SC के आदेश पर CBI के पूर्व अधिकारियों पर FIR (File Photo)
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों पर अब कानूनी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को निर्देश दिया है कि वह सबूतों से छेड़छाड़, धमकी और अधिकारों के दुरुपयोग के आरोपों में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करे। यह मामला साल 2000 के एक पुराने केस से जुड़ा है, जिसमें CBI अधिकारियों पर जांच प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान स्पष्ट कहा, "जो लोग दूसरों की जांच करते हैं, उनकी भी जांच होनी चाहिए। न्याय न केवल किया जाए, बल्कि दिखाई भी दे।" अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि जांच दिल्ली पुलिस के ही अधिकार क्षेत्र में रहेगी, लेकिन इसे एसीपी (असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस) से ऊपर के रैंक के अधिकारी को सौंपा जाए। हाईकोर्ट ने पहले स्पेशल सेल को यह जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे सामान्य क्राइम ब्रांच के पास रखा।
यह विवाद 2000 में दर्ज एक CBI केस से उपजा है, जिसमें शिकायतकर्ताओं विजय अग्रवाल और शीश राम सैनी ने तत्कालीन CBI संयुक्त निदेशक नीरज कुमार और इंस्पेक्टर विनोद कुमार पांडेय पर गंभीर आरोप लगाए थे। अग्रवाल ने दावा किया कि अधिकारियों ने उन्हें और उनके भाई को शिकायत वापस लेने के लिए धमकाया। वहीं, सैनी ने दस्तावेज जब्ती के दौरान प्रक्रियागत अनियमितताएं, डराने-धमकाने और अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। इन आरोपों के तहत भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120B (आपराधिक साजिश), 506 (आपराधिक धमकी) और अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की गई थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ही FIR दर्ज करने का आदेश दिया था, लेकिन आरोपी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। अब सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। अदालत ने कहा कि अगर संज्ञेय अपराध का मामला बनता है, तो FIR दर्ज करना अनिवार्य है।
CBI के दो पूर्व अधिकारियों, नीरज कुमार (पूर्व संयुक्त निदेशक) और विनोद कुमार पांडेय (इंस्पेक्टर) पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जो 2000 के एक CBI केस से जुड़े हैं। शिकायतकर्ता विजय अग्रवाल और शीश राम सैनी ने दावा किया है कि इन अधिकारियों ने जांच के दौरान सबूतों से छेड़छाड़ की और दस्तावेज जब्ती में प्रक्रियागत अनियमितताएं बरतीं। अग्रवाल ने आरोप लगाया कि उन्हें और उनके भाई को शिकायत वापस लेने के लिए धमकाया गया, जबकि सैनी ने अधिकारियों पर डराने-धमकाने और अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया। इन आरोपों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120B (आपराधिक साजिश) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत कार्रवाई शामिल है।
Published on:
04 Oct 2025 04:26 pm
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