
रोहित आर्या क्यों बना किडनैपर? (Patrika Photo)
मुंबई के आरए स्टूडियो बंधक कांड (RA Studio Hostage) के आरोपी रोहित आर्या की पुलिस की कार्रवाई में मौत हो गई। आर्या ने गुरुवार को पवई इलाके के महावीर क्लासिक इमारत स्थित आरए स्टूडियो में 17 बच्चों समेत कुल 20 लोगों को बंधक बना लिया था। मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने बच्चों को सुरक्षित निकालने के लिए अभियान शुरू किया था। इसी दौरान सहायक पुलिस निरीक्षक अमोल वाघमारे की फायरिंग में रोहित आर्या की मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, इस पूरे मुठभेड़ की न्यायिक जांच होगी और अपराध शाखा को साक्ष्य जुटाने में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में अप्राकृतिक मौत का केस दर्ज कर जांच अपराध शाखा को सौंपी है। अब पूरी घटना की न्यायालयीन जांच भी होगी। अपराध शाखा की टीम घटनास्थल से हर साक्ष्य जुटा रही है और वहां मौजूद लोगों तथा पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज कर रही है।
जांच में कई सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं, रोहित को गोली क्यों मारना पड़ा? क्या सीने में गोली मारने की बजाय कहीं और गोली मारकर उस पर काबू पाया जा सकता था? जब त्वरित प्रतिक्रिया टीम (क्यूआरटी) को बुलाया गया था, तो मुंबई पुलिस को अंदर जाने की जरूरत क्यों पड़ी? इन सभी बिंदुओं की बारीकी से पड़ताल की जा रही है।
पुलिस ने बताया कि आरए स्टूडियो में बंधक बनाए गए बच्चों की उम्र 8 से 15 वर्ष के बीच थी। वे स्टूडियो में ऑडिशन के लिए गए थे। बच्चों को बंधक बनाए जाने की सूचना मिलते ही पवई और आसपास के पुलिस थानों की टीमें मौके पर पहुंचीं। पहले रोहित आर्या को समझाने का प्रयास किया गया और जब वह नहीं माना तो पुलिस बाथरूम के रास्ते ऑडिशन रूम में गई। इस दौरान रोहित आर्या ने एयरगन से हमला करने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली उसकी छाती पर लगी, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। जिसके बाद सभी बंधकों को सुरक्षित बचा लिया गया।
मृत रोहित आर्या का संबंध राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा चलाए गए ‘मुख्यमंत्री माझी शाला सुंदर शाला योजना’ जैसे अभियानों से बताया जा रहा है। रोहित का दावा था कि इन योजनाओं में उसका अहम योगदान रहा, लेकिन सरकार ने न तो उसे श्रेय दिया और न ही पूरा भुगतान किया। इस आरोप की सच्चाई जानने के लिए शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों से पूछताछ की जा सकती है। पुलिस रोहित के बैंक खातों की जांच भी करेगी, ताकि यह पता चल सके कि भुगतान को लेकर उसका आरोप कितना सही था। फिलहाल अपराध शाखा हर एंगल से मामले की जांच में जुटी है।
पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता सूरज लोखंडे ने बताया कि रोहित ने पिछले साल अगस्त में इसी मुद्दे पर आमरण अनशन किया था। सरकारी विभागों से शिकायतें और तब के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से आश्वासन मिलने के बावजूद उसे भुगतान नहीं हुआ। धीरे-धीरे वह गहरे अवसाद में चला गया। हालांकि इस मामले पर महाराष्ट्र के पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि उनका नाम बेवजह घसीटा जा रहा है। रोहित को सरकारी अभियान के तहत ठेका दिया गया था। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर भी वायरल हो रही है जिसमें रोहित आर्या केसरकर और तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ एक मंच पर है।
बताया जा रहा है कि रोहित आर्या की पत्नी आईसीआईसीआई बैंक में कार्यरत हैं और उसका एक बेटा है। रोहित के माता-पिता 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं और पिता हृदय रोग से पीड़ित हैं।
Updated on:
02 Nov 2025 04:00 pm
Published on:
02 Nov 2025 03:48 pm
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