
दिल्ली बम विस्फोट जांच में बड़ा आर्थिक खुलासा (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group )
Delhi Blast Probe Shocker: राजधानी दिल्ली में हाल ही में हुए कार-बम विस्फोट की जांच में अब वित्तीय साजिश के गहरे कदम सामने आ रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों को डॉ. शाहीन सईद (Shaheen) नामक आरोपी महिला आतंकी के सात बैंक खाते मिले हैं,जिनमें तीन कानपुर, दो लखनऊ और दो दिल्ली में खुले हुए थे। इन खातों में पिछले सात वर्षों में लगभग ₹1.55 करोड़ का लेन-देन हुआ है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि इस मामले में सिर्फ हिंसा ही नहीं बल्कि वित्तीय नेटवर्क भी सक्रिय रहा था। जांच एजेंसियों ने यह भी बताया कि उक्त बैंक खातों के स्रोत, जमा करने वाले और निकासी करने वालों का पुरजोर पता लगाने का काम चल रहा है। उन्हें यह पता लगाने का प्रयास है कि यह पैसा कहां से आया, किसने ट्रांसफर किया और इसका इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों या अन्य गहरे नेटवर्क में कैसे हुआ।
जांच में यह सामने आया है कि ये बैंक खाते सिर्फ व्यक्तिगत वित्तीय लेन-देन तक सीमित नहीं है। एजेंसियां यह भी खंगाल रही हैं कि क्या ये खाते आतंकवादी संगठन को आर्थिक रूप से सपोर्ट करने के लिए बनाए गए थे या फिर इनके जरिए किसी प्रकार की मनी-लॉन्ड्रिंग हो रही थी। स्रोतों के मुताबिक, पहले चरण की जांच में यह नज़र आ रहा है कि शाहीन ने इन खातों के माध्यम से जिहादी संगठनों के सहयोगियों को वित्तीय मदद पहुंचाई, और साथ ही संभवतः सुरक्षित घर (“safe house”) और संचार ढांचे को फंड किया गया।
जांच अब तीन शहरों- कानपुर, लखनऊ और दिल्ली में फैली हुई है। कानपुर में तीन खाते मिले हैं, जबकि लखनऊ और दिल्ली में दो-दो खाते हैं।
जांच एजेंसियां न सिर्फ खातों के मूल लेन-देन को देख रही हैं, बल्कि यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं:
डॉ. शाहीन सईद (Shaheen Saeed) नगर में साहचर्य और पेशेवर रूप से एक प्रतिष्ठित डॉक्टर रही हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार, वह अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ी थीं, और करीबी सहयोगी डॉ. मुजम्मिल अहमद गनाई के नेटवर्क में काम कर रही थीं। उनके साथी Dr. गनाई के कब्जे से विस्फोटक सामग्री बरामद की जा चुकी है। साथ ही, शाहीन के पास से उनकी कार में एक असॉल्ट राइफल भी जब्त की गई थी। जांचकर्ता यह भी देख रहे हैं कि जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच उन्होंने कितनी बार GSVM मेडिकल कॉलेज (कानपुर) का दौरा किया, किन लोगों से मिलीं, और उन्होंने कहाँ ठहरने की व्यवस्था की थी।
जांच की गहराई बढ़ाने के लिए, सुरक्षा एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस, उत्तर प्रदेश ATS और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के सहयोग से संयुक्त छापेमारी और निगरानी अभियान चलाए हैं। लखनऊ में भी शाहीन के परिवार और सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की गई है, और उनके भाई डॉ. परवेज़ अंसारी को मौके पर हिरासत में लिया गया है।
यह मामला सिर्फ पारंपरिक आतंकवाद की तस्वीर नहीं है। जांचकर्ताओं का कहना है कि यह “व्हाइट-कोट आतंकवाद” (White-collar terrorism) का एक उदाहरण लगता है,जहाँ डॉक्टर, प्रोफेसर और अन्य उच्चशिक्षित पेशेवर अपनी प्रतिष्ठा और वित्तीय संसाधनों का इस्तेमाल आतंकवादी नेटवर्क को मदद देने के लिए करते हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शाहीन के खातों में जुड़ी वित्तीय एंट्रीज़ की फोरेंसिक जांच की जा रही है।
जांचकर्ताओं का अनुमान है कि शाहीन ने आतंकवादी भर्ती, संचार माध्यम और सुरक्षित ठिकानों की व्यवस्था के लिए वित्त पोषण किया। उन्होंने कथित रूप से हवाला चैनलों का उपयोग किया, और कुछ रकम को जेएम (Jaish-e-Mohammed) के हैंडलर्स तक पहुंचाने में सहायता की। इसके अलावा, एजेंसीज़ अफवाह जता रही हैं कि वित्तीय सहायता देने वालों की सूची तैयार की जा रही है, जिसमें व्यक्तियों और समूहों की पहचान करना शामिल है, जो शाहीन और उसके सहयोगियों के साथ गहरे आर्थिक और राजनीतिक संपर्क में रह सकते थे।
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Published on:
17 Nov 2025 07:58 pm
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