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नया साल कहां मनाना है, तय कर लीजिए- तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट ने चेताया

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी स्पीकर को 31 अक्टूबर तक फैसला करने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब, स्पीकर को दो सप्ताह के भीतर फैसला करना होगा या अदालत की अवमानना का सामना करना होगा

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तेलंगाना के स्पीकर गद्दाम प्रसाद कुमार। (फोटो- X/@GpkOfficial)

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के स्पीकर गद्दाम प्रसाद कुमार को कड़ी फटकार लगाई है। दरअसल, उन्होंने 10 बीआरएस विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने में देरी की है।

इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह अदालत की अवमानना है और स्पीकर को दो सप्ताह के भीतर इस मामले में फैसला करने का निर्देश दिया है।

10 विधायक कांग्रेस में हो गए थे शामिल

बता दें कि 10 विधायक पिछले साल मार्च और जून के बीच भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से कांग्रेस में शामिल हुए थे। 2023 में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए थे। जिसमें बीआरएस को कांग्रेस ने करारी शिकस्त दी थी।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने गद्दाम कुमार को निर्देश दिया है कि वे अगले हफ्ते तक विधायकों के मामले में कोई फैसला लें, नहीं तो उन्हें अदालत की अवमानना का सामना करना पड़ेगा।

तीन महीने बाद भी नहीं कार्रवाई

गद्दाम कुमार पर बीआरएस ने जानबूझकर विधायकों पर एक्शन नहीं लेने का आरोप लगाया है। इससे पहले 31 जुलाई को इस मामले में सुनवाई हुई थी।

तब कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को तीन महीने में विधायकों पर कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

स्पीकर का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को आश्वासन दिया कि दो हफ्ते में विधायकों को लेकर फैसला सुनाया जाएगा।

कहां मनाना है नया साल, यह उन्हीं को तय करना है- कोर्ट

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कह दिया कि अब स्पीकर को ही यह तय करना है कि वह नया साल कहां मनाएंगे। हम पहले ही कह चुके हैं कि इन मामलों पर विचार करते समय उन्हें संवैधानिक छूट प्राप्त नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह न्यायालय की घोर अवमानना ​​है।

विधायक ने दायर की थी याचिका

बीआरएस के दस विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत दायर की गई थी, जो दलबदल से संबंधित है। ये याचिका बीआरएस विधायक कौशिक रेड्डी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इन विधायकों ने अपनी पार्टी की सदस्यता स्वेच्छा से छोड़ दी है, जो दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन है।

फैसले में देरी के कारण खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

इन पर फैसले में देरी के कारण बीआरएस को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। बता दें कि अगर अदालत का आदेश मानते हुए विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया जाता है तो सभी 10 सीटों पर उपचुनाव होंगे, जो एक मध्यावधि चुनाव होगा। इससे कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंच सकता है, भले ही वह इनमें से कुछ सीटें वापस जीतने में कामयाब हो जाए।