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Delhi Blast: दिल्ली विस्फोट जांच में बड़ा खुलासा: डॉ. शाहीन के 7 खाते, 1.55 करोड़ के लेनदेन का सुराग

Delhi Blast Dr Shaheen: दिल्ली बम विस्फोट की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। आरोपी महिला आतंकी डॉ. शाहीन के कानपुर, लखनऊ और दिल्ली में सात बैंक खाते मिले हैं, जिनमें सात वर्षों में 1.55 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि यह रकम किस स्रोत से आई और कहाँ खर्च हुई।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 17, 2025

दिल्ली बम विस्फोट जांच में बड़ा आर्थिक खुलासा (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group )

दिल्ली बम विस्फोट जांच में बड़ा आर्थिक खुलासा (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group )

Delhi Blast Probe Shocker: राजधानी दिल्ली में हाल ही में हुए कार-बम विस्फोट की जांच में अब वित्तीय साजिश के गहरे कदम सामने आ रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों को डॉ. शाहीन सईद (Shaheen) नामक आरोपी महिला आतंकी के सात बैंक खाते मिले हैं,जिनमें तीन कानपुर, दो लखनऊ और दो दिल्ली में खुले हुए थे। इन खातों में पिछले सात वर्षों में लगभग ₹1.55 करोड़ का लेन-देन हुआ है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि इस मामले में सिर्फ हिंसा ही नहीं बल्कि वित्तीय नेटवर्क भी सक्रिय रहा था। जांच एजेंसियों ने यह भी बताया कि उक्त बैंक खातों के स्रोत, जमा करने वाले और निकासी करने वालों का पुरजोर पता लगाने का काम चल रहा है। उन्हें यह पता लगाने का प्रयास है कि यह पैसा कहां से आया, किसने ट्रांसफर किया और इसका इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों या अन्य गहरे नेटवर्क में कैसे हुआ।

 आर्थिक तंत्र का खुलासा

जांच में यह सामने आया है कि ये बैंक खाते सिर्फ व्यक्तिगत वित्तीय लेन-देन तक सीमित नहीं है। एजेंसियां यह भी खंगाल रही हैं कि क्या ये खाते आतंकवादी संगठन को आर्थिक रूप से सपोर्ट करने के लिए बनाए गए थे या फिर इनके जरिए किसी प्रकार की मनी-लॉन्ड्रिंग हो रही थी। स्रोतों के मुताबिक, पहले चरण की जांच में यह नज़र आ रहा है कि शाहीन ने इन खातों के माध्यम से जिहादी संगठनों के सहयोगियों को वित्तीय मदद पहुंचाई, और साथ ही संभवतः सुरक्षित घर (“safe house”) और संचार ढांचे को फंड किया गया।

तीन शहरों में पैठ

जांच अब तीन शहरों- कानपुर, लखनऊ और दिल्ली में फैली हुई है। कानपुर में तीन खाते मिले हैं, जबकि लखनऊ और दिल्ली में दो-दो खाते हैं।

  • कानपुर: यह शहर शाहीन के लिए विशेष महत्व रखता है, एजेंसियों का मानना है कि उन्होंने पहले यहीं बेसी नेटवर्क विकसित किया था।
  • लखनऊ: Shahin की पारिवारिक और पेशेवर जड़ों का एक हिस्सा यही है। उनकी पढ़ाई-नौकरी और संपर्कों की पड़ताल की जा रही है।
  • दिल्ली: क्योंकि विस्फोट राजधानी में हुआ, इसलिए दिल्ली में उनके खाते और ट्रांजेक्शन पैटर्न विशेष रूप से संदिग्ध माने जा रहे हैं।

एजेंसियों का मकसद: वित्तीय नेटवर्क का नक्शा तैयार करना

जांच एजेंसियां न सिर्फ खातों के मूल लेन-देन को देख रही हैं, बल्कि यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं:

  • डिपॉजिट किस स्रोत से हो रहे थे? – स्थिर आमदनी, हवाला चैनल, गैरकानूनी आधार?
  • निकासी कहाँ और कैसे हो रही थी? – संदिग्ध व्यक्तियों, समूहों, आतंकवादी नेटवर्क तक पहुँच?
  • सहयोगियों की पहचान – खातों के लेनदेन में शामिल नामों को ट्रेस करना, उन लोगों की सूची बनाना जो व्यवस्थागत या गुप्त समर्थन दे रहे थे।
  • नी लॉन्ड्रिंग की संभावना – यह कि क्या लेन-देन का कुछ हिस्सा “साफ़” करना (मनी लॉन्ड्रिंग) था, खासकर यदि इसे आतंकी गतिविधियों में पुनः निवेश किया गया हो। सीबीआई, एनआईए, एटीएस जैसे एजेंसियां इस वित्तीय ट्रेल को रणनीतिक रूप से जोड़ रही हैं, जिससे संभावित आतंकी नेटवर्क को पूरी तरह उजागर किया जा सके।

