह एक बड़ी सुविधा है क्योंकि इससे रिसर्च पारदर्शी रहती है और AI की गलती पकड़ना आसान हो जाता है।
टेस्टिंग में Kosmos ने न्यूरोसाइंस, जेनेटिक्स, मटेरियल साइंस और एजिंग रिसर्च जैसे कई क्षेत्रों में अच्छा काम किया। इसने पुराने शोध दोहराने के साथ-साथ चार नए वैज्ञानिक विचार भी सामने रखे, जिनकी अब लैब में जांच चल रही है।
सबसे चौंकाने वाला दावा यह है कि एक सिंगल Kosmos रन वैज्ञानिकों के 6 महीने के काम के बराबर परिणाम दे सकता है। अगर यह दावा लंबे समय तक सही साबित होता है तो यह विज्ञान की दुनिया में वही भूमिका निभा सकता है जो कंप्यूटर ने 1980 के दशक में निभाई थी।
AI इंसानों की जगह लेने नहीं आया है बल्कि उनके काम को तेज, बेहतर और अधिक सटीक बनाने आया है। Kosmos जैसी तकनीकें इस बात का संकेत हैं कि आने वाले दशक में वैज्ञानिक खोजें पहले से कई गुना तेज होंगी। चिकित्सा, दवाइयों के विकास, नई ऊर्जा तकनीकों और ब्रह्मांड से जुड़े शोधों में क्रांति आ सकती है।
Published on:
18 Nov 2025 03:28 pm
बड़ी खबरें
View Allटेक्नोलॉजी
ट्रेंडिंग
