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Lucknow में अब हरे-नीले रंग के अधिकृत कूड़ा ठेले, अवैध ठेलों की पहचान होगी आसान और व्यवस्था मजबूत

Lucknow नगर निगम ने कूड़ा संग्रह प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए बड़ी पहल की है। अब शहर में चलने वाले सभी अधिकृत ठेलों को हरे और नीले रंग में रंगा जाएगा। इस कदम का उद्देश्य अवैध ठेलों की पहचान आसान बनाना और स्वच्छता व्यवस्था को अधिक पारदर्शी व जवाबदेह बनाना है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 12, 2025

नगर निगम के आधिकारिक ठेले अब हरे और नीले रंग में दिखेंगे (फोटो सोर्स : News Whatsapp Group )

नगर निगम के आधिकारिक ठेले अब हरे और नीले रंग में दिखेंगे (फोटो सोर्स : News Whatsapp Group )

Lucknow  शहर में स्वच्छता व्यवस्था को अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से नगर निगम ने एक नई पहल की शुरुआत कर दी है। शहर में कूड़ा संग्रह करने वाले सभी अधिकृत ठेलों को अब मानकीकृत रंगों में रंगा जाएगा। इस कदम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि केवल वही वाहन या ठेले कूड़ा उठाने का अधिकार रखें, जिन्हें नगर निगम ने विधिवत अनुमति दी है। नई व्यवस्था के तहत इन ठेलों को हरे और नीले रंग के संयोजन में रंगा जाएगा, जिससे पहचान सरल हो जाएगी और अवैध रूप से संचालित ठेलों पर रोक लग सकेगी।

नगर आयुक्त गौरव कुमार ने इस संबंध में सभी अपर नगर आयुक्तों को पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आगामी एक माह के भीतर शहर में चल रहे लगभग दस हजार अधिकृत कूड़ा संग्रह ठेलों को नियत रंगों में रंगने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। इस कार्य पर नगर निगम द्वारा लगभग पचास लाख रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है। नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार यह निवेश शहर की स्वच्छता व्यवस्था को अधिक अनुशासित करने और अनधिकृत गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है।

नई व्यवस्था में हर ठेले पर संबंधित जोन का नाम और एक विशिष्ट नंबर अंकित किया जाएगा। इससे दो-स्तरीय लाभ मिलने की उम्मीद है। पहला, नगर निगम के लिए यह ट्रैक करना आसान होगा कि किस जोन में कितने अधिकृत वाहन या ठेले काम कर रहे हैं और उनका संचालन किस प्रकार हो रहा है। दूसरा, शहर के निवासी भी अधिकृत और अनधिकृत ठेलों के बीच स्पष्ट अंतर समझ सकेंगे, जिससे शिकायत या अनियमितता की स्थिति में जिम्मेदारी तय करना पहले की अपेक्षा कहीं सरल होगा।

नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि शहर के कुछ हिस्सों में अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा निजी ठेले संचालित किए जाने की शिकायतें पहले भी आती रही हैं। इन ठेलों का संचालन नगर निगम की जानकारी में नहीं होने के कारण न तो इन पर स्वच्छता मानकों की निगरानी हो पाती है और न ही इनके कारण होने वाली शिकायतों का कोई स्पष्ट समाधान उपलब्ध होता है। निगम की नई व्यवस्था का उद्देश्य यही है कि कूड़ा प्रबंधन से जुड़े सभी वाहन एक मानक प्रणाली के अंतर्गत संचालित हों।

इसके अलावा, नगर निगम ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी जोन में अधिकृत रंगों से अलग किसी ठेले को कूड़ा उठाते हुए पाया गया तो उस क्षेत्र के जोनल अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय जिम्मेदारी तय करने और पूरे सिस्टम को अधिक जवाबदेह बनाने हेतु लिया गया है। अधिकारियों का मानना है कि इससे अनियमित ठेले चलाने वाले लोगों पर प्रभावी अंकुश लगेगा और स्वच्छता व्यवस्था में लापरवाही घटेगी।

नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अक्सर शहर में यह शिकायत मिलती है कि निजी ठेले कूड़ा उठाने के नाम पर अव्यवस्थित ढंग से काम करते हैं, जिससे गली-मोहल्लों में गंदगी रहने की स्थिति बनती है। कई बार ये ठेले कूड़े को अस्वीकृत स्थानों पर डाल देते हैं, जिससे पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ती हैं और नगर निगम की व्यवस्थित कूड़ा-प्रबंधन योजना बाधित होती है। रंग-कोडिंग की नई व्यवस्था इसी अव्यवस्था को दूर करेगी।

नया कदम शहर में स्वच्छता की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में एक अहम प्रयास है। हाल के वर्षों में लखनऊ नगर निगम स्वच्छ भारत मिशन और राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण के अंतर्गत कई सुधारात्मक कदम उठा चुका है, जिनके सकारात्मक परिणाम शहर की रैंकिंग और सफाई व्यवस्था में दिखाई दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह नई पहल स्वच्छता तंत्र को और मजबूत करेगी।

नगर निगम ने ठेकेदारों और अधिकृत कूड़ा-संग्रहकर्ताओं को भी निर्देश दिया है कि वे अपने वाहनों व ठेलों को नई रंग-योजना के अनुसार तैयार कराएं और निर्धारित समय सीमा में प्रक्रिया को पूर्ण करें। निगम की योजना है कि अगले चरण में इन ठेलों पर जीपीएस ट्रैकिंग व्यवस्था भी लागू की जाए ताकि निगरानी और सेवा की गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जा सके।

साथ ही कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि नगर निगम को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिकृत ठेलों पर काम करने वाले कर्मचारी उचित वर्दी पहनें, पहचान-पत्र साथ रखें और गली-मोहल्लों में तय समय पर पहुंचें। उनका कहना था कि रंग-कोडिंग व्यवस्था तभी सफल होगी जब इसके साथ निगरानी की व्यवस्था को भी कड़ा किया जाएगा।