
सांकेतिक तस्वीर जेनरेट AI
मेरठ में ढाई साल के बच्चे के साथ बड़ा मेडिकल लापरवाही का मामला सामने आया है। परिजन बच्चे को मामूली चोट के बाद पास के भाग्यश्री अस्पताल ले गए। लेकिन वहां मौजूद वॉर्ड बॉय ने बिना डॉक्टर के बच्चे के घाव पर फैवीक्विक डाल दिया। माता-पिता ने इसका विरोध किया। फिर भी उसने कहा कि चेहरे की चोट ऐसे ही ठीक होती है। उसने अपने बच्चे का उदाहरण भी दिया। जैसे ही फैवीक्विक घाव पर लगाया गया। बच्चा दर्द से तड़प उठा।
मां के मुताबिक, चिपकने वाले के लगते ही बच्चा जोर-जोर से रोने लगा। लेकिन स्टाफ पर इसका कोई असर नहीं हुआ। रातभर बच्चा दर्द से बेचैन रहा। अगली सुबह उसे लोकप्रिय अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉ. सिद्धार्थ ने करीब तीन घंटे तक उसका उपचार किया। डॉक्टर ने घाव को दोबारा साफ किया। अंदर जम चुके चिपचिपे कण निकालकर चार टांके लगाए। उनके मुताबिक, गलत तरीके से किए गए इलाज की वजह से दर्द बढ़ गया था।
घटना सोमवार रात की है। जब बच्चा घर में खेलते समय टेबल के कोने से टकरा गया था। उसकी आंख व भौंह के बीच गहरी चोट आ गई थी। खून काफी बह रहा था। इसलिए घबराए माता-पिता नजदीकी अस्पताल पहुंचे। वहां डॉक्टर मौजूद नहीं थे। सिर्फ स्टाफ था। वॉर्ड बॉय ने फैवीक्विक मंगवाया। जिससे माता-पिता को लगा कि शायद किसी औजार की जरूरत होगी। लेकिन अगले ही पल उन्होंने देखा कि वह इसे घाव पर लगाने जा रहा है। रोकने के बावजूद उसने यही ‘इलाज’ कर दिया।
माता-पिता ने बताया कि उन्होंने टीटेनस इंजेक्शन लगाने की भी मांग की पर स्टाफ ने इसे भी आवश्यक नहीं बताया। अगले दिन सही इलाज कराने के बाद परिजन दोबारा भाग्य श्री अस्पताल पहुंचे। स्टाफ से विरोध जताया। लेकिन वहां भी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद परिवार ने मेरठ के सीएमओ से शिकायत की।
सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि जांच के लिए एक मेडिकल टीम बनाई गई है। जिसमें एक सर्जन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि जांच में जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा। उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
20 Nov 2025 06:29 pm
