Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

400 से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठियों को बेंगलुरु में बसा दिया! कोर्ट ने कहा- इसको जमानत देने का मतलब…

बेंगलुरु की एक अदालत ने अलाउद्दीन की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। उसपर 400 से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठियों को अवैध रूप से लाने-बसाने का आरोप है।

2 min read
Google source verification

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। फोटो- (IANS)

बेंगलुरु की एक अदालत ने अलाउद्दीन नाम के शख्स को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। उसपर 400 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को अवैध रूप से बेंगलुरु लाने और वहां बसाने में मदद करने का आरोप है।

अलाउद्दीन बेंगलुरु के इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी का रहने वाला है। 69वें अतिरिक्त शहर सिविल एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश शिरीन जावेद अंसारी ने उसके द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहा- जमानत देने से कानून कमजोर हो सकता है

कोर्ट ने कहा कि जमनात की याचिका दायर करने वाले शख्स पर बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से बेंगलुरु में बसाने का आरोप है।

अगर यह साबित हो जाता है, तो यह न केवल एक गंभीर वैधानिक उल्लंघन है, बल्कि राज्य की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए भी हानिकारक कृत्य है।

अदालत ने आगे कहा कि विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत यह अपराध गंभीर होने के साथ गैर-जमानती है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से कानून कमजोर हो सकता है और जांच प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।

कोर्ट ने शीर्ष अदालत के आदेशों का दिया हवाला

अदालत ने कहा कि अब तक जो सबूत मिले हैं, वह राष्ट्रीय घुसपैठ की संभावित गतिविधियों की ओर इशारा करते हैं। याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत पर रिहा करना न्याय और देश की सुरक्षा के हितों के विरुद्ध होगा।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जिन मामलों में राष्ट्रीय अखंडता, अवैध आव्रजन और सीमा पार घुसपैठ शामिल है, वहां अदालतों को अग्रिम जमानत के लिए अपने शक्तियों का प्रयोग करते समय संयम बरतना चाहिए।

आवेदक पर दो देशों का पहचान पत्र रखने का आरोप

उधर, सरकार की ओर पेश हुए वकील ने आरोपी की अर्जी पर आपत्ति भी जताई। उन्होंने कहा कि आवेदक के पास दो पहचान पत्र हैं। एक भारत में 'अलाउद्दीन बिन अब्दुल लतीफ' के नाम से जारी आधार कार्ड है।

दूसरा बांग्लादेश का पहचान पत्र है। जिसके उसका नाम 'अलाउद्दीन हौलाधर' अंकित है। इनमें जन्मतिथि और अन्य विवरण भी अलग-अलग हैं। वकील ने आगे कहा कि वह भारत में अवैध रूप से रह रहे कई बांग्लादेशी नागरिकों के संपर्क में है।

उसने बांग्लादेश से 400 से ज्यादा अवैध प्रवासियों के प्रवेश में मदद की है। अभियोजक ने दलील दी कि वह बांग्लादेश में लोगों से संपर्क करने के लिए आईएमओ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संचार अनुप्रयोगों का उपयोग कर रहा है।

अलाउद्दीन ने कहा- वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल का रहने वाला है

वहीं, सरकारी वकील के दलीलों का अलाउद्दीन ने कोर्ट में विरोध भी किया। उसने दावा किया कि वह वास्तव में एक भारतीय नागरिक है। मूल रूप से पश्चिम बंगाल का रहने वाला है, लेकिन बेंगलुरु में रहता है और राजमिस्त्री का काम करता है।