
Vidhayak Buffalo (फोटो सोर्स : Whatsapp )
Vidhayak Buffalo 8 Crore : मेरठ के सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में चल रहे पशु मेले में इस बार सबकी नज़रें एक “खास अतिथि” पर टिक गईं, जिसका नाम है “विधायक”। लेकिन यह कोई जनप्रतिनिधि नहीं, बल्कि एक ऐसा भैंसा है जिसकी कीमत पूरे 8 करोड़ रुपये लग चुकी है!यह भैंसा अपने शाही ठाठ-बाट, शानदार कद-काठी और दूध उत्पादक क्षमता के लिए देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह अद्भुत भैंसा हरियाणा के करनाल जिले से लाया गया है। इसके मालिक हैं पद्मश्री नरेंद्र सिंह, जिन्हें देश में “मुर्रा नस्ल के सुधारक किसान” के रूप में जाना जाता है। नरेंद्र सिंह वर्षों से पशुपालन के क्षेत्र में प्रयोग कर रहे हैं और बेहतरीन मुर्रा नस्ल के भैंसे तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि “विधायक” उनके सबसे खास भैंसों में से एक है। इसकी उम्र लगभग 7 वर्ष है, और इसकी ऊंचाई करीब 6 फीट तथा वजन 1300 किलोग्राम से अधिक है। नरेंद्र सिंह के अनुसार, “यह सिर्फ एक भैंसा नहीं, बल्कि मुर्रा नस्ल का एक जीवित चमत्कार है।”
मेले में जब “विधायक” की झलक लोगों ने देखी, तो हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। कई पशुपालकों ने इसे खरीदने की इच्छा जताई, लेकिन जब कीमत सुनी, ₹8 करोड़, तो सब दंग रह गए।इसके बावजूद, इसके मालिक ने साफ कहा कि “विधायक बिकाऊ नहीं है। दरअसल, यह भैंसा हर साल अपने सीमन (वीर्य) की बिक्री से 40-50 लाख रुपये की कमाई करता है। देशभर के किसान इसकी नस्ल सुधार क्षमता को देखते हुए इसके सीमन को खरीदते हैं। एक डोज़ (0.25 ml) की कीमत ₹300 से ₹500 तक होती है। नरेंद्र सिंह ने बताया कि अब तक “विधायक” के सीमन से हजारों भैंसों का उत्पादन किया जा चुका है, जिनमें से कई 20 से 21 लीटर प्रतिदिन दूध देती हैं।
मुर्रा नस्ल को भैंसों की सबसे श्रेष्ठ नस्ल माना जाता है, और “विधायक” इसी नस्ल का प्रतिनिधि है। इस भैंसे की जीन गुणवत्ता (genetic potential) इतनी बेहतर है कि इसके सीमन से पैदा हुई भैंसों की दूध देने की क्षमता अन्य सामान्य भैंसों से 30–40% अधिक है।इसी वजह से कृषि वैज्ञानिक भी इसे “जीवित जेनेटिक खजाना” बताते हैं। विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिकों ने बताया कि “विधायक” की शरीरिक संरचना, मांसपेशियों की मजबूती, सींगों की बनावट और त्वचा की चमक इसे अन्य भैंसों से अलग बनाती है। यह मुर्रा नस्ल के सुधार के लिए “आदर्श नर” (ideal bull) की श्रेणी में आता है।
“विधायक” की जीवनशैली किसी शाही परिवार से कम नहीं है।इसके रखरखाव पर हर महीने लगभग ₹70,000 से ₹1 लाख तक खर्च आता है। यह रोजाना हरे चारे, गेहूं की भूसी और दालों के अलावा काजू-बादाम, छुहारा और घी से बनी विशेष खुराक खाता है। इसके मालिक ने बताया कि “विधायक” को रोजाना 10 लीटर दूध पिलाया जाता है ताकि उसकी हड्डियाँ और मांसपेशियाँ मज़बूत बनी रहें। इसके बाड़े में कूलर और एसी दोनों लगे हैं। गर्मियों में इसे विशेष फॉग सिस्टम से ठंडा रखा जाता है, जबकि सर्दियों में इसके बाड़े को गर्म रखने के लिए ब्लोअर लगाए जाते हैं। यह अपने निजी सहायकों की देखरेख में रहता है और इसकी मालिश के लिए जैतून और सरसों के तेल का विशेष मिश्रण इस्तेमाल किया जाता है।
