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बीजेपी की चाल से नीतीश ने जीता दांव, चल गया T-M= N+M का फार्मूला

Bihar Election Result: बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती जारी है। अब तक आए रुझानों में एनडीए को बंपर बहुमत मिला है।

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पटना

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Vijay Kumar Jha

Nov 14, 2025

Bihar Election Result: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के जो नतीजे आते दिख रहे हैं, उनमें डबल ‘एम’ फैक्टर का बड़ा रोल है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। दूसरे ‘एम’ का मतलब मुस्लिम नहीं है। महिला है। नीतीश कुमार ने बहुत पहले इस फैक्टर की अहमियत समझ ली थी। शराबबंदी इसी का नतीजा था। इस फैसले का जो असर दिखा, उससे इस ‘एम’ फैक्टर को और मजबूत करने की जरूरत साबित हुई। इसीलिए इस चुनाव में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का दांव चला। इसके तहत परिवार की एक महिला को दस-दस हजार रुपये कारोबार शुरू करने के लिए दिए गए। इसकी कामयाबी के आधार पर आगे भी उन्हें दो लाख रुपये तक की मदद की जाएगी।

भाजपा का आजमाया फार्मूला अपनाने में आगे निकले नीतीश 

महिलाएं बिहार चुनाव में पिछले कई चुनाव से पुरुषों की तुलना में ज्यादा मतदान कर रही हैं। इस मामले में इस चुनाव को भी अलग नहीं बताया जा रहा है। चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में पैसा डालने की योजना भाजपा का कई राज्यों (मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा) में आजमाया हुआ फार्मूला है। नीतीश इस फार्मूले को अपनाने में भाजपा से कई कदम आगे निकल गए। एकमुश्त दस हजार रुपये किसी और सरकार ने नहीं दिए। न ही आगे दो लाख रुपये तक देने का भरोसा दिया। उनके इस फैसले ने तेजस्वी से महिलाओं को और दूर किया।

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नीतीश के ‘एम’ फैक्टर ने तेजस्वी के ‘एम’ फैक्टर को काटा

कई जानकार यहां तक बता रहे हैं कि नीतीश के इस ‘एम’ फैक्टर ने तेजस्वी के ‘एम’ फैक्टर (मुसलमान) को भी कमजोर किया। कुछ जगह मुसलमान वोट भी राजद से छिटक कर जदयू के खाते में जाने की बात कही जा रही है। यानि राजद को 'एम' का डबल झटका लगा। महिलाएं भी दूर हुईं और मुसलमान भी कुछ हद तक छिटके। यह झटका तेजस्वी के सीएम बनने का सपना चकनाचूर कर गया।

नीतीश ने इस बार चला मास्टरस्ट्रोक 

राजद के ‘एम’ फैक्टर की काट में अपना ‘एम’ फैक्टर मजबूत करने में नीतीश 2005 से ही लग गए थे। पहली बार सरकार बनाने के बाद ही उन्होंने स्कूल जाने वाली लड़कियों को साइकल देने की योजना शुरू की। इस कड़ी में 2016 में की गई शराबबंदी बड़ा कदम था। इस पर उनकी आलोचना भी हुई और उसका प्रभाव अब कम होने लगा था।

तब उन्होंने स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी, सरकारी नौकरियों और पुलिस में 35-35 फीसदी आरक्षण देकर इसकी भरपाई करने की कोशिश की। चुनाव से ऐन पहले उन्होंने दस-दस हजार देने का दांव चला। हालांकि तेजस्वी यादव ने भी सरकार बनने पर महिलाओं को पैसे देने का वादा किया था, लेकिन नीतीश ने उन्हें देकर अपने पाले में कर लिया।