
आभूषणों के मामले में भी किन्नर समाज का रुझान पूरी तरह मारवाड़ी स्टाइल की ओर है।
नागौर. अखिल भारतीय किन्नर महासम्मेलन में इस बार सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि फैशन की भी खूब चर्चा हो रही है। देश के कोने-कोने से नागौर पहुंचे किन्नर समाज के सदस्य यहां आयोजित हो रहे कार्यक्रमों में मारवाड़ी परिधानों एवं गहनों के रंग में रंगे नजर आ रहे हैं। यहां आने के बाद अधिकांश किन्नरों ने न केवल स्थानीय पारंपरिक परिधानों की खरीदारी की बल्कि हाथों-हाथ सिलाई करवाकर पहन भी रहे हैं। सम्मेलन स्थल पर लगी दुकानों के साथ किन्नर बाजार में जाकर भी खरीदारी कर रहे हैं। खास बात यह है कि कई किन्नर एक साथ चार-पांच जोड़ी लहंगा, कुर्ती-कांचली की ड्रेसें बनवा रहे हैं, ताकि सम्मेलन के विभिन्न कार्यक्रमों में अलग-अलग परिधान पहन सकें।
स्थानीय बाजार में भी किन्नरों की बढ़ी आवाजाही से कपड़ा व्यापारियों के चेहरे खिले हुए हैं। दुकानदारों का कहना है कि किन्नर समाज को नागौर, जोधपुर और बीकानेर क्षेत्र के परिधान बेहद पसंद आ रहे हैं। खासकर भारी गोटा-पत्ती, कढ़ाई और रंग-बिरंगे चुनरी-लहंगा उनकी पहली पसंद बने हुए हैं। एक दुकानदार ने बताया कि कई ग्राहक ऐसे हैं जो अपने राज्य लौटने से पहले स्थानीय परिधानों की दो-तीन ड्रेसें अतिरिक्त बनवाकर ले जा रहे हैं, ताकि भविष्य के आयोजनों में इन्हें पहन सकें। लेकिन उनके सामने बड़ी समस्या सिलाई की है, सावों का सीजन होने से दर्जियों के पास समय कम है।ग्वालियर, उज्जैन, इंदोर सहित अन्य स्थानों से आईं किन्नर ने बताया कि राजस्थान की पारंपरिक पोशाक में एक अलग ही शान है। खासकर राजपूती पोशाकें उन्हें खूब पसंद आ रही हैं। जब वह मंच पर इस पोशाक में जाती हैं, तो लोग तुरंत पहचान लेते हैं कि यह मारवाड़ी पहनावा है। उन्होंने कहा कि यहां के परिधान न केवल सुंदर हैं बल्कि इनमें एक सांस्कृतिक गरिमा भी झलकती है।दूसरी ओर, टेलरों के पास ऑर्डर की भरमार है। कई टेलरों ने बताया कि एक सप्ताह से लगातार देर रात तक काम चल रहा है। कुछ टेलर तो ऑर्डर न ले पाने के कारण ग्राहकों को मना भी कर रहे हैं।
आभूषण भी मन को भा रहे
सिर्फ परिधान ही नहीं, आभूषणों के मामले में भी किन्नर समाज का रुझान पूरी तरह मारवाड़ी स्टाइल की ओर है। नागौर के पारंपरिक गहने, जैसे आड, तेवटा, कंठी, बाजूबंद और बोर आदि सम्मेलन में भाग लेने वाले कई किन्नरों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। स्थानीय सुनारों के यहां भी किन्नरों की भीड़ देखी जा रही है। एक ज्वेलर ने बताया कि सोना महंगा होने के बावजूद पांच से सात तोला वजनी आभूषण खरीद रहे हैं।
किन्नर समाज के मंचीय आयोजनों में अब यह मारवाड़ी परिधान और गहने उनकी पहचान का हिस्सा बन गए हैं। आयोजन स्थल पर हर शाम जब मंच पर विभिन्न राज्यों से आए किन्नर नृत्य प्रस्तुत करते हैं, तो दर्शक उन्हें देखकर राजस्थान की सांस्कृतिक झलक महसूस करते हैं।
पारंपरिक मारवाड़ी संस्कृति के प्रचार का माध्यम बना सम्मेलन
महासम्मेलन के आयोजकों का कहना है कि इस बार नागौर न केवल सामाजिक एकता का केंद्र बना है, बल्कि पारंपरिक मारवाड़ी संस्कृति के प्रचार का माध्यम भी बन गया है। यहां पहुंचे किन्नर अपने-अपने राज्यों में लौटकर राजस्थान की इस संस्कृति को आगे बढ़ाएंगे, जिससे यहां की परंपराओं को नई पहचान मिलेगी।सिलाई की आ रही समस्या
दुकानदार विष्णु ने बताया बाहर से आए किन्नरों को मारवाड़ी व राजपूती पोशाकें खूब पसंद आ रही है, इसलिए एक-एक किन्नर चार से पांच ड्रेस एक साथ खरीद रहे हैं। उनके लिए बड़ी समस्या यह है कि टेलर कम होने व सावों का सीजन होने के कारण समय पर सिलाई नहीं कर पा रहे हैं। बाकी कपड़े की खरीदारी खूब हो रही है।
कपड़े व गहने आ रहे पसंद
महासम्मेलन में दूसरे राज्यों व शहरों से आए गादीपति किन्नर व पंचों को मारवाड़ का पहनावा व गहने खूब पसंद आ रहे हैं। यहां का ओढ़ना, लहंगा व कुर्ती-कांचली एवं राजपूती परिधान अपने आप में खास है, इसलिए बाहर से आए किन्नर बाजार जाकर कपड़े और गहने खूब खरीद रहे हैं।
- रागनी बाई, गादीपति, नागौर
Updated on:
31 Oct 2025 12:25 pm
Published on:
31 Oct 2025 12:24 pm
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