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Teacher Leave Policy: अब फोन नहीं, पोर्टल से मिलेगी छुट्टी! हाईस्कूल शिक्षकों पर सख्त हुआ शिक्षा विभाग

Teacher Leave Policy News:   उत्तर प्रदेश के हाई स्कूलों के शिक्षकों को अब अवकाश के लिए फोन या आवेदन पत्र भेजने की अनुमति नहीं होगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सख्त आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब से सभी शिक्षक और शिक्षणेतर कर्मचारी केवल ‘मानव संपदा पोर्टल’ के माध्यम से ही छुट्टी के लिए आवेदन करेंगे। फोन या कागज़ी आवेदन से ली गई छुट्टी स्वतः निरस्त मानी जाएगी और ऐसा करने वाले शिक्षकों को गैरहाजिर दर्ज किया जाएगा। विभाग ने निरीक्षण टीमें बनाकर इसकी निगरानी भी शुरू कर दी है।

4 min read

लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 07, 2025

हाई स्कूलों के शिक्षकों की  फोन या आवेदन पत्र से छुट्टी हुई बंद      (फोटो सोर्स : Whatsapp )

हाई स्कूलों के शिक्षकों की  फोन या आवेदन पत्र से छुट्टी हुई बंद      (फोटो सोर्स : Whatsapp )

Teacher Leave Policy UP: उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की कार्यशैली में अनुशासन लाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश के सभी सरकारी हाई स्कूलों के शिक्षक और शिक्षणेतर कर्मचारी केवल ‘मानव संपदा पोर्टल’ (Manav Sampada Portal) के माध्यम से ही किसी प्रकार की छुट्टी ले सकेंगे। फोन या कागज़ी आवेदन पत्र के जरिए अवकाश लेने की परंपरा को विभाग ने समाप्त कर दिया है। इस नई व्यवस्था के तहत किसी भी शिक्षक या कर्मचारी द्वारा फोन से या आवेदन पत्र भेजकर छुट्टी मांगने की कोशिश स्वतः निरस्त मानी जाएगी। इतना ही नहीं, ऐसा करने वाले शिक्षक को उस दिन गैरहाजिर भी माना जाएगा। विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब अवकाश स्वीकृति की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी तरीके से होगी, जिससे अनधिकृत अनुपस्थिति पर रोक लगाई जा सके।

मानव संपदा पोर्टल से ही होगा आवेदन

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि प्रदेश के सभी हाईस्कूलों और इंटर कॉलेजों के शिक्षक, शिक्षणेतर कर्मचारी एवं प्रधानाचार्य मानव संपदा पोर्टल पर लॉगिन कर अपनी छुट्टी का आवेदन करेंगे। यह आवेदन संबंधित प्राधिकारी, जैसे प्रधानाचार्य या जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS)  के पास ऑनलाइन स्वीकृति हेतु पहुंचेगा। ऑफलाइन माध्यम से दिए गए किसी भी आवेदन को अब स्वीकार नहीं किया जाएगा। निदेशक ने कहा कि यह निर्णय शिक्षण संस्थानों में अनुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

फोन पर छुट्टी लेने की सुविधा खत्म

अब तक कई शिक्षक विद्यालय प्रशासन को फोन कर या साधारण आवेदन पत्र भेजकर छुट्टी ले लेते थे। इस व्यवस्था का दुरुपयोग कर कई लोग बिना औपचारिक अनुमति के अनुपस्थित रहते थे। विभाग को शिकायतें मिल रही थीं कि कई शिक्षक परीक्षा अवधि में या शिक्षण दिवसों पर बिना छुट्टी स्वीकृत कराए विद्यालय नहीं आते। इसी पृष्ठभूमि में विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए साफ कर दिया है कि कोई भी शिक्षक फोन पर छुट्टी लेने की सूचना देकर अनुपस्थित नहीं रह सकता। अब यह सीधा अनुशासनहीनता मानी जाएगी और संबंधित शिक्षक को “अनधिकृत अनुपस्थित” माना जाएगा।

निरीक्षण टीमें करेंगी सघन निगरानी

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस नई व्यवस्था की निगरानी के लिए विशेष निरीक्षण टीमें गठित कर दी हैं। ये टीमें अवकाश के दिनों को छोड़कर सभी कार्यदिवसों में यादृच्छिक रूप से स्कूलों का निरीक्षण करेंगी। निरीक्षण में यदि पाया गया कि कोई शिक्षक बिना स्वीकृत अवकाश के अनुपस्थित है, तो उसका नाम रिपोर्ट में दर्ज कर शिक्षा निदेशालय को प्रतिदिन भेजा जाएगा। निदेशक ने कहा है कि निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर संबंधित शिक्षक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।

