
अलीगंज के 101 वर्षीय धार्मिक केंद्र को मिलेगा नया रूप (फोटो सोर्स : Information Department )
Revamp Begins: लखनऊ के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को नई पहचान देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग बड़े स्तर पर समग्र विकास योजनाओं को लागू कर रहे हैं। इसी क्रम में लखनऊ के अलीगंज क्षेत्र में स्थित प्राचीन रविदास मंदिर का सौंदर्यीकरण एवं अवसंरचना विकास 4.64 करोड़ रुपये की स्वीकृत योजना के तहत शुरू हो गया है। मंदिर को आधुनिक सुविधाओं, खूबसूरत परिसर और उन्नत पर्यटन ढांचे के साथ एक नए रूप में विकसित करने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार का लक्ष्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि उन आस्था स्थलों को सम्मानजनक स्वरूप देना है, जहां पीढ़ियों से लोग श्रद्धा के साथ पहुंचते रहे हैं। रविदास मंदिर इन्हीं प्रमुख स्थलों में से एक है, जिसकी आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए इसे समेकित पर्यटन योजना में शामिल किया गया है।
101 वर्ष पुरानी आस्था--1924 की स्थापना, तीन प्राचीन समाधियां इसकी विरासत का प्रमाण
अलीगंज स्थित रविदास मंदिर को राजधानी के सबसे पुराने धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर अंकित वर्ष 1924 इसकी ऐतिहासिक उम्र का प्रमाण देता है। सौ वर्ष से अधिक समय से यह मंदिर न केवल पूजा का केंद्र रहा, बल्कि अनेक धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख स्थल भी रहा है। मंदिर परिसर में तीन प्राचीन समाधियों का विशेष महत्व है कि इनमें से एक समाधि मंदिर निर्माण से पूर्व की मानी जाती है। जबकि दो समाधियां बाबा लीलादास और बाबा टिकाईदास की हैं, जिन्होंने वर्षों तक मंदिर की सेवा करते हुए आध्यात्मिक परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाया। इन समाधियों को भी विकसित परिसर का हिस्सा बनाते हुए संरक्षित किया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ियां इसकी आध्यात्मिक विरासत को समझ सकें।
रविदास मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के जीवन, व्यापार, संस्कार और परंपराओं का केंद्र भी रहा है। आसपास रहने वाले परिवारों की पीढ़ियां इस मंदिर से भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई हैं। मंदिर के बाहर जूतों की मरम्मत का काम करने वाले नौमी लाल बताते हैं कि मेरे पिता भी इसी मंदिर के सामने काम करते थे। हमने अपनी जिंदगी मंदिर के वातावरण में ही बिताई है। इसके सौंदर्यीकरण से यहां आने वालों की संख्या बढ़ेगी और बाजार में भी रौनक लौटेगी। इसी तरह, मिष्ठान व्यवसायी भोलानाथ अपनी तीन पीढ़ियों का संबंध बताते हैं, हमारे बाबा ने 1931 में यहां दुकान लगाना शुरू किया था। संत रविदास जयंती हो या कोई अन्य आयोजन हम सभी इसमें बराबर से शामिल रहते हैं। मंदिर का विकास पूरे इलाके के लिए खुशी की बात है। कई स्थानीय व्यापारी मानते हैं कि मंदिर परिसर के आकर्षण में बढ़ोतरी से न केवल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी, बल्कि आसपास के दुकानदारों, छोटे व्यापारियों और सेवाओं से जुड़े लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
पर्यटन विभाग और लखनऊ विकास प्राधिकरण ने मंदिर में प्रस्तावित विकास कार्यों को चरणबद्ध रूप से शुरू किया है। मंत्री जयवीर सिंह के मुताबिक, प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि श्रद्धालुओं को आधुनिक, सुरक्षित, स्वच्छ और व्यवस्थित वातावरण प्रदान किया जा सके।
1. परिसर का सौंदर्यीकरण
2. श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं
3. बेहतर प्रकाश व्यवस्था
4. सड़क और पार्किंग क्षेत्र का सुधार
5. सुरक्षा और सुविधा
सरकार का लक्ष्य है कि यह मंदिर केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं, बल्कि राज्य के धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर भी प्रमुख स्थान प्राप्त करे।
उत्तर प्रदेश आज धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन में देश का अग्रणी राज्य बन चुका है। काशी, अयोध्या, मथुरा, विंध्याचल, चित्रकूट के साथ-साथ अब सरकार छोटे लेकिन ऐतिहासिक महत्व वाले आस्था केंद्रों को भी विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह कहते हैं कि इस मंदिर से स्थानीय समुदाय की पीढ़ियों का आत्मिक और भावनात्मक जुड़ाव रहा है। हमारा उद्देश्य यहां आने वाले भक्तों को बेहतर अनुभव देना है और धार्मिक विरासत को संरक्षित रखना है। मंदिर के विकास से पूरे क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों को नया बल मिलेगा।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि मंदिर सुंदर होगा तो बाहर की दुकानें, स्टॉल और क्षेत्र की जीवंतता भी लौटेगी। त्योहारों में यहां भारी भीड़ उमड़ती है; विकास के बाद यह संख्या और बढ़ेगी।
सरकार की कोशिश है कि मंदिर का मौलिक स्वरूप, पवित्रता और सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे, लेकिन साथ ही आधुनिक सुविधाओं के जरिए इसे समय के अनुरूप विकसित किया जाए।
Published on:
25 Nov 2025 12:10 am
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