“विधायक” सिर्फ महंगा ही नहीं, बल्कि कई प्रतियोगिताओं का विजेता भी है। इसने अब तक राष्ट्रीय पशु मेले, हरियाणा डे डेयरी शो और किसान मेले में दर्जनों बार सर्वश्रेष्ठ मुर्रा भैंसा का खिताब जीता है। इसके मालिक नरेंद्र सिंह का कहना है कि “विधायक” को जब भी किसी प्रतियोगिता में ले जाया जाता है, तो लोग फोटो खिंचवाने के लिए लाइन लगाते हैं। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई किसान इसे “भैंसों का सुपरस्टार” कहते हैं।
मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय में लगे पशु मेले में “विधायक” इस बार का सबसे बड़ा आकर्षण बना। जैसे ही इसे मंच पर लाया गया, लोगों ने मोबाइल कैमरे निकाल लिए। बच्चे और महिलाएं तक इसे छूने और साथ फोटो खिंचवाने को उत्सुक दिखीं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे विशेष सुरक्षा घेरे में रखा ताकि भीड़ से इसे कोई नुकसान न पहुंचे। मेले के आयोजकों ने बताया कि “विधायक” ने इस बार की भीड़ रिकॉर्ड तोड़ दी। कई किसान इसे देखकर बोले - “ऐसा भैंसा शायद ही दोबारा देखने को मिले।
कृषि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सकों ने बताया कि “विधायक” का स्वास्थ्य पूरी तरह से उत्तम है। यह न केवल जेनेटिक रूप से श्रेष्ठ है, बल्कि इसका व्यवहार भी शांत और नियंत्रित है, जो कि प्रजनन के लिए बेहद आवश्यक होता है।डॉ. राकेश अग्रवाल, पशु विज्ञान विभागाध्यक्ष ने कहा कि इस तरह की नस्लें हमारे देश के लिए अमूल्य हैं। इनसे न केवल दूध उत्पादन बढ़ेगा बल्कि पशुपालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।”
“विधायक” जैसे उच्च गुणवत्ता वाले भैंसों की वजह से आज किसान पशुपालन को एक लाभदायक उद्योग के रूप में देखने लगे हैं। हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सीमन तकनीक के ज़रिए नस्ल सुधार तेजी से हो रहा है। नरेंद्र सिंह जैसे किसान इस बदलाव के अग्रणी हैं। वे बताते हैं कि पहले जहां एक सामान्य भैंस रोज़ाना 10–12 लीटर दूध देती थी, अब मुर्रा नस्ल से जन्मी भैंसें 20 लीटर से अधिक दूध दे रही हैं।इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ी है बल्कि दुग्ध उत्पादन में भी भारी इजाफा हुआ है।
पद्मश्री नरेंद्र सिंह का कहना है कि “विधायक” उनके परिवार का हिस्सा है, कोई पशु नहीं। वे कहते हैं, “जब मैं इसे सुबह देखता हूं, तो यह मुझे ताकत देता है। इसकी देखभाल मे ं हम दिन-रात जुटे रहते हैं। यह हमारे गांव की शान है। उनका कहना है कि कई बार देश-विदेश से लोग “विधायक” को खरीदने की पेशकश कर चुके हैं, लेकिन वे इसे बेचना नहीं चाहते।“पैसा दोबारा आ सकता है, लेकिन ऐसी नस्ल बार-बार नहीं जन्म लेती,” वे मुस्कुराते हुए कहते हैं।
Updated on:
10 Oct 2025 02:49 pm
Published on:
10 Oct 2025 02:48 pm
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग

