Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट पर कानूनी पेंच; विधेयक पास लेकिन फिर भी अभी नहीं हो सकता गठन, समझें क्यों?

Mathura News: बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट पर कानूनी पेंच फंसता नजर आ रहा है। न्यास का विधेयक पास हो गया है लेकिन जानिए क्यों अभी भी गठन नहीं हो सकता है?

2 min read
Google source verification
Mathura News

विधेयक पास लेकिन फिर भी अभी नहीं हो सकता गठन। फोटो सोर्स-पत्रिका न्यूज

Mathura News: बुधवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास विधेयक पेश किया गया। न्यास गठन के बाद वृंदावन स्थित मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य इसमें रखा गया है।

सभी चल-अचल संपत्तियों पर न्यास का होगा अधिकार

न्यास (ट्रस्ट) का मंदिर के चढ़ावे, दान और सभी चल-अचल संपत्तियों पर अधिकार होगा। विधेयक में कहा गया है कि स्वामी हरिदास की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए न्यास का गठन किया गया है। बिना किसी हस्तक्षेप या परिवर्तन के स्वामी हरिदास के समय से चले आ रहे रीति-रिवाज, त्योहार, समारोह और अनुष्ठान जारी रहेंगे। पुजारियों की नियुक्ति के साथ दर्शन का समय न्यास तय करेगा। साथ ही उनके वेतन, भत्ते या प्रतिकर न्यास ही निर्धारित करेगा।

संपत्तियों में क्या-क्या शामिल रहेगा

इसके अलावा भक्तों और आगंतुकों की सुरक्षा, मंदिर के प्रभावी प्रशासन और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी न्यास की होगी। मंदिर में स्थापित मूर्तियां, मंदिर परिसर और उसकी सीमा के भीतर देवताओं के लिए दी गई भेंट या उपहार, किसी भी पूजा, सेवा, कर्मकांड, समारोह व धार्मिक अनुष्ठान के लिए दी गई संपत्ति, नकद या वस्तु के रूप में अर्पण, मंदिर परिसर के उपयोग के लिए डाक-तार से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक भी संपत्तियों में शामिल होंगे।

हर 3 महीने में होगी बैठक

हर 3 महीने में न्यास की अनिवार्य बैठक होगी। 15 दिन पहले बैठक के आयोजन के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। 7 पदेन और 11 मनोनीत सदस्य न्यास में होंगे।

ट्रस्ट पर कानूनी पेंच

ट्रस्ट पर कानूनी पेंच फंसता हुआ भी नजर आ रहा है। दोनों सदनों से विधेयक पास होने के बाद भी ट्रस्ट का गठन नहीं हो सकेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ही ट्रस्ट के गठन के बाबत कोई भी निर्णय हो सकेगा। शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों की माने तो हाल ही में वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के रोजमर्रा के कामकाज और पर्यवेक्षण के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अशोक कुमार की अध्यक्षता एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट ने किया है। जब तक यूपी सरकार के अध्यादेश मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला नहीं सुना देता यह समिति तब तक मंदिर प्रबंधन का कामकाज देखेगी।