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सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से भड़का विवाद, खुल कर बोले प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव

Ladakh Protest Crackdown : लद्दाख में सोनम वांगचुक को NSA के तहत गिरफ्तार करने को प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने लोकतंत्र पर हमला बताते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की है।

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भारत

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MI Zahir

Sep 30, 2025

Ladakh Protest Crackdown

लद्दाख के आंदोलन पर मुखर प्रशांत किशोर व योगेंद्र यादव। ( फोटो: आईएएनएस.)

Ladakh Protest Crackdown: भारत के लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहा शांतिपूर्ण आंदोलन (Ladakh Protest Crackdown) अब हिंसक रूप ले चुका है। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव और वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने केंद्र सरकार पर दमनकारी नीतियों का आरोप लगाया है। उन्होंने दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार लद्दाख के लोगों की जायज मांगों को कुचल रही है। योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि 2019 में धारा 370 हटाने के बाद सरकार ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा या कम से कम विधानसभा देने का वादा किया था। उन्होंने याद दिलाया कि करगिल युद्ध में लद्दाख के लोगों ने सेना का साथ दिया था, लेकिन आज उनकी आवाज को दबाया जा रहा है। यादव ने कहा, "लद्दाख के लोग अपनी संस्कृति, पर्यावरण और अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है।" उन्होंने चेतावनी दी कि यह दमन क्षेत्र में असंतोष और बढ़ाएगा।

वांगचुक की गिरफ्तारी को 'राजनीतिक साजिश' करार दिया

प्रशांत भूषण ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को 'राजनीतिक साजिश' करार दिया। उन्होंने कहा कि वांगचुक पिछले छह साल से शांतिपूर्ण तरीके से लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और पर्यावरण संरक्षण की मांग कर रहे हैं। भूषण ने बताया, "24 सितंबर को लेह में हिंसा के दौरान सोनम ने इसे आंदोलन के लिए हानिकारक बताया था, फिर भी सरकार ने उन्हें निशाना बनाया।" सरकार ने उनके एनजीओ का लाइसेंस रद्द कर दिया और सीबीआई जांच शुरू कर दी। भूषण ने इसे लद्दाखियों की आवाज दबाने की कोशिश बताया।

हिंसा और तनाव का माहौल

लद्दाख में 10 सितंबर से शुरू हुए सोनम वांगचुक के 14-दिवसीय अनशन के बाद आंदोलन तेज हुआ। 24 सितंबर को लेह में शांतिपूर्ण बंद के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की मौत और 70 से ज्यादा लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और वाहनों में आग लगा दी, जबकि सुरक्षाबलों ने लाठीचार्ज और गोलीबारी का सहारा लिया। इसके बाद लेह में कर्फ्यू लगा दिया गया और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। इस हिंसा ने पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है।

सरकार पर लोगों का ध्यान भटकाने का आरोप

केंद्र सरकार और लद्दाख डीजीपी ने आंदोलन को 'पाकिस्तान समर्थित' बताया है। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह स्थानीय हितों के लिए है। भूषण ने कहा, "सरकार बेबुनियाद आरोप लगा कर लोगों का ध्यान भटका रही है। लद्दाख के लोग अपनी जमीन, संस्कृति और पर्यावरण बचाने के लिए लड़ रहे हैं।" उन्होंने मांग की कि सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा किया जाए और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार हो।

लद्दाख का भविष्य अनिश्चित

बहरहाल लद्दाख में बढ़ता असंतोष और हिंसा क्षेत्र की शांति के लिए खतरा बन रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार ने लद्दाख की मांगों को जल्द नहीं सुना, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने इस आंदोलन को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया है। लोग अब सरकार से जवाब मांग रहे हैं कि आखिर लद्दाख के लोगों के साथ किए गए वादों का क्या हुआ। क्या यह आंदोलन शांति की ओर जाएगा या और तनाव बढ़ाएगा, यह आने वाला समय बताएगा। (आईएएनएस)