डॉ. शाहीन की पृष्ठभूमि और संदिग्ध गतिविधियाँ

डॉ. शाहीन सईद (Shaheen Saeed) नगर में साहचर्य और पेशेवर रूप से एक प्रतिष्ठित डॉक्टर रही हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार, वह अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ी थीं, और करीबी सहयोगी डॉ. मुजम्मिल अहमद गनाई के नेटवर्क में काम कर रही थीं। उनके साथी Dr. गनाई के कब्जे से विस्फोटक सामग्री बरामद की जा चुकी है। साथ ही, शाहीन के पास से उनकी कार में एक असॉल्ट राइफल भी जब्त की गई थी। जांचकर्ता यह भी देख रहे हैं कि जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच उन्होंने कितनी बार GSVM मेडिकल कॉलेज (कानपुर) का दौरा किया, किन लोगों से मिलीं, और उन्होंने कहाँ ठहरने की व्यवस्था की थी।

खुफिया एजेंसियों की सक्रियता और सुरक्षा बढ़ी

जांच की गहराई बढ़ाने के लिए, सुरक्षा एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस, उत्तर प्रदेश ATS और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के सहयोग से संयुक्त छापेमारी और निगरानी अभियान चलाए हैं। लखनऊ में भी शाहीन के परिवार और सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की गई है, और उनके भाई डॉ. परवेज़ अंसारी को मौके पर हिरासत में लिया गया है।

आतंकवाद का “व्हाइट-कोट” चेहरा: नए तौर-तरीके

यह मामला सिर्फ पारंपरिक आतंकवाद की तस्वीर नहीं है। जांचकर्ताओं का कहना है कि यह “व्हाइट-कोट आतंकवाद” (White-collar terrorism) का एक उदाहरण लगता है,जहाँ डॉक्टर, प्रोफेसर और अन्य उच्चशिक्षित पेशेवर अपनी प्रतिष्ठा और वित्तीय संसाधनों का इस्तेमाल आतंकवादी नेटवर्क को मदद देने के लिए करते हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शाहीन के खातों में जुड़ी वित्तीय एंट्रीज़ की फोरेंसिक जांच की जा रही है।

मानी गई साजिश की गहराई

जांचकर्ताओं का अनुमान है कि शाहीन ने आतंकवादी भर्ती, संचार माध्यम और सुरक्षित ठिकानों की व्यवस्था के लिए वित्त पोषण किया। उन्होंने कथित रूप से हवाला चैनलों का उपयोग किया, और कुछ रकम को जेएम (Jaish-e-Mohammed) के हैंडलर्स तक पहुंचाने में सहायता की। इसके अलावा, एजेंसीज़ अफवाह जता रही हैं कि वित्तीय सहायता देने वालों की सूची तैयार की जा रही है, जिसमें व्यक्तियों और समूहों की पहचान करना शामिल है, जो शाहीन और उसके सहयोगियों के साथ गहरे आर्थिक और राजनीतिक संपर्क में रह सकते थे।

इस जांच में कई जटिलताएँ सामने आई हैं

  • मनी लॉन्ड्रिंग ट्रेल- जहां पैसा आया और कहाँ गया, उसका ट्रेल ट्रेस करना बहुत कठिन हो सकता है, खासकर यदि लेन-देन छिपे या गुमनाम स्रोतों से किया गया हो।
  • सहयोगी पहचान-खातों में जुड़े अन्य व्यक्तियों और समूहों को पकड़ना और साबित करना कि उन्होंने जानबूझकर आतंकवाद को फंड किया था।
  • राजनीतिक और सामाजिक जुड़ाव- यह देखना कि शाहीन और उसके नेटवर्क का स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किस प्रकार का सहयोग और छुपा हुआ समर्थन था।
  • सुरक्षित वित्तीय संरचनाए- यदि बैंकों में आतंकवादी वित्त की पुनरावृत्ति रोकनी है, तो बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय निगरानी को और मजबूत करना होगा। जांच एजेंसियां इस गहराई की पड़ताल कर रही हैं कि यह नेटवर्क कितना बड़ा और संगठित था, और क्या इसे और फैलने से रोका जा सकता है।