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बॉम्बे HC ने निकाय चुनाव के मतगणना की तारीख बढ़ाई, फडणवीस बोले- 30 वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा

Maharashtra Local Body Elections: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, व्यवस्था की खामियों की वजह से निकाय चुनावों का टलना ठीक नहीं है।

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Photo - ANI)

महाराष्ट्र में 264 नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव के लिए आज (2 दिसंबर) मतदान हो रहे हैं। जबकि राज्य की 20 से ज्यादा नगर परिषदों में कानूनी विवाद लंबित होने के कारण वहां का मतदान टाल दिया गया। इन सभी जगहों पर 20 दिसंबर को मतदान और 21 दिसंबर को मतगणना होगी। इस बीच महाराष्ट्र की नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा एक अहम फैसला मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सुनाया है।

आज होने वाले स्थानीय चुनावों के नतीजे 3 दिसंबर को आने वाले थे, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने अदालत से मांग की थी कि सभी निकाय चुनावों के परिणाम एक ही दिन घोषित किए जाएं ताकि किसी भी नगर परिषद के नतीजे पर असर न पड़े। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के नतीजे अब एक साथ 21 दिसंबर को घोषित किए जाएं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कहीं मतदान आज होता है, तब भी उसका परिणाम 21 दिसंबर को ही घोषित होगा।

कोर्ट ने आगे कहा कि इन चुनावों का एग्जिट पोल 20 दिसंबर को मतदान समाप्त होने के आधे घंटे बाद जारी किया जा सकता है। साथ ही नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों की आचार संहिता 20 दिसंबर तक लागू रहेगी।

ऐसा पहली बार देखा- फडणवीस

इस फैसले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने अभी आदेश पूरा नहीं पढ़ा है, लेकिन 25 से 30 साल की राजनीति में उन्होंने ऐसा पहली बार होते देखा है। फडणवीस ने कहा, “घोषित हो चुका चुनाव, नतीजों की तारीख को आगे बढ़ाना सही नहीं लगता। खंडपीठ स्वतंत्र है, उनका निर्णय मानना ही है।”

उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग भी एक स्वतंत्र संस्था है, लेकिन व्यवस्था की खामियों की वजह से यह सब होना ठीक नहीं है। मेहनत करने वाले उम्मीदवारों के लिए यह निराशाजनक है। आगे कई चुनाव और होने हैं, इसलिए आयोग को प्रक्रियाओं में सुधार करना चाहिए ताकि अगली बार ऐसा न हो।”

एक दिन पहले भी सीएम फडणवीस ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताई थी। 22 नगर परिषदों के अध्यक्ष पद के चुनाव टाले जाने पर उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग ने कानून का गलत अर्थ निकाला है। घोषित चुनाव टाले नहीं जा सकते है। एक दिन पहले चुनाव रद्द करना ठीक नहीं है। कई उम्मीदवारों की मेहनत बेकार चली गई। आयोग चाहे स्वतंत्र हो, लेकिन इस तरह के फैसले गलत हैं। इस मुद्दे को हम आयोग के समक्ष उठाएंगे।

नगर परिषद और नगर पंचायतों के इन चुनावों को लेकर राज्य में पहले ही राजनीतिक हलचल तेज थी। अब अदालत के फैसले के बाद सभी की नजर 21 दिसंबर पर टिकी है, जब सभी निकाय चुनावों के नतीजे एक साथ घोषित होंगे।