
सामंथा की शादी की तस्वीरें | Photo- Samantha Ruth Prabhu/ Instagram
Samantha Ruth Prabhus Diamond Ring : एक्ट्रेस सामंथा रुथ प्रभु ने 1 दिसंबर को फिल्ममेकर राज निदिमोरू से ईशा योग केंद्र में बड़े ही सादे और सुंदर तरीके से शादी की। उनका रॉयल रेड सिल्क साड़ी लुक लोगों को काफी पसंद आ रहा है, लेकिन चर्चा में तो सामंथा की विंटेज डायमंड रिंग बनी हुई है। ये पोर्ट्रेट-कट डायमंड रिंग कोई आम रिंग नहीं (Samantha Vintage Diamond Ring), इसका कनेक्शन भारत के इतिहास और शाहजहां से है। ये रिंग मुगल कला, पुरानी गहनों की परंपरा और भारतीय बुनाई की कहानी कहती है।
इतिहास को देखें तो पता चलता है कि पोर्ट्रेट-कट दुनिया की सबसे पुरानी कला है, जिसकी खोज 13वीं शताब्दी में भारत में की गई… लेकिन इस कट को असली पहचान दिलाने में मुगल बादशाह शाहजहां का सबसे बड़ा हाथ है। शाहजहां को डायमंड बेहद पसंद थे, जिसमें पोर्ट्रेट-कट डायमंड सबसे ज्यादा उनके दिल को भाता था।
शाहजहां के नाम से अक्सर ताजमहल ही याद आता है, लेकिन उनसे जुड़ी कई खास चीजें आज भी मौजूद हैं। उन्हें जवाहरात और मिनीएचर पेंटिंग्स का बहुत शौकीन था। उन्होंने पेंटिंग्स को सुरक्षित रखने के लिए एक नया तरीका निकाला, जिसमें पतले और ट्रांसपेरेंट डायमंड को पेंटिंग के ऊपर रखा जाता था। इससे कला भी सुरक्षित रहती है और वो हमेशा चमकते हुए भी नजर आते हैं।
पोर्ट्रेट-कट डायमंड एक बेहद अनोखा और ऐतिहासिक डायमंड कट है। ये एक आम डायमंड की तरह चमकदार नहीं होता। इसकी खासियत पारदर्शिता (Transparency) और पतले, फ्लैट शेप में छिपी हुई है। इसे "पोर्ट्रेट कट" इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसे शाहजहां ने पहली बार मिनिएचर पेंटिंग्स के ऊपर लगवाया था। इससे वो खराब नहीं होता है और हमेशा चमकता रहा है। इस डायमंड को सुरक्षात्मक (Protective) कांच की परत की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
इस कट में डायमंड बहुत साफ और पतला होता है, इसके नीचे रखी हुई किसी-भी चीज को साफ - साफ देख सकते हैं। आज भी पोर्ट्रेट-कट डायमंड को रॉयल, विंटेज और बहुत एक्सक्लूसिव माना जाता है। यह ज्वेलरी को एक तरह का ‘मॉडर्न-मुगल’ टच भी देता है।
सामंथा की शादी की साड़ी भी इतिहास से कम नहीं थी। उन्होंने फ्लेमिंग रेड कतान साटन सिल्क बनारसी साड़ी पहनी है। ये शाही डिजाइन और पारंपरिक बुनाई का एक अनोखा मेल है। इस सिल्क साड़ी की परंपरा का इतिहास लगभग 500-600 साल पुराना है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत मुगल काल में की गई। सामंथा की इस साड़ी को एक ही कारीगर ने 2–3 हफ्ते लगाकर हाथ से बुना है।
Published on:
02 Dec 2025 05:41 pm
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