
दिल्ली में खतरनाक रूप से बढ़ रहा वायु प्रदूषण।
Delhi Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण ने कहर मचा रखा है। पिछले लगभग डेढ़ महीने से दिल्ली में प्रदूषण का लेवल लगातार 'खराब' की श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है। इसी बीच सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने प्रदूषण पर एक विश्लेषण रिपोर्ट जारी की। यह विश्लेषण दिल्ली में 59 दिनों का डेटा संकलन करने के बाद किया गया। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के पीछे सबसे बड़ी भूमिका सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों के धुएं की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जैसी गैसों का स्तर इस शुरुआती सर्दी में चिंताजनक रूप से बढ़ा है और इसके पीछे वाहनों से निकलने वाले धुएं की बड़ी भूमिका है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की ताजा रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि राजधानी की हवा में जहर घोलने में सड़कों पर दौड़ते वाहनों का धुआं सबसे बड़ा कारक बनकर उभर रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो सर्दियों में वायुमंडल की सीमा परत (Boundary Layer) उथली होने लगती है। इसके चलते वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व हवा में फैलने के बजाय सतही परत में ही फंस जाते हैं। यही कारण है कि सर्दियों में प्रदूषण की समस्या विकराल रूप ले लेती है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में रोजाना बढ़ रहे प्रदूषण के पीछे सबसे बड़ा कारण ट्रैफिक से होने वाला उत्सर्जन है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सुबह 7 से 10 बजे और शाम को 6 से 9 बजे के बीच PM2.5 का स्तर NO₂ के स्तर के साथ एक समान उतार-चढ़ाव दिखाता है। यह पैटर्न सीधे तौर पर बताता है कि यातायात का दबाव और वाहनों का धुआं प्रदूषण को तेजी से प्रभावित करता है। अध्ययन के मुताबिक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂)में लगातार तेज स्पाइक दर्ज हुए। ये उछाल सीधे वाहन चालित धुएं से संबंधित पाए गए। इसके अलावा PM2.5 और CO यानी कार्बन मोनो ऑक्साइड भी गंभीर स्तर का मिला।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 59 दिनों तक चली अध्ययन की प्रक्रिया के दौरान 30 से ज्यादा दिनों तक ज्यादातर मॉनीटरिंग स्टेशनों ने CO यानी कार्बन मोनो ऑक्साइड को उसकी 8 घंटे की सीमा से ऊपर पाया। राष्ट्रीय राजधानी के 40 वायु गुणवत्ता स्टेशनों में से द्वारका सेक्टर-8 में स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक रही, जहां 55 दिनों तक CO का स्तर मानक से ऊपर पाया गया। इसके बाद जहांगीरपुरी और नॉर्थ कैंपस (DU) का स्थान रहा, जहां 50-50 दिनों तक मानक का उल्लंघन हुआ।
CSE की अनुसंधान और पैरवी की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब सरकार और जनमानस का ध्यान मुख्य रूप से पराली जलाने जैसे मौसमी कारकों तक सीमित रह जाता है। उन्होंने कहा "हर साल सर्दियों में प्रदूषण नियंत्रण का फोकस धूल-नियंत्रण तक सीमित रह जाता है, जबकि वाहनों, उद्योगों, कचरा जलाने और ठोस ईंधन के उपयोग जैसे कारकों पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की जाती।" वहीं सीपीसीबी की वायु प्रयोगशाला के पूर्व प्रमुख दीपांकर साहा ने HT से कहा "दिल्ली में वाहन और सड़क पर जाम पूरे साल प्रदूषण के स्रोत बने रहते हैं। सर्दियों में प्रतिकूल रहने वाली मौसम की स्थिति इसे और भी खतरनाक बनाती है।"
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में मौसम की प्रतिकूल स्थिति में सबसे ज्यादा प्रदूषण बढ़ाने में ट्रैफिक और वाहनों का धुआं जिम्मेदार है। ऐसे में इस रिपोर्ट ने एक बार फिर दिल्ली में अपनी उम्र पूरी कर चुके वाहनों पर पाबंदी लगाने की कार्रवाई को बल दे दिया है। दिल्ली सरकार ने सर्दियों से पहले जुलाई में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाने की घोषणा की थी। इसके तहत दिल्ली के साढ़े तीन सौ पेट्रोल पंपों को आदेश दिया गया था कि अपनी उम्र पूरी कर चुके वाहनों को ईंधन न दिया जाए।
इसकी निगरानी के लिए प्रत्येक पेट्रोल पंप पर पुलिस तैनात करने का ऐलान किया गया था। हालांकि इसका बड़े स्तर पर विरोध भी हुआ था। दिल्ली सरकार ने पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देश पर दिया था, लेकिन जनता और विपक्ष का भारी विरोध पर दिल्ली सरकार ने इसे वापस ले लिया। इसके बाद नए दिशा-निर्देश के लिए दिल्ली की रेखा सरकार सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची थी। सुप्रीम कोर्ट ने रेखा सरकार की याचिका पर 12 अगस्त को आदेश जारी किया कि दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके बाद से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
Updated on:
02 Dec 2025 01:39 pm
Published on:
02 Dec 2025 01:37 pm
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