सभी जिलों के अधिकारियों को मिले सख्त निर्देश

इस संबंध में जारी सर्कुलर प्रदेश के सभी मंडलों के मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, मंडलीय उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) और समस्त जिला विद्यालय निरीक्षकों (DIOS) को भेजा गया है। निर्देश में कहा गया है कि ये अधिकारी सुनिश्चित करें कि आदेशों का तत्काल अनुपालन हो। साथ ही यह भी कहा गया है कि किसी भी शिक्षक या कर्मचारी द्वारा नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर उसे गैरहाजिर दर्ज किया जाए और उसका वेतन काटा जाए।

अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं से पहले आई सख्ती

माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने यह सर्कुलर ऐसे समय में जारी किया है, जब प्रदेश भर के हाई स्कूलों में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं प्रारंभ होने जा रही हैं। विभाग को शिकायतें मिल रही थीं कि कई विद्यालयों में शिक्षक परीक्षा ड्यूटी के दौरान अनुपस्थित रहते हैं, जिससे परीक्षा संचालन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। डॉ. महेंद्र देव ने कहा कि “परीक्षाओं के समय शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। कोई भी शिक्षक यदि बिना अनुमति अनुपस्थित पाया जाता है, तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

डिजिटल मॉनिटरिंग से बढ़ेगी पारदर्शिता

शिक्षा विभाग का मानना है कि मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से अवकाश आवेदन की व्यवस्था लागू होने से शिक्षकों की उपस्थिति पर डिजिटल निगरानी संभव होगी। इस पोर्टल पर हर शिक्षक का सर्विस रिकॉर्ड, उपस्थिति, वेतन और अवकाश विवरण दर्ज रहता है। ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से अब यह देखा जा सकेगा कि किस शिक्षक ने कब और किस कारण से छुट्टी मांगी, और वह स्वीकृत हुई या नहीं। इससे अनधिकृत अनुपस्थिति और गलत सूचनाओं पर पूर्णविराम लग सकेगा।

प्रमुख शिक्षा अधिकारियों की प्रतिक्रिया

प्रदेश के कई जिला विद्यालय निरीक्षकों ने इस कदम का स्वागत किया है। लखनऊ के एक वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी ने बताया कि “अब कोई भी शिक्षक मनमाने ढंग से छुट्टी नहीं ले पाएगा। सबकुछ सिस्टम पर दर्ज होगा, जिससे फर्जी अवकाश की संभावना समाप्त होगी।” वाराणसी मंडल के एक अधिकारी ने कहा कि “मानव संपदा पोर्टल से छुट्टी की प्रक्रिया पारदर्शी और जवाबदेह बनेगी। यह कदम शिक्षकों की नियमितता बढ़ाने में सहायक होगा।”

शिक्षकों के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया

हालांकि, कुछ शिक्षकों ने इस नई व्यवस्था को लेकर चिंता भी जताई है। उनका कहना है कि पोर्टल पर तकनीकी दिक्कतें आने पर आवेदन पेंडिंग रह जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की समस्या के चलते कभी-कभी छुट्टी का आवेदन समय पर नहीं भेजा जा सकता। इसके बावजूद अधिकांश शिक्षकों ने माना कि यह कदम अनुशासन और पारदर्शिता के लिए आवश्यक है। एक शिक्षक ने कहा, “पहले कुछ लोग बिना बताए छुट्टी ले लेते थे, जिससे पूरे स्टाफ की छवि खराब होती थी। अब सभी को समान नियमों में रहना होगा।”

ऑनलाइन छुट्टी स्वीकृति की प्रक्रिया ऐसे होगी

  • शिक्षक या कर्मचारी मानव संपदा पोर्टल (ehrms.upsdc.gov.in) पर लॉगिन करेंगे।
  • अवकाश आवेदन फॉर्म में तिथि, कारण और अवकाश का प्रकार भरेंगे।
  • आवेदन स्वचालित रूप से संबंधित प्रधानाचार्य या DIOS के पास अनुमोदन हेतु जाएगा।
  • स्वीकृति या अस्वीकृति की सूचना ईमेल/एसएमएस से शिक्षक को प्राप्त होगी।
  • सभी विवरण पोर्टल के डेटाबेस में संरक्षित रहेंगे।

गैरहाजिरी पर होगी कार्रवाई

विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई शिक्षक बिना स्वीकृति के अनुपस्थित पाया गया तो उसे “गैरहाजिर” माना जाएगा और उस अवधि का वेतन काटा जाएगा। साथ ही, दोहराव की स्थिति में अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जा सकती है। निदेशक ने कहा कि “अब विभागीय अनुशासन के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। शिक्षा की गुणवत्ता तभी सुधर सकती है जब शिक्षक अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाएं।”

शिक्षण संस्थानों में अनुशासन की नई पहल

माध्यमिक शिक्षा विभाग का यह निर्णय प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही स्थापित करने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है। जहां एक ओर यह व्यवस्था शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ाएगी, वहीं दूसरी ओर यह सुनिश्चित करेगी कि विद्यार्थियों की पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा न आए। डिजिटल युग में यह परिवर्तन शिक्षा प्रणाली को और अधिक उत्तरदायी, ई-गवर्नेंस आधारित और तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगा।