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नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया और राहुल के खिलाफ चार्जशीट पर फैसला टला, अब इस तारीख को आएगा आदेश

National Herald Case मामले में अदालत अब 16 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी। इस केस में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सैम पित्रोदा सहित कई कांग्रेस नेताओं को आरोपी बनाया गया है।

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Rahul Gandhi

राहुल गांधी (फाइल फोटो-पत्रिका)

National Herald Case: दिल्ली की राऊज एवेन्यु कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लेने का फैसला टाल दिया है। अदालत अब 16 दिसंबर को इस पर अपना फैसला सुनाएगी। कांग्रेस ने कोर्ट में दलील दी कि यह राजनीतिक बदले के तहत किया जा रहा है।

नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस ओवरसीज प्रमुख सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत आरोपी बनाया गया है।

क्या है कांग्रेस नेताओं पर आरोप

ईडी का आरोप है कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने एसोसिएटेड जनर्ल्स लिमिटेड (AGL) की 2000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियों को अवैध तरीके से कब्जा किया। ईडी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने महज 50 लाख रुपए में AGL कंपनी को हथिया लिया। इस लेनदेन को यंग इंडियन नाम की कंपनी के माध्यम से किया गया। ईडी ने कोर्ट से कहा कि इस कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की अधिकांश हिस्सेदारी है।

वहीं, 7 नवंबर को मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने आदेश को सुरक्षित रखते हुए ईडी से कुछ अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांगे थे। सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा था कि कुछ दस्तावेज और वित्तीय लेन-देन की जानकारी को और गहराई से देखना जरूरी है। अदालत ने केस रिकॉर्ड की जांच के बाद बताया कि लेन-देन से जुड़े दस्तावेज, कथित किराए की रसीदें और फंड फ्लो का पूरा पैटर्न विस्तार से देखने के बाद ही फैसला लिया जा सकता है।

फर्जीवाड़ा और मनी लॉन्ड्रिंग के स्पष्ट सबूत मिले: ED

अदालत ने कहा था कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने केस फाइलों की जांच के मद्देनजर जरूरी स्पष्टीकरण दे दिए हैं। आदेश अब 16 दिसंबर को सुनाया जाएगा। इस मामले पर ईडी का कहना है कि इसमें फर्जीवाड़ा और मनी लॉन्ड्रिंग के स्पष्ट सबूत मिले हैं और यह एक गंभीर आर्थिक अपराध है। वहीं कांग्रेस का दावा है कि यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। उनका कहना है कि यंग इंडियन का गठन कानूनी नियमों के तहत हुआ और इसमें किसी भी तरह का निजी लाभ शामिल नहीं है।

AGL की संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल की कोशिश

ईडी ने आरोप लगाया है कि कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर कुछ लोगों ने वर्षों तक फर्जी अग्रिम किराया भुगतान दिखाया और नकली किराया रसीदें जारी कीं। एजेंसी के अनुसार, यह सब AGL की संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल करने की योजना का हिस्सा था। इस विवाद की शुरुआत 2012 में हुई, जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि एजेएल के अधिग्रहण की प्रक्रिया में कांग्रेस नेताओं ने धोखाधड़ी और भरोसे का उल्लंघन किया। इस केस की अगली सुनवाई अब 16 दिसंबर को होगी, जब अदालत तय करेगी कि क्या ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लिया जाएगा या नहीं।