
नागौर. जिले के निजी व सरकारी स्कूलों में बच्चों को घर से स्कूल तक लाने व वापस घर छोडऩे में उपयोग में ली जा रही बालवाहिनी में कई बिना फिटनेस और इंश्योरेंस के ही फर्राटे मार रही हैं। कई वाहन तो ऐसे हैं, जिनका खरीदने के बाद वापस न तो फिटनेस कराया गया और न ही इंश्योरेंस और पीयूसीसी। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली बच्चों का परिवहन करने वाले ज्यादातर वाहन कंडम हो चुके हैं, इसके कारण आए दिन हादसे हो रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं।
दो दिन पूर्व जिले के मेड़ता क्षेत्र में हुए हादसे में एक छात्रा की मौत के बावजूद जिम्मेदारों ने सबक लेने की बजाए उसमें लीपापोती शुरू कर दी। परिवहन विभाग की अधिकारियों के अनुसार जिले में करीब साढ़े 500 बाल वाहिनियां पंजीकृत हैं, जिनमें से 100 से अधिक बिना फिटनेस व 75 से अधिक बिना परमिट दौड़ रही हैं। दर्जनों वाहन ऐसे हैं, जो 15 साल पुराने हो चुके हैं, जिन्हें दूसरे जिलों में कंडम घोषित कर दिया, इसलिए यहां लाकर चलाया जा रहा है, जिनकी संचालकों ने आरसी भी रिन्युअल नहीं कर्रवाई है। सरकार ने बाल वाहिनियों के लिए नियम भले ही 100 बना रखे हो, लेकिन पालना 10 फीसदी भी नहीं हो रही है। ऐसे में आए दिन कंडम बाल वाहिनियों से हादसे होते हैं। ऐसे में नौनिहालों की जान जोखिम में डालकर संचालित की जा रही बाल वाहिनियों के खिलाफ परिवहन विभाग, पुलिस एवं शिक्षा विभाग को संयुक्त रूप से अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई करने की जरुरत है।
गौरतलब है कि जो स्कूल, बच्चों के लाने-ले जाने के लिए किसी वाहन की व्यवस्था करता है तो उसे भी परिवहन विभाग से बाल वाहिनी का परमिट लेना जरुरी होता है। मोटर एक्ट अधिनियम के तहत बाल वाहिनी का परमिट लेने से पहले एक्ट के सभी नियमों को पूरा करना जरूरी है। प्रत्येक स्कूल में जहां बाल वाहिनियों का संचालन किया जाता है, उसके लिए अलग से सुपरवाइजर होना जरूरी है। साथ ही उन्हें एक रजिस्टर भी रखना होता है, जिसमें वाहन के संबंधित ड्राइवर की पूरी जानकारी हो। लेकिन जिले में स्कूलों के बच्चों को लाने व ले जाने के लिए संचालित हो रही बालवाहिनी अधिकतर बिना परमिट के संचालित हो रही हैं, इसके लिए न तो चालक ने और ना ही स्कूल ने बाल वाहिनी परमिट ले रखा है। गांवों में कई जगह पुरानी कंडम यात्री बसों को ही बाल वाहिनी बनाकर संचालित किया जा रहा है।
ये हैं बाल वाहिनी संचालन के नियम
- रंग पीला होना चाहिए तथा चालक वर्दी में होना चाहिए।
- विद्यालय के उपयोग संबंधी सूचना लिखी होनी चाहिए।
- वाहन पर विद्यालय का नाम, टेलीफोन नंबर तथा चालक का नाम लिखा हुआ हो।
- वाहन के दरवाजे पर लॉक और ऑटो में ड्राइवर साइड वाली ग्रिल मजबूत होनी चाहिए।
- बाल वाहिनी की अधिकतम स्पीड 40 किलोमीटर हो।
- बच्चों के बेग व अन्य सामान को रखने के लिए अलग से रैक या फिर हुक होना जरूरी।
- स्कूली बच्चों को उतारने व चढ़ाने के लिए एक कंडक्टर का होना जरूरी।
संचालकों से शपथ पत्र लेंगे
माध्यमिक शिक्षा निदेशक के निर्देशानुसार निजी स्कूल संचालकों से बाल वाहिनियों के संबंध में एक शपथ पत्र लिया जाएगा, जिसमें स्कूल संचालक यह लिखकर देंगे कि वे बाल वाहिनी को लेकर विभाग की ओर से जारी दिशा-निर्देशों की पूर्णत: अनुपालना सुनिश्चित कर रहे हैं। इसके बाद यदि दिशा-निर्देशों की पालना में लापरवाही मिलेगी तो नियमानुसार स्कूल की मान्यता समाप्ति की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। शपथ पत्र लेने के लिए जिले के सभी सीबीईओ को निर्देश जारी कर दिए हैं।
- ब्रजकिशोर शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, नागौर
Published on:
20 Sept 2025 10:53 am
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